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Arpit Mishra

भारत भारती #Poetry

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हां! आज शिक्षा मार्ग भी संकीर्ण होकर क्लिष्ट है,
कुलपति सहित उन गुरुकुलो का ध्यान ही अवशिष्ट है।
बिकने लगी विद्या यहां अब , शक्ति हो तो क्रय करो ,
यदि शुल्क आदि न दे सको तो मूर्ख रहकर ही मरो ।










।

©Arpit Mishra भारत भारती

Vishakha Tripathi

भारत भारती #कविता

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dilip khan anpadh

#भारत गौरव #कविता

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भारत गौरव
******
भारत भू पे रहने वालों,बस ये बात बतानी है
अखंड रहे सौभग्य हमेशा,इसकी लाज बचानी है।

झूल गए थे बेटे जिनके,कैसी माँ मर्दानी है?
भरत सिंह और सुखदेव की,हमको याद कहानी है

लक्ष्मी बाई खूब लड़ी थी,झांसी की जो रानी है
हर-हर महादेव का नारा, जन-जन की ही जुबानी है।

वीर सुभाष का बड़बोलापन,जंग रही जिंदगानी है
आजाद रहा वो चंद्र हमेशा,उसने बस ये ठानी है।

गांधी बाबा से ये जीवन,दया-धर्म अपनानी है
जंहा सावरकर अमर हुए,कंहा किसी की मानी है।

वीर शहीदों को जो भुला दे,खून नही वो पानी है
भारत भू के इस गौरव को,क्यों सबने पहचानी है?

सत्य,अहिंसा और निष्ठा को,आज,अभी दुहरानी है
सभ्यता के जनक रहे हम,सब जानी पहचानी है।

जात-धर्म और ईर्ष्या-द्वेष का,क्यों ये ताना-तानी है
एक रहे भारत भू मंडल,अब ये राग मिटानी है।

अमर रहा इतिहास हमारा,क्या चीख-चीख समझनी है
आओ आज गले मिल जाओ, जन-गण-मन अब गानी है।

दिलीप कुमार खाँ"""अनपढ़"" #भारत गौरव

Gal Divya

भारत #fourlinepoetry #भारत्

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#FourLinePoetry इन पुराने खंडर मे इतिहास बोलता है
उन‌ विर योध्धाओ के बलिदन बोलते है
ये मेरी देश कि भुमि कि बात है
यहा सबके दिलो मे भारत बसता है

©Gal Divya भारत

#fourlinepoetry #भारत्

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नाटक

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आधे-अधूरे 


🙉🙊🙈 नाटक

Vrishali G

नाटक

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जीवनाच्या नाटकात
 सहभाग सगळ्यांचा असतो 
पण आपली भुमिका नाही वठली तर सारा तमाशा होऊन जातो नाटक

Arora PR

नाटक #कविता

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Akash Kushwaha

नाटक #Comedy

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Babli BhatiBaisla

नाटक #शायरी

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अज़नबी किताब

नाटक..

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नाटक.. 
रंगमंच... 
कलाकार... 
कला... 
दर्शक.. 
कुछ ऐसा हुआ, 
में रंगमंच पे खड़ी थी, 
और मेरी कला मेरा हाथ थामे |
दर्शक मेरी कला से मुझे पहचानते थे.. 
क्या खूब कला थी, 
खुदा की देख हुआ करती थी |
एक बार बोली बात, 
में जमी को ख़त्म हो ने पर भी निभाती थी, 
कला थी.. 
वचन निभाने की, 
नाटक बन गयी.. 
रंगमंच पे उस खुदा के, 
में आज एक कटपुतली बन गयी...
वचन निभाती नहीं, 
ऐसा सुना है मेने, 
दर्शकों से |
क्या कहु, 
कला खो गयी, 
पर ये कला उनके लिए कायम है,
जो सही में आज भी वचन को समझते है |
कला खुदा की देन होती है, 
खुदा भी ख़ुश होते होंगे मेरे वचन ना निभाने से.. 

-अज़नबी किताब नाटक..
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