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Vikas Sharma Shivaaya'
Kindly like subscribe and share my you tube channel. https://youtu.be/-Lly0hbfkOs कालिदास बोले :- माते पानी पिला दीजिए बड़ा पुण्य होगा. स्त्री बोली :- बेटा मैं तुम्हें जानती नहीं. अपना परिचय दो। मैं अवश्य पानी पिला दूंगी। कालिदास ने कहा :- मैं पथिक हूँ, कृपया पानी पिला दें। स्त्री बोली :- तुम पथिक कैसे हो सकते हो, पथिक तो केवल दो ही हैं सूर्य व चन्द्रमा, जो कभी रुकते नहीं हमेशा चलते रहते। तुम इनमें से कौन हो सत्य बताओ। कालिदास ने कहा :- मैं मेहमान हूँ, कृपया पानी पिला दें। स्त्री बोली :- तुम मेहमान कैसे हो सकते हो ? संसार में दो ही मेहमान हैं। पहला धन और दूसरा यौवन। इन्हें जाने में समय नहीं लगता। सत्य बताओ कौन हो तुम ? . (अब तक के सारे तर्क से पराजित हताश तो हो ही चुके थे) कालिदास बोले :- मैं सहनशील हूं। अब आप पानी पिला दें। स्त्री ने कहा :- नहीं, सहनशील तो दो ही हैं। पहली, धरती जो पापी-पुण्यात्मा सबका बोझ सहती है। उसकी छाती चीरकर बीज बो देने से भी अनाज के भंडार देती है, दूसरे पेड़ जिनको पत्थर मारो फिर भी मीठे फल देते हैं। तुम सहनशील नहीं। सच बताओ तुम कौन हो ? (कालिदास लगभग मूर्च्छा की स्थिति में आ गए और तर्क-वितर्क से झल्लाकर बोले) कालिदास बोले :- मैं हठी हूँ । . स्त्री बोली :- फिर असत्य. हठी तो दो ही हैं- पहला नख और दूसरे केश, कितना भी काटो बार-बार निकल आते हैं। सत्य कहें ब्राह्मण कौन हैं आप ? (पूरी तरह अपमानित और पराजित हो चुके थे) कालिदास ने कहा :- फिर तो मैं मूर्ख ही हूँ । . स्त्री ने कहा :- नहीं तुम मूर्ख कैसे हो सकते हो। मूर्ख दो ही हैं। पहला राजा जो बिना योग्यता के भी सब पर शासन करता है, और दूसरा दरबारी पंडित जो राजा को प्रसन्न करने के लिए ग़लत बात पर भी तर्क करके उसको सही सिद्ध करने की चेष्टा करता है। (कुछ बोल न सकने की स्थिति में कालिदास वृद्धा के पैर पर गिर पड़े और पानी की याचना में गिड़गिड़ाने लगे) वृद्धा ने कहा :- उठो वत्स ! (आवाज़ सुनकर कालिदास ने ऊपर देखा तो साक्षात माता सरस्वती वहां खड़ी थी, कालिदास पुनः नतमस्तक हो गए) माता ने कहा :- शिक्षा से ज्ञान आता है न कि अहंकार । तूने शिक्षा के बल पर प्राप्त मान और प्रतिष्ठा को ही अपनी उपलब्धि मान लिया और अहंकार कर बैठे इसलिए मुझे तुम्हारे चक्षु खोलने के लिए ये स्वांग करना पड़ा। . कालिदास को अपनी गलती समझ में आ गई और भरपेट पानी पीकर वे आगे चल पड़े। शिक्षा :- विद्वत्ता पर कभी घमण्ड न करें, यही घमण्ड विद्वत्ता को नष्ट कर देता है। ©Vikas Sharma Shivaaya' कालिदास #rain
कमलेश मिश्र
*कालिदास* उसी डाल को काट रहे हैं,देखो बैठे कालिदास। जिनसे विश्व लगाए बैठा, है सेवा की पूरी आस। माता पिता बड़ा करते हैं, जिन्हें काटकर अपना पेट। जिनके द्वारा बने हुए हैं, आज पुत्रगण भारी सेठ। उनकी जरा अवस्था में भी,नहीं लगाते उनको पास। उसी डाल को काट-----। जिन्हें पिता ने ऋण लेकर भी,अच्छी शिक्षा दिलवाई। वक्त पड़ा तो भूल गए सब,पीठ उन्होंने दिखलाई। बूढ़े बापू को मिलता है, अपने बच्चों से ही त्रास। उसी डाल को काट-----। मातृ पितृ ऋण चुका न पाए,देवों का आभार नहीं। वे समाज को क्या देंगे,जिन्हें परिवारों से प्यार नहीं। बीवी बच्चों से बढ़कर उन्हें,कुछ भी दिखता नहीं खास। उसी डाल को काट ------। सेवा के हित करें नौकरी, सेवकपन का नाम नहीं। बिन रिश्वत के होता अब, दफ्तर में कोई काम नहीं। मलिक जैसा रौब दिखाते, बतलाते अपने को दास। उसी डाल को काट-----। जनता के सेवक बनकर जो,हाथ जोड़कर मांगें वोट। मालिक बन जाने पर उनके,गद्दों में भी निकलें नोट। अपनी जेबें भरते उनसे, नहीं देश को कोई आस। उसी डाल को काट-----। उसी डाल को काट रहे हैं देखो बैठे कालिदास।। ©कमलेश मिश्र महाकवि कालिदास.....
Parasram Arora
दीवानगी क्या हैँ..... ये पूछना उसीसे जिसके जीवन मे सुगंध हो जिसके जीवन मे कोई स्वाद हो पूछना उसी से शराब की बात जिसकी श्वासो मे शराब घुली हो जिसके आस पास थोड़ी मस्ती की हवा हो हर किसी से मत पूछ बैठना... हर किसी की बात मत मान लेना नासमझ बहुत हैँ कायर बहुत हैँ आलोचक बहुत हैँ लेकिन जिन्दगी को जानने वाले बहुत कम हैँ शब्दकोश और कालिदास मे बड़ा फर्क हैँ शब्दकोश और कालिदास ........
Ganesh Din Pal
संस्कृत किस तरह भारत की नींव है- ●भारत सरकार👉 सत्यमेव जयते ●लोक सभा👉 धर्मचक्र प्रवर्तनाय ●उच्चतम न्यायालय👉 यतो धर्मस्ततो जयः ●आल इंडिया रेडियो👉 सर्वजन हिताय सर्वजनसुखाय ●दूरदर्शन👉 सत्यं शिवं सुन्दरम् ●गोवा राज्य👉 सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद् दुःखभाग्भवेत्। ●भारतीय जीवन बीमा निगम👉 योगक्षेमं वहाम्यहम् ●डाक तार विभाग👉 अहर्निशं सेवामहे ●श्रम मंत्रालय👉 श्रम एव जयते ●भारतीय सांख्यिकी संस्थान👉 भिन्नेष्वेकस्य दर्शनम् ●थल सेना👉 सेवा अस्माकं धर्मः ●वायु सेना👉 नभःस्पृशं दीप्तम् ●जल सेना👉 शं नो वरुणः ●मुंबई पुलिस👉 सद्रक्षणाय खलनिग्रहणाय ●हिंदी अकादमी👉 अहं राष्ट्री संगमनी वसूनाम् ●भारतीय राष्ट्रीय विज्ञानं अकादमी👉 हव्याभिर्भगः सवितुर्वरेण्यम् ●भारतीय प्रशासनिक सेवा अकादमी👉 योगः कर्मसु कौशलम् ●विश्वविद्यालय अनुदान आयोग👉 ज्ञान-विज्ञानं विमुक्तये ●नेशनल कौंसिल फॉर टीचर एजुकेशन👉 गुरुर्गुरुतमो धाम ●गुरुकुल काङ्गडी विश्वविद्यालय👉 ब्रह्मचर्येण तपसा देवा मृत्युमपाघ्नत ●इन्द्रप्रस्थ विश्वविद्यालय👉 ज्योतिर्व्रणीत तमसो विज्ञानन ●काशी हिन्दू विश्वविद्यालय:👉 विद्ययाऽमृतमश्नुते ●आन्ध्र विश्वविद्यालय👉 तेजस्विनावधीतमस्तु ●बंगाल अभियांत्रिकी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय, शिवपुर👉 उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान् निबोधत ●गुजरात राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय👉 आनो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः ●संपूणानंद संस्कृत विश्वविद्यालय👉 श्रुतं मे गोपाय ●श्री वैंकटेश्वर विश्वविद्यालय👉 ज्ञानं सम्यग् वेक्षणम् ●कालीकट विश्वविद्यालय👉 निर्भय कर्मणा श्री ●दिल्ली विश्वविद्यालय👉 निष्ठा धृति: सत्यम् ●केरल विश्वविद्यालय👉 कर्मणि व्यज्यते प्रज्ञा ●राजस्थान विश्वविद्यालय👉 धर्मो विश्वस्य जगतः प्रतिष्ठा ●पश्चिम बंगाल राष्ट्रीय न्यायिक विज्ञान विश्वविद्यालय👉 युक्तिहीने विचारे तु धर्महानि: प्रजायते ●वनस्थली विद्यापीठ👉 सा विद्या या विमुक्तये। ●राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद्👉 विद्याsमृतमश्नुते। ●केन्द्रीय विद्यालय👉 तत् त्वं पूषन् अपावृणु ●केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड👉 असतो मा सद्गमय प्रौद्योगिकी महाविद्यालय, त्रिवेन्द्रम👉 कर्मज्यायो हि अकर्मण: ●देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इन्दौर👉 धियो यो नः प्रचोदयात् ●गोविंद बल्लभ पंत अभियांत्रिकी महाविद्यालय, पौड़ी👉 तमसो मा ज्योतिर्गमय ●मदनमोहन मालवीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय गोरखपुर👉 योगः कर्मसु कौशलम् ●भारतीय प्रशासनिक कर्मचारी महाविद्यालय, हैदराबाद👉 संगच्छध्वं संवदध्वम् ●इंडिया विश्वविद्यालय का राष्ट्रीय विधि विद्यालय👉 धर्मो रक्षति रक्षितः ●संत स्टीफन महाविद्यालय, दिल्ली👉 सत्यमेव विजयते नानृतम् ●अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान👉 शरीरमाद्यं खलुधर्मसाधनम् ●विश्वेश्वरैया राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, नागपुर👉 योग: कर्मसु कौशलम् ●मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान,इलाहाबाद👉 सिद्धिर्भवति कर्मजा ●बिरला प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान, पिलानी👉 ज्ञानं परमं बलम् ●भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर👉 योगः कर्मसुकौशलम् ●भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई👉 ज्ञानं परमं ध्येयम् ●भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर👉 तमसो मा ज्योतिर्गमय ●भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान चेन्नई👉 सिद्धिर्भवति कर्मजा ●भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की👉 श्रमं विना नकिमपि साध्यम् ●भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद👉 विद्या विनियोगाद्विकास: ●भारतीय प्रबंधन संस्थान बंगलौर👉 तेजस्वि नावधीतमस्तु ●भारतीय प्रबंधन संस्थान कोझीकोड👉 योगः कर्मसु कौशलम् ●सेना ई एम ई कोर👉 कर्मह हि धर्मह ●सेना राजपूताना राजफल👉 वीर भोग्या वसुन्धरा ●सेना मेडिकल कोर👉 सर्वे संतु निरामया .. ●सेना शिक्षा कोर👉 विद्यैव बलम् ●सेना एयर डिफेन्स👉 आकाशेय शत्रुन् जहि ●सेना ग्रेनेडियर रेजिमेन्ट.👉 सर्वदा शक्तिशालिम् ●सेना राजपूत बटालियन👉 सर्वत्र विजये ●सेना डोगरा रेजिमेन्ट👉 कर्तव्यम् अन्वात्मा ●सेना गढवाल रायफल👉 युद्धया कृत निश्चयः ●सेना कुमायू रेजिमेन्ट👉 पराक्रमो विजयते ●सेना महार रेजिमेन्ट👉 यश सिद्धि? ●सेना जम्मू काश्मीर रायफल👉 प्रस्थ रणवीरता? ●सेना कश्मीर लाइट इंफैन्ट्री👉 बलिदानं वीर-लक्ष्यम्? ●सेना इंजीनियर रेजिमेन्ट👉 सर्वत्र ●भारतीय तट रक्षक-वयम् रक्षामः ●सैन्य विद्यालय👉 युद्धं प्रगायय? ●सैन्य अनुसंधान केंद्र👉 बलस्य मूलं विज्ञानम् ●नेपाल सरकार👉 जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी ●इंडोनेशिया-जलसेना 👉 जलेष्वेव जयामहे (इंडोनेशिया) - पञ्चचित ●कोलंबो विश्वविद्यालय- (श्रीलंका)👉 बुद्धि: सर्वत्र भ्राजते ●मोराटुवा विश्वविद्यालय (श्रीलंका)👉 विद्यैव सर्वधनम् पेरादे पञ्चचित ●पेरादेनिया विश्वविद्यालय👉 सर्वस्य लोचनशास्त्रम् - - - - हम भारतीय हैं और संस्कृत हमारी पहचान है, हमें अपने गौरव का अभिमान है। ©Ganesh Din Pal #संस्कृत