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R A
रास्ते सुनसान थी हमारे चारों तरफ अंधेरों में,एक छोटी सी टीम टीम लाइट थी तभी थोड़ी दूर में एक आहट सुनाई दी पीछे मुड़कर जब देखा तो मानो एक परछाई थी दिल घबराया थोड़ी डर के मारे शरीर कप कपाया फिर समझ में आया यह भर्म है हा जब पिछे मुड़ कर देखा,साले मेरे अपने ही दोस्त खड़े थे ©R A पीछे मुड़ा
Izahar Rashid
एक भूला बिसरा ज़माना याद आया कुछ लोग याद आए कुछ फसाना याद आया कुछ अंजाने साथ थे अपनों की तरह कुछ अपने साथ थे अंजानों की तरह जब पीछे मुड़ कर देखा हर सुबह एक नया सवेरा था सोई थी किस्मत ज़िंदगी में अंधेरा था बैचेनी थी जिंदगी में सब कुछ पा कर संभलना न सीखा कई बार ठोकर खा कर जब पीछे मुड़ कर देखा कुछ दुश्मन थे आंखों में प्यार ले कर कुछ दोस्त थे आस्तीन में सांप ले कर आंखों में सपने थे किसी का प्यार लिए दिल में कुछ जज़बात थे चंद अल्फाज़ लिए जब पीछे मुड़ कर देखा राहों पर राहें जुड़ती रहीं चलता रहा मैं और मंज़िल दूर होती गईं ©Izahar Rashid #aahat पीछे मुड़ा........
Aslam Khaan
यह मुड़ा हुआ कागज नहीं है,धोखा है यह एक कर्म है, भले ही आप इसे नहीं पढ़ते हैं, मुझे लिखने की लत है ©Aslam Khaan यह मुड़ा हुआ
Shakuntala Sharma
बहुत दिनों से उसका दीदार नही किया मैंने । अब तो दिल की तसल्ली ने भी मुझे जवाब दे दिया था । मेरे दिल का चैन भी मेरी बैचैनी को बढ़ाये जा रहा है । काश एक बार उससे मुलाखात हो जाती तो जीने की तमन्ना फिर से जाग जाती । मुझे याद है। जब वह आखिर बार मुझसे मिलने आई तो उसे स्पर्श कर ने को मन कर रहा था । यह मेरी गुस्ताकी थी। कि कभी कह ही नही पाई कि हम उसे बहुत ज्यादा प्यार करते है। उसका और मेरा साथ यही तक था । यह सोच कर अपने कमरे में चली गई।सुबह की ट्रेन से वह वापस लौट जायेगी ' । पर जब तक है। में उसे जी भर देख लू ' सारी रात आखों में नींद नही थी । उसका उदास चेहरा मुझ से देखा नही जा रहा था। सब कुछ एक ही पल में समेट कर जा रही थी वह ' । हम कैसे जीयेगे और कैसे रुक पायेगे । मुंह से शब्द भी नही निकल पा रहे थी। बहुत गिड़गिड़ाई और बहुत रोई तड़पी दिल से एक आवाज आ रही थी । मत जाओं . रुक जाओं . पर वह और में दोनो ही मजबूर थे। सोचा था कि एक साथ रह कर एक दूसरे का सहारा बन जायेगा। और हमारी जिन्दगी कट जायेगी । सब कुछ बेकार था ' शायद वक्त की मार ने एक ऐसा डंडा मारा कि एक साथ सभी घायल हो चुके थे। सुबह पाँच बजे वाली ट्रेन हमारे रास्ते अलग कर देगी । अचानक उसके कदमों की आहट सुनते ही मैंने पीछे मुड़कर देखा तो वह मेरे सामने खड़ी थी । मुझे खुद पर विश्वार - नही था। इसी लिये मैंने उससे पूछा क्या में आप को छु सकती हु आखिर बार । उसने कहां हां . शायद मेरा मन रखने को कह दिया था । मैने अपना हाथ उसके गाल पर रखा . और कहां जा रहे हो । अपना ख्याल रखना । वह चुपचाप से कार में बैठी और कार वहाँ से रवाना हो गई। कार के जाने की आवाज से में बाहर आई ' पर वह जा चुकी थी। धीरे धीरे वापस में अपने घर की तरफ चलने लगी। कुछ दुर जाने के बाद .. मेरे कानों में उसके कदमों की आवाज आई । कदमों की आहट सुनते ही में पीछे मुड़ी तो देखा कि वह मेरे सामने खड़ी है। और उसे देखते ही मेरी आखों से अश्कों की धारा बहने लगी । मुझे अनचाही मुराद मिल गई । । ©Shakuntala Sharma # कदमों की आहट सुनते ही पीछे मुड़ा
kanchan
बिना बात की लड़ाई और मेडिकल की पढ़ाई📖 अकसर लड़किया ही करती हैं 😁 ©Rahul Bhati #कॉमेडी #कॉमेडी #वायरल #viral #शायरी #कॉमेडी