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The solo pen
* श्रद्धांजलि * चलो देख कर आते हैं वो नदी का किनारा। बहुत सूना सा होगा वो बचपन का सहारा। वहीं इक छोटी कश्ती थी रेत में टिकी हुई। वहीं मिल जाएगा हमको वो टूटा सितारा। हवा ने गिरने न दिया कभी एक भी पत्ता। आज लो सूखा पड़ा है वो पतझड़ का मारा। आज फुर्सत है मिल लो उन बिछड़े हुओ से। जाने फिर कौन दिन आये ये इतवार दुबारा। इरफ़ान खान जो कि आज हमारे बीच में नहीं रहे। वो एक महान अदाकार थे जिन्होंने फिल्मों के माध्यम से और टीवी के माध्यम से हमें अपने काम से मंत्रम
मनचला
जाना चाहता हूं उन गलियों में... जहां मेरा बचपन गुजरा था... जीना चाहता हूं वो पुराने पल, किस्से जो यारोने यादगार बनाए थे..। बचपन... मिले मौका तो फिर से बच्चा बन जाऊ.. बन के पतंग आसमान चुम आऊ.. उन पुरानी गलियों के रास्तों पर घूम आऊ.. उन गलियों के चौराहोपर बैठ गप्पे
VATSA
दिन भर टीवी के सामने बैठे है हम हिन्दू हैं, कह कह के ऐंठे है ना ताके हमको, ना करे दुलार अरजिया हमरी सुन लो सरकार सजना निठल्लू होई गए.... काम दिला दो इनको, एहसान करो जीने दो, ना हिन्दू मुसलमान करो चार महीने से, बैठे है बेकार अरजिया हमरी सुन लो सरकार सजना निठल्लू होई गए... जहां बोले स्याही लगा आए थे उ पंजे वालों को भगा आए थे हम का जानी, हम तो अनपढ़ गंवार अरजिया हमरी सुन लो सरकार सजना निठल्लू होई गए... सुनत हैं तुम कौनो कानून लाए हो का चटाई लड़िकन के? नून लाएं हो? तू निरबंसिया, दुई ठो लडिका हमार अरजिया हमरी सुन लो सरकार सजना निठल्लू होई गए... #सरकार #वत्स #vatsa #dsvatsa #illiteratepoet #yqhindi #हिंदी_कोट्स_शायरी #caa दिन भर टीवी के सामने बैठे है हम हिन्दू हैं, कह कह के ऐंठे है
Jyotish Jha
सोचा था नहीं लिखूंगा अब से तकलीफ होती है... कही न कही खुद की सोच और दिल को ठेस पहुँचती है समझने में एक अलग सी पीड़ा होती है... मैं नहीं जानता एल्विस यादव को या फिर आमिर सिद्दीकी को और न ही जानना चाहता हु कैरी मिनाती (Carry Minati) और फैसु जैसे व्यक्तित्व को यह कैसा इन्फ्लुएंसर है जो आगे आगे माँ-बहन-बेटियों की आवाज़ बुलंद करते है और पीठ पीछे उसकी ही गाली देने मै जरा सा संकोच नहीं करते शर्म आती है इस घिन्न-नोने समाज पर जो आज कल ट्रेंड कर रहा है यूट्यूब और टिक्टक का यह अलग ही लफड़ा है #drjyotishwrites #youtubevstiktok क्या आपको पता है आप क्या बोल रहे हो कभी उसे पर ध्यान दिया है? Youngsters... न्यूज़ पेपर से ले कर टीवी के
Akshit Ojha
"बचिए" मुस्कुराने से किसने रोका है मगर इजहार से बचिए नजरें मिलाइए हाथ मिलाइए मगर प्यार से बचिए करार हो गया गर तो होकर रहना ही है एक दूजे का अगर सोचा नही दूर का तो करार से बचिए लड़ाई झगड़े ही होते हैं नींव दस्तान_ए_मुहब्बत का गर खवायिसें हैं मुसलसल हयात की तो यूं हो रहे तकरार से बचिए आफ़रीन की जाल में फंस जाते हैं अच्छे अच्छे सुकून की हसरत है Aksh तो कनीजों के इख्तियार से बचिए रफीक और दुश्मन बनते बिगड़ते रहते हैं उम्र भर महफूज़ रहे आपकी सखासियत इसलिए पीठ पीछे हो रहे वार से बचिए दिवाली होली रोजा क्रिसमस हर जसन में शिरकत करें हम सब साहब परहेज़ हो खुशियों से गर तो त्योहार से बचिए चाहते हैं कि न पड़े खलल आपकी सुकून भरी जिंदगी में तो मियां अखबारों और टीवी के इस्तिहार से बचिए विभीसन जैसों ने ही ढहाए हैं कई ईमारत इरादतन रकीब के साथ साथ अपनों में छिपे अय्यार से बचिए गैर के होने से कहां रह जाता है मकान अपने जैसा मियां बेहोश सा जीना हो तो किरायेदार से बचिए सुलह कराने वाले ही अक्सर उलझा देते हैं मसला तौबा हो की नौबत ना आए आपसी दरार से बचिए— % & #cinemagraph #aksh #followformore #minewords #yourquotebaba #yourquotedidi #collab
Divyanshu Pathak
इसके बाद मां- बाप जो कुछ भी सिखाते हैं उसको पहले अपने अनुभवों से काम लेने या नाप-तोलने का आधार बना लेते हैं। जब तक एक पक्षीय जीवन दिशा रहती है वही कन्या काल है। लड़कियां संवेदनाओं में अधिक गहरी होती हैं। अत: प्रकृति उनको जल्दी जीवन-संग्राम में उतार देती है। लड़कों को परिपक्व होने में अधिक समय लगता है एक लड़की- एक लड़के की तुलना में अधिक संकल्पवान होती है जब कि लड़का विकल्पों में अधिक भटकता है। कभी भी माया के झपट्टे में आ सकता है। जैसे-जैसे लड़कियों में पौरूष बढ़ रहा है वे भी झपट्टों का शिकार होने लगी हैं। 💕💞🐇शुभरात्री🐇🐇💕💞💞 ☕ घर के बदलते वातावरण,स्वतंत्रता की जगह स्वच्छन्दता की मां- बाप के मन की छटपटाहट,झूठ के अनेक मुखौटे भी अपना प्रभाव जमाते ह
Disha Shantanu Sharma
समय (अनुशीर्षक में पढ़े) मैं समय हूं यह अक्सर हम 90 के दशक के लोगो ने रविवार के दिन अपनी टीवी के स्क्रीन पर सुना होगा । हां मैं समय हूं और समय ना बुरा होता है और ना
कौशिक
मजदूर हूं मै हां मजदूर हूं मैं पर उस से कहीं ज्यादा मजबूर हूं मैं दिन भर मेहनत कर पसीना बहाता हूं तब कहीं मुठ्ठी घर कमाता हूं
Er.Shivampandit
विविधता में एकता ©Er.Shivam Tiwari #विविधता_में_एकता दिन भर घर के बाहर की सड़क पर ख़ूब कोलाहल रहता है और सांझ ढलते सड़क के दोनों किनारों पर लग जाता है मेला सज जाती हैं दुकानें
Dr Jayanti Pandey
भ्रष्टाचार विरोधी दिवस...... (कृपया पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़ें) भ्रष्टाचार विरोधी दिवस मनाने को चिट्ठी पहुंची हर दफ्तर हर थाने को। प्रधानाचार्य जी भी अति उत्साहित थे उच्च आदर्श सिखाने को बड़े समर्पित थ