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Artist Raj Saini
दिल...ए हालात कोई पूछता नही, सब यही कहते हैं? कि तेरी सूरत बदल गई । राज सैनी लाइफ एक्सप्रेस
Anand Kumar ' Shaad '.
बहुत हुई महंगाई की मार, अबकी बार मोदी सरकार, बहुत हुआ बलात्कार, अबकी बार मोदी सरकार, कुछ याद भी है, यह जुमला किसका था यार ? जुमला एक्सप्रेस
संजय श्रीवास्तव
कुछ प्रश्न अभी भी झिंझोड़ते है राम के आदर्श जीवन में कैसे उतार लूं कैकेयी के कपट जानकर भी दशरथ के आदेश को कैसे मान लूं नहीं चाहिये था राजपाट फिर क्यूँ भोगुं वनवास पत्नी होने का कर्तव्य निभाने में सीता ने हर कदम दिया साथ वही जनक दुलारी अथाह वेदना विछोह मे कैसे गुजारी होंगी दिन और रात अनुज लक्ष्मण को कहां रोक पाये उर्मिला के मूक दर्द को कहां समझ पाये कांप जाता हूँ ये सोचकर क्या होता हनुमान जैसा भक्त यदि नही मिला होता कैसे मिलती संजीवनी और रावण की सोने की लंका कैसे जला होता! हे मर्यादा पुरुषोत्तम! मै कलयुगी प्राणी कैसे समझु महिमा तुम्हारी तुम्हें तो लेना ही था वनवास तुम्हें ही तो करना था उद्धार अहिल्या का! और अधर्मी लंकापति का विनाश! संजय श्रीवास्तव मर्यादा पुरुषोत्तम
Tarakeshwar Dubey
पुरुषोत्तम श्रीराम कहां है कलियुग बैठा शीर्ष संतरी, बोलो अब इमान कहां है। आदम नर भक्षी हो गए है, बतलाओ इंसान कहां है। ढोंगी सब बाबा बने हैं, पंडित अब गुणवान कहां हैं। ढूंढ रहा रावण महफ़िल में, पुरुषोत्तम श्रीराम कहां है। दशहरा पर शीश बेंधने निमित्त, चले आते छद्म एकानन, रंग बिरंगे फूल हार ले, सजाते निज सरीखा दूजा आनन। काठ पुतला रोवे भाग कोस, अब यहां भगवान कहां है, ढूंढ रहा रावण महफ़िल में, पुरुषोत्तम श्रीराम कहां है। विद्यालय बना शिक्षा व्यापारी, सदगुरु का मान भुलाया, मानव अंग बेंच बेंच कर, चिकित्सक का मन भरमाया। हृदय में हरि निवास कराए, अब भक्त हनुमान कहां है, ढूंढ रहा रावण महफ़िल में, पुरुषोत्तम श्रीराम कहां है। अब आरुणी सा शिष्य कहां, जो गुरु का बढ़ाये मान, राम सरीखा न्यायी कहां जो, प्रजा हित का रखे ध्यान। भार्या से भी कर मांग करे, हरिशचंद्र सत्यवान कहां है, ढूंढ रहा रावण महफ़िल में, पुरुषोत्तम श्रीराम कहां है। चरण पादूका निज शीश धरे, भ्रातृ प्रेम पर तजे राज, धरती पर ही शयन करे, छोड़ महल के सुख साज। भरत सरीखा अमर दानी, मन का वह धनवान कहां है, ढूंढ रहा रावण महफ़िल में, पुरुषोत्तम श्रीराम कहां है। ©Tarakeshwar Dubey पुरुषोत्तम #Dussehra2020