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3 Little Hearts
निपट अकेले रोने से जी हल्का होता है, कोई नहीं पूछने वाला तू क्यों रोता है ? ये वे पल हैं जो नितान्त मेरे अपने पल हैं, यहाँ मौन ही अब मेरी कविता का श्रोता है । घर से बाहर रहने का अभ्यास कर रहा हूँ, ऐसा लगता है जैसे कुछ ख़ास कर रहा हूँ । ©Vishnuuu X #पल #मौन #कविता
DR.Akash Kumar
पल पल तरसते थे,एक पल के लिए वह पल भी आया ,एक पल के लिए सोचा उस पल को रख लूं हर पल के लिए पर वह पल भी ना रुका एक पल के लिए ©DR.Akash Kumar पर पल
Sonam
ढलती शाम से मिलकर जब वो आती है, समुंदर की लहर सी हिलोरें खाती है, सुबह की किरण जब उससे जगाती है, वो अधखुले आंखों में सपने भर जाती है, वो हौंसलों से शर्त भी लगाती है, वो नाउम्मीदी के तमगे भी सजाती है, वो कहती एक सार रहना क्या है, वो कहती बेसुवादी को चखना क्या है, वो आधे को दुगना भी कभी कर जाती है, वो हालातों में अपने जूझती ही जाती है हर मिजाज़ के पन्ने पलटती जाती है, जिंदगी को इस कदर बेबाक जी जाती है। #DearZindagi # नजरिया #जिंदगी # कविता # पल
Nainesh Patwa
मेरे बचपन की बारिश भी बड़ी हो गई ऑफिस की खिड़की से जब देखा मैंने मौसम की पहली बरसात को बादल पर नाचती बूंदों की बारात को एक बच्चा मुझसे बचकर भागा था भीगने बाहर रोका बड़प्पन ने मेरे पकड़ के उसके हाथ को बारिश और मेरे बीच एक दीवार खड़ी हो गई लगता है मेरे बचपन की बारिश भी अब बड़ी हो गई दो बूंदे कांच की दीवार पर खटखटा रहे थे मैं उनके साथ खेलता था कभी शायद इसीलिए बुला रहे थे पर तब मैं छोटा था और यह बात बड़ी थी तब घर वक़्त पर जाने की किसे पड़ी थी अब तो बारिश पहले राहत फिर आफत बन जाती है जो गरज पहले लुभाती थी अब वही डराती है मैं डरपोक हो गया और बदनाम यह सावन की झड़ी हो गई लगता है मेरे बचपन की बारिश भी अब बड़ी हो गई जिस पानी में छपाके लगाते थे उस में कीटाणु दिखने लगे खुद से ज्यादा यह फ़िक्र कि कहीं लैपटॉप ना भीगने लगे जब स्कूल में जब था तो दुआ थी की बरसे बेहिसाब की छुट्टी हो जाए अब भीगे तो डरे की कहीं ऑफिस की छुट्टी ना हो जाए सावन जब चाय और पकौड़े के इंतजार में इतमीनान से कटता था वो वक़्त वो घड़ी बड़े होते होते कहीं खो गई लगता है मेरे बचपन की बारिश भी बड़ी हो गई । नैनेश पटवा मेरी डायरी कुछ खट्टी कुछ मीठी #कविता#बारिश#पुरानीयादें#यादगार पल#
Ajay Nema
तुम भोर की पहली किरण मैं अंतिम निशा पहर आओ मिलें कुछ इस तरह के वक़्त जाए ठहर तुम मुझमें समाहित हो मैं तुममें डूब जाऊँ पल दो पल का जीवन है वो पल भुला न पाऊँ -स्वरचित अजय नेमा #पल#कविता#शायरी#nojoto#nojotofamily