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Parasram Arora
कितने पारंगत होते हैँ ये पिंजरे मे बंद तोते जो नामों को दुहराते हैँ निश्चित ही खुद को भी और दूसरों को भी भरमाने का ही काम कर रहे हैँ वे शायद नहीं जानते क़ि इस नाम दुहराने की कला क़ि वजह से उन्हें ताउम्र पिंजरे मे ही बंधक बन कर रहना पड सकता है और खुदा न खस्ता किसी दिन पिंजरे का मुँह खुला भी रह गया तो वो उड़ना चाहते हुए भी उड़ नहीं पायेगा क्योंकि तब तक उसके पँख उड़ना भूल चुके होंगे ©Parasram Arora #पिंजरे का पंछी........
नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)
पिंजरे का पंछी पूछ रहा, मुझे क्यों पिंजरे में डाल दिया। तेरी दुनियां में आकर के, क्या मैंने कोई अपराध किया। ईश्वर ने पंख दिया मुझको,उन्मुक्त गगन में उड़ने को। छोटी सी एक चोंच दिया, चुनचुन कर दाना खाने को। फिर मैं दुर्बल जीव ही ठहरा, क्या तेरा नुकसान किया मुझे क्यों पिंजरे में डाल दिया। बिछड़ के मुझसे मात पिता,संगी साथी भी रोते होंगे। मुझसे मिलने की खातिर, वो भी कहीं तड़पते होंगे। अपनों के संग रहने का ,क्यों सपना मेरा तोड़ दिया। मुझे क्यों पिंजरे में डाल दिया। कैद हुए पिंजरे से मैं, उड़ते साथी को देख रहा। इक दूजे से पूछते होंगे, वो साथी अपना नहीं रहा। क्यूं दर्द के सागर में तुमने, मुझको इतना डूबा दिया। मुझे क्यों पिंजरे में डाल दिया। ©नागेंद्र किशोर सिंह # पिंजरे का पंछी ।
Arora PR
पिंजरे मे बैठे उस उदास परिंदे को अपना अतीत फिर याद आया. है उसे खुले आकाश मे अपनी स्वछंद उड़ानो का स्मरणन भी हो आया है जोर फिर वो गहरी पीड़ा मे छटपटाने लगा और अपना सिर पिंजरे की दीवारो से टकराता रहा और. उसका परिणाम ये हुआ कि वो पिंजरा टूट गया और उसे अपना स्वचंद आकाश फिर से मिल गया ©Arora PR पिंजरे का पंछी
Parasram Arora
पिंजरे का पंछी लम्बे समय से वहाँ रहते रहते अब ऊब चुका हैँ और मुक्ति के लिये पिंजरे की सलाखे तोड़ रहा हैँ अब वो दिन दूर नही ज़ब वो बाकी सलाखों को तोड़ने में भी सफलहोगा और खुद को इस पिंजरे के बंधन से आज़ाद कर खुली हवा में साँसे भी ले सकेगा ©Parasram Arora पिंजरे का पंछी.
karthikey poems
पिंजरे का पंछी हूं उड़ने की तलाश में.... भूल जाऊं बीता सब कुछ एक नए कल की आस में ... आंखों में भय है ... फिर भी उड़ना है आसमान चाहे आंधी हो या तूफान अब करना है ! मुझे यह भवसागर पार..... था कोई मन का , अब सिर्फ यादें ..... पिंजरे का पंछी हूं उड़ने की तलाश में... पिंजरे का पंछी हूं ..
kavi manish mann
सितम जो भी करनें हैं करले ऐ सितमगर पर शर्त यह है पिंजरे का पंछी के निकले के बाद रोना ना कभी!! कभी कभी हमारी स्थिति भी पिंजरे के पंछी जैसी हो जाती है। #पिंजरेकापंछी #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi प
Lalit Kumar
Shivkumar
ये दिल कोई पिंजरे का पंछी नहीं पिंजरे में कैद दरिंदा है । बेहतर है कि वो वहीं रहे जहाँ उसे होना चाहिये । निकल गया तो न आपको सही से जीने देगा न आपके करीबियों को । जबतक ये कैद है आप आज़ाद हो, जिस दिन ये आज़ाद हो गया आप कैद हो जाओगे । ©Shivkumar #thepredator #Nojoto ये दिल कोई #पिंजरे का #पंछी नहीं पिंजरे में कैद #दरिंदा है । #बेहतर है कि वो वहीं रहे जहाँ उसे होना चाहिये ।
Dr Jayanti Pandey
आवरर्णों की दुनिया में तुम रूह की बातें करते हो या तो कोरे कच्चे हो या जज्बातों से छलते हो। (पूरी रचना अनुशीर्षक में पढ़ें) आवरण प्रेम का आवरर्णों की दुनिया में तुम रूह की बातें करते हो या तो कोरे कच्चे हो या जज्बातों से छलते हो। माना मैं पिंजरे का पंछी;
Rajpurohit Gajendra
सिनेमा अनुभव Revolutionary road (2008) ख़ुद कीं ख़ुशी के लिये ज़रूरी हैं कि अपनो के ग़म भी दूर किए जाए,वरना ख़ुशी केवल एक स्वयं के अहंकार की तृप्ति (ego satisfaction) मात्र है। हम