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Dipti Singh Diya
विद्यालय शिक्षा का घर है शिक्षा का देती अवसर है बच्चों को शिक्षा मिलती है गुरूजन को मिलता आदर है होते हैं अनगढ़ मिट्टी से बच्चे जब विद्यालय आते निर्माण गुणों का होता है पढ़ते जब ज्ञान का अक्षर हैं सदभावपूर्ण परिवेश मिले तो प्रतिभा पुष्पित होती है इस उपवन का हर पुष्प खिले ये जिम्मेवारी इन पर है शिक्षा आवश्यक होती है जीवन पथ सुगम बनाने को उर आलोकित है ज्ञान 'दिया' गुरूओं का ये ॠण हम पर है -Dipti #विद्यालय #शिक्षा का #घर है #nojoto #nojotohindi
Vaibhav Kandpal
पहाड़ भी हमारे अब परेशान से हैं, कुछ हैं खण्डहर, कुछ मकान से हैं... वैभव काण्डपाल... हमारा घर...
Rupam singh
एक घर बनाना चाहती हूं 🏠 जिसके दरवाजे पर आपका नाम हो ❤️ ©Rupam singh हमारा घर
Rakhi Raj
पापा, चाचा, भैया हम सबका बचपन बीता जहाँ पर प्यारी प्यारी यादों का केंद्र" हमारा पुराना घर " बचपन में चढ़ के घर की छत पर आसमान में उड़ते जहाज को हाथ हिलाते थे छम छम बरसते बारिश के पानी में कागज की नांव चलाते थे होता था खजाना बाबा के थैले में वो ज़ब भी घर को आते थे खिला पिला के बाबा हमको, बैठा कर कंधे पर अपने दुनियां भर की सैर कराते थे स्कूल जाने के नाम पर मैं मुँह बनाता था बाकी बच्चों की तरह स्कूल मुझे भी कम ही भाता था रोज बना कर नया बहाना मैं घर को भाग आता था हुए परेशान मुझसे पापा.. फिर हुआ एडमिन दूर स्कूल में, तब कोइ बहाना काम नी आते थे क्योंकि रोज अपनी साइकल पर बैठा पापा मुझे स्कूल छोड़ कर आते थे वो सुकून कहाँ अब नींद में जो खुले आसमान के नीचे सोने में पाते थे कभी छेड़ते, कभी डांटते, कभी चाचा मुझे लाड लड़ाते थे जुगनुओं से चमकते तारों की छाँव में हम बतियाते बतियाते सो जाते थे सुबह बड़े से पतीले में माँ ओर चाची चाय बनाती एक साथ बैठा कर सबको चाय पिलाती अब जो हम बड़े हो गये, बाबा का कंधा, पापा की साइकल, कागज की नाव, सब पीछे रह गये सबके बन गये नए नए घर अकेला रहा गया "हमारा पुराना घर " #हमारा पुराना घर
Dalveer Singh
हमारा घर छोडकर जाना पराए शहर में बस जाना अंजान लोगों के बीच रहना अपनो को याद करते रहना चाह कर भी अपने दोस्तों से बात ना कर पाना हमारा दिल करता है अपने गांव में फिर से जाकर बस जाना मगर भविष्य की चिंता आगे बढ़ते जाना फिर से लौट कर वापस गांव आना वही प्यार वही मस्ती दुबारा दोस्तों के साथ करना कुछ दिन बाद छुट्टी के दिन ख़त्म हो जाना फिर से पराए शहर वापस लौट जाना हमारा घर छोडकर जाना पराए शहर में बस जाना पराए शहर में बस जाना। ©Dalveer Singh #हमारा घर Lohit Tamta
Alok Kumar
क्या हे विद्यालय विद्या का मंदिर है विद्यालय विद्या का भवन है विद्यालय शिक्षा का सागर है विद्यालय आदर्शो की खुली किताब है विद्यालय जहां पहला अक्षर बोलना सीखते वह है विद्यालय जहां सपना देखना शुरु करते वह जगह है विद्यालय जहां जाति धर्म का भेदभाव ना हो वह है विद्यालय बिना हार माने जहां कोशिश करना सीखें वह हैं विद्यालय दोस्तों के साथ कक्षा छोड़ भागते वह जगह है विद्यालय जहां पहला प्यार मिले वह जगह है विद्यालय जहां बिना किसी बंधन के खुली सांस लेते वह जगह है विद्यालय शिक्षकों के हाथों पीटते वह जगह है विद्यालय जहां हार जीत का मतलब सीखते वह है विद्यालय जहां कामयाबी का रास्ता पकड़ते वह जगह है विद्यालय जहां जाकर अपना समय याद कर रोते वह जगह है विद्यालय ©Alok Kumar विद्यालय
vijay Avsm Poetry
विद्यालय ऐसा जिसमे खिल रही ज्ञान और संस्कारो की फुलवारी है। अनुभवी अध्यापको और नयी टेक्नोलोजि द्वारा मिल रही बच्चो को शिक्षा सारी है। ©vijay Avsm Poetry विद्यालय
ranjit Kumar rathour
मुझे अपना घर बनाने की पड़ी है लेकिन जो हमारा था उसका क्या जहां देखे थे सपने घरौंदा बनाने के वक्त और उसी घर मे बनाया था,चंद ईंटे जोड़ कर एक छोटा सा घर जिसमे थी तीन भाइयों के लिए कमरे माँ बाबूजी और दादी के लिए भी था बहन के लिए एक बना रखे थे कमरे दीवाली के दिन सबने मिल उसे रंगाय था हमसबने मिल कर बारी बारी लेकिन आज वो घरौंदा वाला घर वीरान सा पड़ा है अगर उसमे ईंट डालनी हो तो कहते मुझे अपना वाला बनाना है हा जो मैं शहर में बना रहा हूँ इसमे कोई बुराई भी नही पापा ने भी उसी तरह घर बनाया होगा अपने सपनो के करीने से सजाया होगा अगर वो नही होते तो ,सोचो हम कहा होते क्या उसकी दरकती दीवारों के लिए मेरी कोई जिम्मेवारी नही चूती हुई छत में सीमेंट डालना तो बनता है न हा हम कम रहते वहां त्योहारों में जाते छोटका बाबूजी के संग उसी घर मे रहता है आनी जानी रिश्तेदारी सब वही तो है और मेरा घर जैसा है लेकिन हमारा तो वही है न कितना खुदगर्ज हो गया हूं मैं अच्छा था वो घरौंदा जिसमे सबकी हिस्सेदारी थी आज तो बस अपना अपना और सिर्फ अपना है लेकिन याद रहे आज मेरी तो कल तेरी बारी है ©ranjit Kumar rathour कहा गया हमारा घर #मेरा और हमारा घर #आज मेरी कल तेरी बारी