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Parasram Arora
कविता कैसी भी हो उसे समझने मे कठनाई नहीं होती क्योंकि ज्यादातर रचनाओं मे आनंद वेदना प्रेम और आश्चर्य क़े भाव होते है और ये सारे भाव हर किसी मे प्रायः मौजूद ही होते हैँ अब ये बात अलग है क़ि उस रचना का जायज़ा अपनी अपनी पसंद से श्रोता या पाठक तय करते हैँ किसी को. वह रचना आध्यात्मिक यात्रा क़े लिए तैयार कर सकती है तो किसी मे प्रेम की पींगे बढ़ाने की दिलचस्पी से भर सकती है कोई विचलित या विक्षप्त श्रोता या पाठक उसे दर्शनशास्त्र का विषय बना सकता है या फिर कोई उस कविता को मधुर स्वरों मे गाकर गायक भी बन सकता है # कविता क़े रूप अरूप.......
Diwan G
महकी महकी सी फ़ज़ा, कि महका महका तेरा रूप है। जब से तुमको पाया है, जीवन में खुशियों की धूप है। ©Diwan G #रूप #धूप #जीवन #फ़िज़ा
Manish Sarita(माँ )Kumar
एक उधर कागज़ रिहाई मांग रहा है और एक इधर कलम है अल्फाजों को कैद करने में लगी है ©Manish Sarita(माँ )Kumar लिखो #लिखी #बातें #Likho
Sneh Lata Pandey 'sneh'
मातु शारदे आपसे, माँगू थोड़ा ज्ञान। देवी वीणा धारिणी, दे दो माता दान।। देवी माँ पद्मासना, आओ हंस सवार। छूलो मेरे हाथ को , हो मेरा उद्धार। मातु शारदे आइए, श्वेत हंस सवार। श्वेत वस्त्र माँ धारिणी, श्वेत पुष्प गल हार।। कमल नयनि माँ कामदा, आसन कमल विराज । चतुर्भुजी माँ शारदे, सकल सँवारो काज।। कर सुदृढ़ माँ लेखनी, भर विद्या भंडार। हो मुखरित सुर ताल सब , कर दो माँ उपकार।। निर्मल कर दो भाव को, रसना रस की धार। मधुरिम शुभ्र प्रकाश सा, चमके हृदय किवाड़।। झोली भर दो कृपा से, बालक करे पुकार। कच्चा कलश कुम्हार का, आया तेरे द्वार।। वसंत पँचमी आ रही, हरषे ऋतु अति जोर। पीली गेंदे की कली, महक उठी सब ओर।। स्नेहलता पाण्डेय 'स्नेह' ©Sneh Lata Pandey 'sneh' #मातु शारदे
विमुक्त
उसने कहा इश्क़ लिखो, मैनें उसका नाम लिखा और इस तरह लिख दिया एक महाकाव्य! उसने कहा इश्क़ लिखो, मैनें उसका नाम लिखा और इस तरह लिख दिया एक महाकाव्य! #विमुक्त
Tarakeshwar Dubey
मातु भवानी ---------------- निर्झर झरती रहे लेखनी, वाणी निर्भीक रहे अटल, चिंतन में मानवता ऊपर, राष्ट्र की हो प्रथम पहल। परमार्थ मन में भरा हो, मर्यादित सृजित हो हर शब्द, विचारों में हो सादगी, सत्यमेव सदा बने प्रारब्ध। जो रिपु हो अन्यायी, शीश उसका नतमस्तक कर दो, भय का नाश हो जावे, हे मातु ऐसा अभय वर दो। मन कभी ना बोझिल हो, छाये न गम की काली साया, लगे सबसे एक लगन, जानूं ना भेद अपना पराया। बन जाउं अंबर का पंछी, उड़ जाउं उन्मुक्त गगन में, बस अनंत तक गाता जाऊं, सत्य के गीत चमन में। जनगण की आवाज बनूं, मां ऐसी अमर शक्ति दो, अन्याय की कालिख मिट जाए, हे मातु भवानी वर दो। बहे प्रेम की अविरल गंगा, घाटी घाटी हो स्वछंद, जन जन पुष्पित हो जावे, भरे सभी मन में मकरंद। बसे नहीं क्लेश किसी में, हर लो सब पीड़ा संताप, निरोगी होवे हर काया, हर लो जो होवे अभिषाप। जीर्णता ना उभरे कभी, ऐसा अमरत्व तन भर दो, व्यापकता का अभ्युदय हो, हे मातु भवानी वर दो। © मृत्युंजय तारकेश्वर दुबे। ©Tarakeshwar Dubey मातु भवानी #WinterFog
Vicky Vidip
Happy Rath Yatra राम लिखू या रहीम लिखू या भगवान कृष्ण खुदा करीम लिखूं यूं तो है हम सब एक ही पर हिन्दू नाम भोले शंकर तो मुस्लिम में नईम लिखूं ©Vicky Vidip राम लिखू या रहीम लिख...... #RathYatra2021
sukoon
सरसो भी लेके पीला रूप आ गई चल छत से देखते है धूप आ गई #शायरी #nojoto #nojotohindi #धूप #रूप #poetry #love #nature