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Swåßhímåñ Sîñgh
डंका बाजा रे , हिन्दी का संसार में... शेष नीचे .... #हिन्दी डंका बाजा रे, हिन्दी का संसार में डंका बाजा रे, हिन्दी का संसार में डंका बाजा, डंका बाजा, डंका बाजा हाय हाय डंका बाजा रे, हिन्दी क
Manjeet Sharma 'Meera'
नहीं यक़ीन तुझे इश्क़ पे ए जाँ मेरी। वगरना सुर्ख़-रू हो जाती दास्ताँ मेरी। ग़ुरूर छोड़के आ जा मेरी पनाहों में तड़प रही है तेरे वास्ते ही जाँ मेरी। बहुत से होते हैं शिकवे-गिले मुहब्बत में लगाके बैठ न सीने से फब्तियाँ मेरी। तेरे बिना तो ये गुफ़्तार भी नहीं करतीं ये आंखें बंद हैं ख़ामोश है ज़ुबाँ मेरी। तुनक-मिज़ाजी तेरी दिल को कर गई जख़्मी कभी तो सुन ले ओ हमदम दुहाइयाँ मेरी। यूँ दर्द से मेरे अनजान तो न बन ज़ालिम पता तुझे भी है दुखती है रग कहाँ मेरी। तरस गए हैं मुहब्बत की हामी सुनने को कभी तो कह दे कि हाँ हो गई है हाँ मेरी। सनम चली आ कि अब तो है दम निकलने को कि राह देखती है कब से आस्ताँ मेरी। गया जो वक़्त कभी लौटके न आएगा तड़पना तब तू मुहब्बत में राज़-दाँ मेरी। तेरे इशारों पे ही नाचता रहा 'मीरा' ये भूल बैठा कोई हस्ती है यहाँ मेरी। *** #ग़ज़ल 1212 1122 1212 22 /112 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 नहीं यक़ीन तुझे इश्क़ पे ए जाँ मेरी। वगरना सुर्ख़-रू हो जाती दास्ताँ मेरी। ग़ुरूर छोड़के आ जा
BENAAM
मुझ रावण की चिता बारिश ने बुझा दी.... मैं फिरसे उठा और इतिहास से अपनी हार मिटा दी... अब अपने खुद के लिखें इतिहास पर घमंड रखता हुँ... हाँ में वही रावण हुँ जो खुदको सर्वप्रथम रखता हुँ.... ©सर्वेश कु. दुबे✍️ हाँ मैं रावण हुँ...... मुझ रावण की चिता बारिश ने बुझा दी... मैं फिरसे उठा और इतिहास से अपनी हार मिटा दी... अब खुद के✍ लिखें इतिहास पर घम
Unconditiona L💓ve😉
मेरे मन में बसें है कृष्ण मेरेे तन में बसें हैं कृष्ण मेरे हृदय में बसें हैं कृष्ण मेरे हर अंग-अंग में बसें हैं कृष्ण मिलन तोसे करे बर कान्हा ज़िंदगी की ज़हर भी_अमृत सी पी जानी है कहते है दुनिया मोहे कोई पगली सी कृष्ण की मीरा❤दिवानी है। { ∆ Full Conferred in Caption ∆ } 🌺🌼🌺🌼🌺🌼🌺🌼🌺🌼🌺🌼🌺🌼🌺🌼🌺🌼 🌹ll कृष्ण की मीरा ❤दिवानी ll🌹 लागे मोहे मोहन की _मूरत बड़ी सुहानी हो गई जोगणियाँ मैं तो_कृष्ण की मीरा दीवानी..!
Arsh
इस रचना को आप कैप्शन में पढ़ सकते हैं। 111R डैडी क्यों मेरी लाड़ो, पापा से छादी क्यों नहीं कलनी? मुदे नई पता, आप बहोत दंदे हो पापा, पिथली बाल तहा था तौफी लेने दा लहा हूँ, इत्ते दि
vinni.शायर
हां हो गई है जंग की शुरुआत अब.. या तो हार होगी.. या पार होगी.. ©vinni.shayr हां हो गई है जंग.... #Goodevening
shashi kala mahto
इन आँखों को सुख सपने देकर, माँ! न जाने तुम कहाँ गई? फिर भी,स्वर्णिम सपनों की आस लिए, मन में एक विश्वास लिए, मैं ठगी हुई बस देख रही अपनी ही ब्यथा नि:श्वास लिए, तुम आँख चुरा मुख मोड़ गई, इस तन को जग में छोड़ गई। माँ न जाने तुम कहाँ गई? जब आँख खुली थी,तब तेरी ही गोद का सहारा था,तुम्हारा आँचल मुझको सबसे प्यारा था, तेरे चेहरे की एक झलक ,मेरे मुख पर मुस्कान लाता था, तुम आँख चुरा मुख मोड़ गई, इस तन को जग में छोड़ गई। माँ! न जाने तुम कहाँ गई? जब से मैं माँ बनी, न जाने तुम क्यों खास लगी, चुपचाप खड़ी मैं सोच रही,प्रसव वेदना की पीड़ा मेरे मुखमंडल पर थी, फिर, मेरी प्रसव वेदना से ज्यादा वेदना, क्यों तेरी आँखों में थी, तुम आँख चुरा मुख मोड़ गई, इस तन को जग को छोड़ गई । माँ! न जाने तुम कहाँ गई? माँ की ममता को क्या कोई समझ पाएगा, माँ तो माँ होती है। माँ न जाने तुम कहाँ गई? ©shashikala mahato #माँ! न जाने तुम कहाँ गई
saurabh
प्रेम के उपवन की छाया पा सकूँ ऐसा बना दो मन में ठहरे गीत भी मैं गा सकूँ ऐसा बना दो प्यार के भी पार हो बस प्यार मेरा सिर्फ मेरा हो जहाँ पर यार मेरा उसके मन में हो न कोई भाव दूजा लब पे झगड़े हो मगर मन में हो उसके सिर्फ पूजा उसके मन में दूसरों का भाव भी भावी न हो दूसरो के मन की मनसा उसके मन हावी न हो उसके मन आए न इसका छोर भी है उसके मन में ख्याल न आए कि कोई और भी है प्रेम में है कल्पना की एक दुनिया मैं वहाँ पर जा सकूँ ऐसा बना दो प्रेम के उपवन की छाया पा सकूँ ऐसा बना दो मन में ठहरे गीत भी मैं गा सकूँ ऐसा बना दो जहाँ कोशिशों में भी हार हार होती हो वहाँ गर हार हो हांथो में तो सही होगा