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Purnima rao
खुशिया कम और अरमान बहुत है, जिसे भी देखो परेशान बहुत है ।। करीब से देखा तो निकला रेत का घर। मगर दूर से इसकी शान बहुत है duniya खुशिया कम और अरमान बहुत है, जिसे भी देखो परेशान बहुत है ।। करीब से देखा तो निकला रेत का घर। मगर दूर से इसकी शान बहुत है
☆Danish Raj☆ansari ☆ 7052654917
Amandeep Mangotra
यह किस तरह का ज़िन्दगी का सफ़र है तू साथ भी है और कमी भी तेरी ही है| मैं तो निकला हूँ बन के मुसाफिर यहां आसमां तो सही पर ज़मीं भी तेरी ही है| Adhoora Safar यह किस तरह का ज़िन्दगी का सफ़र है तू साथ भी है और कमी भी तेरी ही है| मैं तो निकला हूँ बन के मुसाफिर यहां आसमां तो सही पर ज़मी
Afrin Jahan
मयखानों में बहुत सारे राज़दार आते है अपने राज़ के साथ.. पर अफसोस सुने वाले सारे होश खोकर बैठते है साथ.... मैख़ाने से तो निकला था होश-ओ-हवास में.. तेरी गली आते ही मैं घर का रास्ता भूल गया.! Prakash jha #prakashjha #prakashjha_shayri #prakash_jha #
Shabaaz Khan
ना मिलता ग़म तो बर्बादी के अफसाने कहाँ जाते, चमन होती अगर दुनिया... तो वीराने कहाँ जाते, चलो अच्छा हुआ अपनों में कोई ग़ैर तो निकला, सभी होते अ
kunwar Surendra
गलतफहमियां है जमाने को कि वक़्त बहुत है मेरे पास उन पर मोहब्बत लुटाने को खुदा ने भेजा है सबको मिलकर रहने को दूरियां मिटाने को, मैं मुसाफ़िर तो निकला अपने सफर पर मोहब्बत की अलख जगाने को, तिजारत मोहब्बत की करने वाले आ बैठे हमको भगाने को kunwarsurendra गलतफहमियां है जमाने को कि वक़्त बहुत है मेरे पास उन पर मोहब्बत लुटाने को,खुदा ने भेजा है सबको मिलकर रहने को दूरियां मिटाने को, मैं मुसाफ़िर तो
Ranveer__Maheshwari
ना मिलता गम तो बर्बादी के अफसाने कहाँ जाते;दुनिया अगर होती चमन तो वीराने कहाँ जाते;चलो अच्छा हुआ अपनों में कोई ग़ैर तो निकला;सभी अगर अपने होते तो बेगाने कहाँ जाते। ना मिलता गम तो बर्बादी के अफसाने कहाँ जाते; दुनिया अगर होती चमन तो वीराने कहाँ जाते; चलो अच्छा हुआ अपनों में कोई ग़ैर तो निकला; सभी अगर अपने
Raushan Kumar Singh
Mohammad Ibraheem Sultan Mirza
खुशियाँ कम और अरमान बहुत हैं, जिसे भी देखो परेशान बहुत है, करीब से देखा तो निकला रेत का घर, मगर दूर से इसकी शान बहुत है, कहते हैं सच का कोई मुकाबला नहीं, मगर आज झूठ की पहचान बहुत है, मुश्किल से मिलता है शहर में आदमी, यूं तो कहने को इन्सान बहुत हैं, ... मौहम्मद इब्राहीम सुल्तान मिर्जा खुशियाँ कम और अरमान बहुत हैं, जिसे भी देखो परेशान बहुत है, करीब से देखा तो निकला रेत का घर, मगर दूर से इसकी शान बहुत है, कहते हैं सच का को