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Divya Joshi

विघ्नेश्वर लम्बोदर गणराज गजानन
शरण तिहारी आकर, मिलता हर आनंद

वक्रतुंड एकदंत धूम्रवर्ण विनायक
छत्र छाया हो जिस पर तेरी वो दुनिया का नायक

©Divya Joshi विघ्नेश्वर लम्बोदर गणराज गजानन
शरण तिहारी आकर, मिलता हर आनंद

वक्रतुंड एकदंत धूम्रवर्ण विनायक
छत्र छाया हो जिस पर तेरी वो दुनिया का नायक

#G

विघ्नेश्वर लम्बोदर गणराज गजानन शरण तिहारी आकर, मिलता हर आनंद वक्रतुंड एकदंत धूम्रवर्ण विनायक छत्र छाया हो जिस पर तेरी वो दुनिया का नायक G #GaneshChaturthi

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Poetry with Avdhesh Kanojia

गणपति वन्दन
------------------
जय गजबदन जय गौरीनन्दन
शंकर सुत जय विघ्नहरण।
जय जय असुरारी जय भयहारी 
जय मंगलमय कल्याणकरण।।

जय ओजस्वी अद्वितीय तेजस्वी
परम शांत जय गणनायक।
अतुलनीय छवि भालचन्द्र जय
स्कलपूज्य जय वरदायक।।

अभय प्रदाता जय सुख दाता
जय परब्रह्म जय अविनाशी ।
परम शान्त सुखराशि गजानन
एकदंत सब घट वासी।।

जय चर्चित चंदन प्रभु तव वन्दन
धूम्रवर्ण जय पाप शमन।
सकल जीव तव सुत शिवनंदन
चरण कमल शत कोटि नमन।।

✍️अवधेश कनौजिया© गणपति वन्दन
------------------
जय गजबदन जय गौरीनन्दन
शंकर सुत जय विघ्नहरण।
जय जय असुरारी जय भयहारी 
जय मंगलमय कल्याणकरण।।

जय ओजस्वी अद्विती

गणपति वन्दन ------------------ जय गजबदन जय गौरीनन्दन शंकर सुत जय विघ्नहरण। जय जय असुरारी जय भयहारी जय मंगलमय कल्याणकरण।। जय ओजस्वी अद्विती #कविता

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रोशन पाटील 7066644485

 चित्र चाराक्षरी

गणपती

★★★★★★★★★★

श्री गणेशा
विघ्नहर्ता,,

चित्र चाराक्षरी गणपती ★★★★★★★★★★ श्री गणेशा विघ्नहर्ता,, #poem

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Poetry with Avdhesh Kanojia

गणपति वन्दन
------------------
जय गजबदन जय गौरीनन्दन
शंकर सुत जय विघ्नहरण।
जय जय असुरारी जय भयहारी 
जय मंगलमय कल्याणकरण।।

जय ओजस्वी अद्वितीय तेजस्वी
परम शांत जय गणनायक।
अतुलनीय छवि भालचन्द्र जय
स्कलपूज्य जय वरदायक।।

अभय प्रदाता जय सुख दाता
जय परब्रह्म जय अविनाशी ।
परम शान्त सुखराशि गजानन
एकदंत सब घट वासी।।

जय चर्चित चंदन प्रभु तव वन्दन
धूम्रवर्ण जय पाप शमन।
सकल जीव तव सुत शिवनंदन
चरण कमल शत कोटि नमन।।
 #ganeshchaturthi #ganpati #गणेशचतुर्थी #धर्म #आस्था #dharm #poetry 
गणपति वन्दन
------------------
जय गजबदन जय गौरीनन्दन
शंकर सुत जय विघ्नहर

#GaneshChaturthi #ganpati #गणेशचतुर्थी #धर्म #आस्था #dharm poetry गणपति वन्दन ------------------ जय गजबदन जय गौरीनन्दन शंकर सुत जय विघ्नहर

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N S Yadav GoldMine

गान्धारी ने युद्ध में मारे गये अपने पुत्र दुर्योधन को देखा पढ़िए महाभारत !!
{Bolo Ji Radhey Radhey}
महाभारत: स्‍त्री पर्व 
षोडष अध्याय: श्लोक 44-61 
📀 ये कुरूकल की स्त्रियां रोना बंद करके स्वजनों का चिन्तन करती हुई परिजनों सहित उन्हीं की खोज में जाती और दुखी होकर उन - उन व्यक्तियों से मिल रही हैं। कौरव वंश की युवतियों के सूर्य और सुवर्ण के समान कान्तिमान मुख रोष और रोदन से ताम्रवर्ण के हो गये हैं। 

📀 केशव। सुन्दर कान्ति से सम्पन्न, एक वस्त्र धारिणी तथा श्याम गौरवर्ण वाली दुर्योधन की इन सुन्दरी स्त्रियों की टोलियों को देखो। एक दूसरी की रोदन- ध्वनि से मिल जाने के कारण इनके विलाप का अर्थ पूर्णरूप से समझ में नहीं आता, उसे सुनकर अन्य स्त्रियां भी कुछ नहीं समझ पाती हैं।

📀 ये वीर वनिताऐं लंबी सांस खींचकर स्वजनों को पुकार पुकार कर करूण बिलाप करके दु:ख से छटपटाती हुई, अपने प्राण त्याग देना चाहती हैं। बहुत सी स्त्रियां स्वजनों की लाशों को देखकर रोती, चिल्लाती और विलाप करती हैं। कितनी ही कोमल हाथों वाली कामिनियां अपने हाथों से सिर पीट रही हैं। कटकर गिरे हुए मस्तकों, हाथों और सम्पूर्ण अंगों के ढेर लगे हैं। 

📀 ये सभी एक के ऊपर एक करके पड़े हैं। उनसे यहां की सारी पृथ्वी ढकी हुई जान पड़ती है। इन बिना मस्तक के सुन्दर धड़ों और बिना धड़ के मस्तकों को देख-देख कर ये अनुगामिनी स्त्रियां मूर्छित सी हो रही हैं। 

📀 कितनी ही अचेत ही होकर स्वजनों की खोज करने वाली स्त्रियां एक मस्तक को निकटवर्ती धड़ के साथ जोड़ करके देखती हैं और जब वह मस्तक उससे नहीं जुड़ता तथा दूसरा कोई मस्तक वहां देखने में नहीं आता तो वे दुखी होकर कहने लगती हैं कि यह तो उनका सिर नहीं है।

📀 बालो से कट-कट कर अलग हुई वाहों, जांगों और पैरों को जोड़ती हुई ये दुखी अवलाऐं बार-बार मूर्छित हो जात हैं। कितनी ही लाशों के सिर कटकर गायब हो गये हैं, कितनों को मांस भक्षी पशुओं और पक्षियों ने खा डाला है; अतः उनको देखकर भी ये हमारे ही पति हैं, इस रूप में भरत कुल की स्त्रियां पहचान नहीं पाती हैं। 

📀 मधुसूदन। देखो, बहुत सी स्त्रियां शत्रुओं द्वारा मारे गये भाईयों, पिताओं, पुत्रों और पतियों को देखकर अपने हाथों से सिर पीट रही हैं। खड़ग युक्त भुजाओं और कुण्डलों सहित मस्तकों से ढकी हुई इस पृथ्वी पर चलना फिरना असंभव हो गया है। यहां मांस और रक्त की कीच जम गयी है। 

📀 ये सती साध्वी सुन्दरी स्त्रियां पहले कभी ऐसे दु:ख में नहीं पड़ी थीं; किन्तु आज दु:ख के समुद्र में डूब रही हैं। यह सारी पृथ्वी इनके भाइयों, पतियों और पुत्रों से ढंक गयी है। जर्नादन। देखो, महाराज धृतराष्ट्र की सुन्दर केशों वाली पुत्र वधुओं की ये कई टोलियां, बछेडियों की झुण्ड के समान दिखाई दे रही हैं। 

📀 केशव। मेरे लिये इससे बढकर महान् दु:ख और क्या होगा कि ये सारी बहुऐं यहां आकर अनेक प्रकार से आर्तनाद कर रही हैं । माधव। निश्‍चय ही मैंने पूर्व जन्मों में कोई बड़ा भारी पाप किया है जिससे आज अपने पुत्रों, पौत्रों और भाईयों को यहां मारा गया देख रही हूं। 

📀 भगवान श्रीकृष्ण को सम्बोधित करके पुत्र शोक से ब्याकुल हो इस प्रकार आर्त विलाप करती हुई गान्धारी ने युद्ध में मारे गये अपने पुत्र दुर्योधन को देखाl Narayan Hari...

©N S Yadav GoldMine गान्धारी ने युद्ध में मारे गये अपने पुत्र दुर्योधन को देखा पढ़िए महाभारत !!
{Bolo Ji Radhey Radhey}
महाभारत: स्‍त्री पर्व 
षोडष अध्याय: श्लो

गान्धारी ने युद्ध में मारे गये अपने पुत्र दुर्योधन को देखा पढ़िए महाभारत !! {Bolo Ji Radhey Radhey} महाभारत: स्‍त्री पर्व षोडष अध्याय: श्लो #जानकारी

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N S Yadav GoldMine

ये सती साध्वी सुन्दरी स्त्रियां पहले कभी ऐसे दु:ख में नहीं पड़ी थीं पढ़िए महाभारत !! 📖📖
{Bolo Ji Radhey Radhey}
महाभारत: स्‍त्री पर्व षोडष अध्याय: श्लोक 22-43 {Bolo Ji Radhey Radhey}
📖 ये कुरूकल की स्त्रियां रोना बंद करके स्वजनों का चिन्तन करती हुई परिजनों सहित उन्हीं की खोज में जाती और दुखी होकर उन- उन व्यक्तियों से मिल रही हैं। कौरव वंश की युवतियों के सूर्य और सुवर्ण के समान कान्तिमान मुख रोष और रोदन से ताम्रवर्ण के हो गये हैं।

📖 केशव। सुन्दर कान्ति से सम्पन्न, एकवस्त्र धारिणी तथा श्याम गौरवर्ण वाली दुर्योधन की इन सुन्दरी स्त्रियों की टोलियों को देखो। एक दूसरी की रोदन- ध्वनि से मिल जाने के कारण इनके विलाप का अर्थ पूर्णरूप से समझ में नहीं आता, उसे सुनकर अन्य स्त्रियां भी कुछ नहीं समझ पाती हैं। 

📖 ये वीर वनिताऐं लंबी सांस खींचकर स्वजनों को पुकार पुकार कर करूण बिलाप करके दु:ख से छटपटाती हुई अपने प्राण त्याग देना चाहती हैं। बहुत सी स्त्रियां स्वजनों की लाशों को देखकर रोती, चिल्लाती और विलाप करती हैं। 

📖 कितनी ही कोमल हाथों वाली कामिनियां अपने हाथों से सिर पीट रही हैं। कटकर गिरे हुए मस्तकों, हाथों और सम्पूर्ण अंगों के ढेर लगे हैं। ये सभी एक के ऊपर एक करके पड़े हैं। उनसे यहां की सारी पृथ्वी ढकी हुई जान पड़ती है। इन बिना मस्तक के सुन्दर धड़ों और बिना धड़ के मस्तकों को देख-देख कर ये अनुगामिनी स्त्रियां मूर्छित सी हो रही हैं। 

📖 कितनी ही अचेत ही होकर स्वजनों की खोज करने वाली स्त्रियां एक मस्तक को निकटवर्ती धड़ के साथ जोड़ करके देखती हैं और जब वह मस्तक उससे नहीं जुड़ता तथा दूसरा कोई मस्तक वहां देखने में नहीं आता तो वे दुखी होकर कहने लगती हैं कि यह तो उनका सिर नहीं है।

📖 बालो से कट-कट कर अलग हुई वाहों, जांगों और पैरों को जोड़ती हुई ये दुखी अवलाऐं बार-बार मूर्छित हो जात हैं। कितनी ही लाशों के सिर कटकर गायब हो गये हैं, कितनों को मांस भक्षी पशुओं और पक्षियों ने खा डाला है; अतः उनको देखकर भी ये हमारे ही पति हैं, इस रूप में भरत कुल की स्त्रियां पहचान नहीं पाती हैं।

📖 मधुसूदन। देखो, बहुत सी स्त्रियां शत्रुओं द्वारा मारे गये भाईयों, पिताओं, पुत्रों और पतियों को देखकर अपने हाथों से सिर पीट रही हैं । खड़ग युक्त भुजाओं और कुण्डलों सहित मस्तकों से ढकी हुई इस पृथ्वी पर चलना फिरना असंभव हो गया है। यहां मांस और रक्त की कीच जम गयी है।

📖 ये सती साध्वी सुन्दरी स्त्रियां पहले कभी ऐसे दु:ख में नहीं पड़ी थीं; किन्तु आज दु:ख के समुद्र में डूब रही हैं। यह सारी पृथ्वी इनके भाइयों, पतियों और पुत्रों से ढंक गयी है । जर्नादन। देखो, महाराज धृतराष्ट्र की सुन्दर केशों वाली पुत्रवधुओं की ये कई टोलियां, बछेडियों की झुण्ड के समान दिखाई दे रही हैं।

📖 केशव। मेरे लिये इससे बढकर महान् दु:ख और क्या होगा कि ये सारी बहुऐं यहां आकर अनेक प्रकार से आर्तनाद कर रही हैं । माधव। निश्‍चय ही मैंने पूर्व जन्मों में कोई बड़ा भारी पाप किया है जिससे आज अपने पुत्रों, पौत्रों और भाईयों को यहां मारा गया देख रही हूं।

📖 भगवान श्रीकृष्ण को सम्बोधित करके पुत्र शोक से ब्याकुल हो इस प्रकार आर्त विलाप करती हुई गान्धारी ने युद्ध में मारे गये अपने पुत्र दुर्योधन को देखा।

©N S Yadav GoldMine
  #phool ये सती साध्वी सुन्दरी स्त्रियां पहले कभी ऐसे दु:ख में नहीं पड़ी थीं पढ़िए महाभारत !! 📖📖
{Bolo Ji Radhey Radhey}
महाभारत: स्‍त्री पर्व

#phool ये सती साध्वी सुन्दरी स्त्रियां पहले कभी ऐसे दु:ख में नहीं पड़ी थीं पढ़िए महाभारत !! 📖📖 {Bolo Ji Radhey Radhey} महाभारत: स्‍त्री पर्व #पौराणिककथा

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