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Vidhi
महिलाओं से जुड़ी बस इतनी ही खबरें हैं: -दीपिका के कपड़ों के दाम सुन कर आप दंग रह जाएंगे VS डेढ़ साल की बच्ची का बलात्कार एक आदमी ने अपने बच्चों के सामने किया। -महिला वैज्ञानिकों और खिलाड़ियों का कमाल VS सौ साल की वृद्धा के साथ बलात्कार। -औरतों ने सामूहिक रूप से करवाचौथ/छठ का पर्व मनाया VS पति ने अपनी बीवी का चेहरा तेजाब से जलाया। #भारत #औरतें #समाज #YQbaba #YQdidi "यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः"
Poet.sonam
Quotes of Adi
"Yesterday , Today & Tomorrow" Everyday Women is Respected !!! यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र सर्व देवता। #happywomensday #worldwherewomen #સ્ત્રી #औरत #respectwomen YourQuote Baba YourQuote Di
Shivangi Priyaraj
अन्तर्राष्ट्रीय-महिला-दिवस्य शुभाशयाः।। यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः। यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफला: क्रिया:॥ जहाँ स्त्रियों का सम्मान होता है, वहाँ देवता रमण करते हैं । जहाँ उनका का सम्मान नहीं होती, वहाँ सब काम निष्फल होते हैं। .... ©Shivangi Priyaraj अन्तर्राष्ट्रीय-महिला-दिवस्य शुभाशयाः।। यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः। यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफला: क्रिया:॥ जहा
anjan_shayar
समस्त नारी शक्ति को नमन एवं *करवा चौथ* की हार्दिक शुभकामनाएं। मनुष्य सदैव आपका *ऋणी* रहेगा। आपने *जन्म दिया,शिक्षा दी*प्रथम *गुरु* हैं आप।। कभी *माँ बनकर जन्म* कभी *बहन* बनकर राखी तो कभी *सुहागन* बन के लंबी आयु की कामना तो *पुत्री* बन के गौरवान्वित करवाया।। हम या समाज आपका यह *ऋण* कभी उतार नही पाएंगे। *हे नारी शक्ति सहस्रों नमन* *यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:* @anjan_shayar समस्त नारी शक्ति को नमन एवं *करवा चौथ* की हार्दिक शुभकामनाएं। मनुष्य सदैव आपका *ऋणी* रहेगा। आपने *जन्म दिया,शिक्षा दी*प्रथम *गुरु* हैं आप।।
Anita Saini
घूँघट पौराणिक, वैदिक हिंदू संस्कृति का अंग न था स्त्री पुरूष के रहन सहन में भेदभाव का रंग न था स्त्री के अस्तित्व पर अवांछित प्रतिबंध न था लोक लाज का घूँघट से वांछित संबंध न था स्त्री को भी शिक्षा शास्त्रार्थ का समान अधिकार था मनवांछित जीवन साथी, वर चुनने का अधिकार था योग्य वर की खोज में पिता पुत्री का स्वयंवर करते थे देश परदेश के विशिष्ट अतिथियों में से श्रेष्ठ वर चुनते थे तब यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवताः जीवन का आधार था उस समय पुरूष को स्त्री का स्वतंत्र रूप स्वीकार था शनै शनै विदेशी आक्रांताओं के अधीन होते गए मन कर्म के साथ बुद्धि विवेक भी मलिन होते गए। तुर्कों की कुदृष्टि से बचाने को स्त्री को घूँघट ओढ़ाने लगे विचार बदलते गए स्त्री स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाने लगे! बाद इसके ये हिंदू संस्कृति संस्कार का अभिन्न अंग बन गया स्त्री के गुण अवगुणों को परखने का समाज का ढंग बन गया अगर स्त्री वेशभूषा पर तर्क दे वो मुँहफट निर्लज्ज होती है हाँ! पर पुरूष के भद्दे कटाक्ष सही व नीयत स्वच्छ होती है घूँघट पौराणिक, वैदिक हिंदू संस्कृति का अंग न था स्त्री पुरूष के रहन सहन में भेदभाव का रंग न था स्त्री के अस्तित्व पर अवांछित प्रतिबंध न था
प्रशान्त कुमार"पी.के."
दर्द से कराहती हैं मेरी मातु भारती, कैसे शक्ति स्वरूपा को हम नही पहचानते। "यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:", जानते हैं हम सभी पर क्यों नही मानते। भगिनि, मातु, पत्नी, बेटी शक्ति के स्वरूप हैं सब, फिर भला इनको हम क्यों क्यों कर सताते हैं, रिश्तों को कर दरकिनार, उन पर करते हैं वार, उनके सुख दुखों अपने जैसा क्यों नही जानते।। एक महिला जो निज धरा धाम रूपी अंक में अपना स्नेह प्रदान करती है...... - : भारत मां एक महिला जिसने मुझे जन्म दिया...... एक महिला जो रातों जागकर हमेशा हमें लोरियां सुनाकर सुलाती रही...... एक महिला जिसने हमेशा हमें निज अंक रूपी स्वर्ग प्रदान कर निज आँचल में दुग्धपान कराया........ एक महिला जो निज परिवार के लिए दिन रात एक करके हमारा ध्यान रखती है.... एक महिला जो निज जन्मदात्री माँ का आंगन त्यागकर बलिदान दे दिया..... - : मेरी जन्मदात्री माँ एक महिला जिसने हमेशा निज भाई के उस परमपिता परमात्मा से दीर्घायु होने की कामना से मेरी कलाई पर प्रतिवर्ष रक्षासूत्र बांधती है...... - : मेरी बहन महिलायें जिन्होंने निज देश के स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी भूमिका निभाई.... - : भारतीय वीरांगनाएं इस महिला दिवस पर इस शक्ति स्वरूपा को शत शत प्रणाम।। प्रशान्त कुमार"पी.के." साहित्य वीर अलंकृत आशुकवि पाली हरदोई दर्द से कराहती हैं मेरी मातु भारती, कैसे शक्ति स्वरूपा को हम नही पहचानते। "यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:", जानते हैं हम सभी प
Divyanshu Pathak
नारी को ईश्वर ने नर से हजार गुणा ज्यादा शक्तियां देकर, ज्यादा व्यावहारिक समझ देकर पैदा किया है। वह सृष्टि का एक गतिमान तत्व है। परिवार,समाज और संस्कृति का वह निर्माण करती है। नारी शरीर से नहीं,नारीत्व से करती है। स्त्रैण बनकर करती है। जब वह पुरूष से अच्छा पढ़ सकती है, उससे अच्छी नौकरी कर सकती है, तब उसकी नकल क्यों करना चाहती है। वह खूब आगे भी बढ़े और अपने प्राकृतिक स्वभाव को भी पूर्ण रूप से विकसित करती रहे। 💕🍫🙏🍧🍩🍨😊🙏🍹🍹💕 सुप्रभातम साथियो मेरे जीवन का एक साल और मैंने जी लिया है। ईश्वर की कृपा और आप का प्रेम मुझे सुखद एहसास देते रहे हैं। गुजरे वक़्त