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Zaheen Parveen Shah
अकेली हुँ पर अकेली ही काफि हुँ जिंदगी के इस सफ़र पर खुदकी ही साथी हुँ जो छुट गया उसके लिए एक याद पुरानी हुँ, और जिसे आंखो में बसा लिया उसके लिए काजल की तरह नूरानी हुँ बेशक अकेली हुँ पर अकेली ही काफि हुँ!! जो मुज़ाबानी याद हो जाये एक ऐसी ही कहानी हुँ बारिश के मौसम में इंद्रधनुष की तरह सुहानी हुँ, दिल और दिमाग के अक्सर ही फ़ाश जाती हुँ और खुदके फेसले से कभी- कभी खुद ही रूठ जाती हुँ बेशक अकेली हुँ पर अकेली ही काफि हुँ!! जिनके दिल हुँ उनको दिल से लगा कर राखती हुँ, और जिने नहीं पसंद उनसे भी हँस कर हाथ मिलती हुँ , आंखों की नमी और चेहरे की उदासी को हसी में बदलना चाहती हुँ, फ़ना होने भी अपनी कविता से लोगों के दिलों में धढकना चाहती हुँ!! ©Zaheen Parveen Shah अकेली हुँ पर अकेली ही काफि हुँ #Winters
Mukesh More
बडी मुद्दत के बाद खुद संग अकेली हूँ भूल गयी थी ये तन्हाई कितनी भयानक है! #अकेली
Nilu 😊
...अकेली ही रह गई... आज फिर एक बार अतीत का एक झलक सा सामने आया, मानो ऐसा लगा, जैसे फिर किसी ने दिल के दरवाज़े को खटखटाया, कदम बस उसकी ओर बढ़ने ही वाले थे की, धुंधला सा गुजरा कल नजर आया ... .....बस फिर क्या .... पल मे टूट गए वो पल भर के ख्वाब, अब ना देना किसीको अपनी बेगुनाही का हिसाब, कभी 'हाँ' कभी 'ना' मे मैं फँस सी गयी, दिल और दिमाग के कश्मकश मे उलझ सी गयी, समझ ना पाई खुद मैं खुद के भावनाओ के लहरो को, परखना चाही मैं इस बार फिर उस अंजान चेहरे को, पर कम्बखत ना दिल ने साथ दिया ना नजरों ने ये नजरें मिलने से पहले ही झुक गयी... "मैं अकेली थी और फिर अकेली ही रह गयी " ।। open_dairyy , ©Nilu 😊 #अकेली
Suraj Dhunde
माथे पर सेहरा सजा था, हाथों में मेहंदी लगी थी भरे भरे से मण्डप में दुल्हन अकेली खड़ी थी ©Suraj Dhunde #अकेली
Gondwana Sherni 750
अकेली सी हो गई हु मै साथ निभाने वाले तो छोड़ो साथ देने वाला भी नही है preeti uikye750 ©Gondwana sherni अकेली
kavi Niraj Modi
किसी से मतलब न हो शायद इसलिए इस भाँति समंदर अपने आवेग में बही जा रही थी, दूर कहीं सूरज की रोशनी अब ओझल होती दिख रही थी। लोग भुलते जा रहे हैं हमें ,शायद वजह यही रही होगी। पर कोई फर्क पड़ता नहीं हमें अब ,कि वो अमावस की चाँद बने या सुबह का तारा क्योंकि इसकी नाम भी होती हैं और पहचान भी होती हैं पर किस्मत तो देखो इसकी बस कोई काम न होती हैं। अकेली शाम
Vishal Saini
मेघों को हठ कर छोड़ा सोचा मैं पाश से मुक्त हुई। युक्त हुई आजाद श्वास से चिरकाल गगन संयुक्त हुई।1। अगले ही पल, कुछ पग ही चल ये भ्रम बूंद का टूट गया। एक पत्थर से टकराकर उसका जीवन क्षण में ही छूट गया।2। कितने ही बढ़ो, तुम बढ़े चलो छू लो तुम उन्नत शिखर भाल या ले छलांग अम्बर में तुम रच दो स्वर्णिम इतिहास काल।3। पर भूल नहीं जाना अपनों को जो स्रोत, सुखी जीवन का हैं। जो मूल वृक्ष का छिपा हुआ सब खेल उसी के तर्पण का है।4। अकेली बूंद
Jacks Sahu
कुछ राते बीना तुम्हारी बातो में निकले ये आरज़ू है मेरी बहुत अर्सो से तुमने मुझे मेरे दिल को अकेला नहीं छोड़ा है #अकेली राते
Abhishek Singh
यु अकेला रहना बड़ा अजीब लगता है उसके पास होके भी उससे दूर होना बड़ा बदनसीब सा लगता है जाने कैसी हसरत हुई थी हमारे बीच मे की वो हमें अकेला कर गए उसी हसरत के चक्कर मे हमारे ख़ुशी से भरे हुए चेहरे को मुरझा कर चले गए अब तोह हम अकेली रातो मे अकेले से हो गए है बिना टीम-टिमाते हुए तारे से हो गए है अब तोह बस ये धरती ही बची है जिन्दा रहने को क्युकी इस धरती मे ही एक आस बची है अपनी बात की निंदा करने को #अकेली राते