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pearls of shayari

ज़िंदगी का गीत ओ मेरे मन-मीत सुनो!
मेरी जिंदगी का गीत सुनो।।
हवाओं में भेजी मेरी प्रीत सुनो।
तुम बन चुके हो मेरी रीत सुनो।।
मौत से नहीं मैं भयभीत सुनो।
जिंदगी हार दूँ, तुम हो मेरी जीत सुनो।।
ओ मेरे मन-मीत सुनो!
मेरी जिंदगी का गीत सुनो।। #जिंदगी #गीत #जिंदगीकागीत #प्रीत #मनमीत #रीत #भयभीत #जीत

Mohan lal gulmyan

शब्द बनेंगे गीत #LOVEGUITAR #विचार

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Ekta Gour

मन ही मन गुन गुनाने लगी हुँ
हा मैं गीत गाने लगी हूँ
तुझे सुनकर मुस्कराने लगी हूँ
गीत खुशी के गाने लगी हूँ
आज मैं जी भर कर मुस्कुराने 
लगी हूँ
दुःखी चेहरे को गीत सुनाकर
हँसाने लगी हूँ
हा आज मैं गीत गाने लगी हूँ
 #सगीत #गीत #खुशी

Keyurika Gangwar

गीत मेरे मीत #Poetry

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Alok Agarwal

एक गीत तेरे नाम

किसी और शहर में रहकर तुम,
मेरे दिल की नगरी में बसती हो क्यूँ
सूखी मिट्टी पर जैसे किसी शबनम की तरह,
हर रोज़ मेरे ख्वाबों में महकती हो क्यूँ
तेरी यादों को मैंने अब, एक स्मारक जो बना लिया है
तुझको शब्दों में पिरोकर, एक गीत मैंने बना लिया है..!!!

सावन में डाली पर खिले, नए पत्ते जैसी हो तुम
कड़ी धूप में किसी वृक्ष की, शीतल छाँया हो तुम
इस अकिंचन कवि के कल्पना को, कागज़ पर उकेरती हुई,
मानो उसके होठों की एक मात्र भाषा हो तुम
और इस भाषा के एक-एक अक्षर को, कंठस्थ मैंने कर लिया है
तुझको शब्दों में पिरोकर, एक गीत मैंने बना लिया है..!!!

हर बार घमंड में मैं, अपने गीत की शुरुआत करता हूं
हर बार तुम मेरे कलम की धार बन, मुझे पिघला देती हो
कई दफ़ा कर ली कोशिश मैंने, शिकायत लिखने की मगर
हर बार अपने श्रृंगार में मोहित कर, तुम मुझे भटका देती हो
और इन्हीं भटकी राहों के अंत को, मैंने मंजिल मान लिया है
तुझको शब्दों में पिरोकर, एक गीत मैंने बना लिया है..!!! #YQDidi #कविता #गीत #शब्द #AlokJiWrites

Alok Agarwal

एक गीत तेरे नाम

किसी और शहर में रहकर तुम,
मेरे दिल की नगरी में बसती हो क्यूँ
सूखी मिट्टी पर जैसे किसी शबनम की तरह,
हर रोज़ मेरे ख्वाबों में महकती हो क्यूँ
तेरी यादों को मैंने अब, एक स्मारक जो बना लिया है
तुझको शब्दों में पिरोकर, एक गीत मैंने बना लिया है..!!!

सावन में डाली पर खिले, नए पत्ते जैसी हो तुम
कड़ी धूप में किसी वृक्ष की, शीतल छाँया हो तुम
इस अकिंचन कवि के कल्पना को, कागज़ पर उकेरती हुई,
मानो उसके होठों की एक मात्र भाषा हो तुम
और इस भाषा के एक-एक अक्षर को, कंठस्थ मैंने कर लिया है
तुझको शब्दों में पिरोकर, एक गीत मैंने बना लिया है..!!!

हर बार घमंड में मैं, अपने गीत की शुरुआत करता हूं
हर बार तुम मेरे कलम की धार बन, मुझे पिघला देती हो
कई दफ़ा कर ली कोशिश मैंने, शिकायत लिखने की मगर
हर बार अपने श्रृंगार में मोहित कर, तुम मुझे भटका देती हो
और इन्हीं भटकी राहों के अंत को, मैंने मंजिल मान लिया है
तुझको शब्दों में पिरोकर, एक गीत मैंने बना लिया है..!!! #YQDidi #कविता #गीत #शब्द #AlokJiWrites
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