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Kunal Raj
अब आपकी तबियत आप जानिये, हमारी तो चूल्हे में जाये। बुरा वक़्त था जाने भी दो, चलिये अब इतिहास बनाये। kunal 'राज' कालचक्र #कालचक्र
Neophyte
कल हम थे खड़े उसी हाशिए पर जहां आज तुम खड़े मुस्करा रहे हो ये जो समय है बड़ा बेवफा है तुम आज इसी समय पर इतरा रहे हो पग डगमगाए थे मेरे भी पर चित्त स्वच्छ रखा था मैंने एक दिन ये समय सबका आया होगा खुद से बस यही कहा था मैंने अब तुम जो ऊर्जा से भरे हो खुद को पर्वत मान तन खड़े हो तुमको भी शीश झुकाना पड़ेगा विधी है इसे दोहराना पड़ेगा कालचक्र ही एक सत्य है सुदिशित परिवर्तन का व्रत है बदलना पड़ेगा,समझना-समझाना पड़ेगा जो न समझे तो पछताना पड़ेगा बस याद रहे,आज तुम काल के उसी पथ पर अड़े हो हम कल वही थे,जहा आज तुम खड़े हो ! कालचक्र !
Vishal Sharma
था मुझ से यही पूछता कालचक्र जो रहा घूमता सोये से अंतर्मन का तेरे इस जीवन का क्या यही लक्ष्य है क्या यही लक्ष्य है हुए व्यतीत इस क्षण में प्रश्न किया है लोचन ने निद्रा के आवलम्बन का सपनों के उन दर्शन का क्या यही लक्ष्य है क्या यही लक्ष्य है था समय क्यूँ मुझमें कटा मंदिर विद्या का बोल उठा मेरे प्रांगण पावन का विद्या के उस आंगन का क्या यही लक्ष्य है क्या यही लक्ष्य है आंख मूंद जो देखा स्वप्न कर गयी एक आशा प्रश्न मात पिता के पोषण का तुम पे खर्चे सब धन का क्या यही लक्ष्य है क्या यही लक्ष्य है सुन सब मैं अचंभित था होश क्यों न किंचित था कि मेरे सारे जीवन का एवं इस मानव तन का क्या यही लक्ष्य है क्या यही लक्ष्य है #कालचक्र
Short And Sweet Blog
जो आया है एक दिन उसे जाना है , जो गया है वह फिर से आएगा यही जीवन का काल चक्र है कोई ना इससे बच पाया है । कुछ दिन का यह एक मेला है बस मीठी यादों का घेरा है । जितनी यादे तुम लूट सको , बस वही तुम्हारी अपनी है । बाकी तो बस सपना है जो अपना है वह बस सपना है । #कालचक्र
Sarita Shreyasi
कालचक्र की गति के आगे, किसी की एक नहीं चलती, माँगने से जिंदगी तो क्या, मौत भी नहीं मिलती़ कालचक्र
kanchan Yadav
। । वीभत्स रस ।। (काल चक्र) रूप से कुरूप ना कोई स्वरूप सा वक्य अपूर्ण अर्थ अभिभूत था ईर्ष्या का प्रतिबिंब आंखों में पूर्ण हृदय से क्रूर अभिमानी प्रतिरूप था रूप से कुरूप ना कोई स्वरूप सा निंदा सार्थक राक्षस दूत सा काल की गति साक्षात यमदूत था तन मलिन कटु वाणी बुद्धि शून्य सा सहज सरल हृदय अति दूर था रूप से कुरूप ना कोई स्वरूप सा वाक्य अपूर्ण अर्थ अभिभूत था! अभीभूत _पराजित ©kanchan Yadav #कालचक्र
vishnu prabhakar singh
'जागो ग्राहक जागो' (कालचक्र) सबकी अपनी राह बनावटी संघर्ष की मौलिकता से उभरी नव-नव चेतना को समर्पित प्रयास के अद्भुत बल पर दुरी बढ़ते ही जा रही उदासीनता से ख़ुशी-ख़ुशी जीविका उत्थान हेतु शोध समर्पित तृष्णा या मानव आचरण ! एक प्रकृति निर्मित भू-पटल की कहानी इतिहास के पन्नों पर प्रमाण लिए टुकड़े-टुकड़े होती रही राष्ट्रीय मान की ओर विलय की अवधारणा को अस्वीकारती अब जूझ रही विधि-व्यवस्था से ख़ुशी-ख़ुशी सीमा निर्माण हेतु असिमित्ता का भय या विकल्प नहीं! बाँट लिया है हमने राष्ट्र को समूल सबके पक्ष को है दायरे से चिन्हित करना अनुशासन की धारा में एकत्र हो स्थिर होना कठिन है पर कथित लक्ष्य भी आदर्श की भूख में संतुलन का उपवास ख़ुशी-ख़ुशी अर्थ पूर्ण मानव जीवन हेतु प्रकृति के गोद में बेसुध या अर्थहीन परम्परा! विप्रणु ✒️ (जारी) #कालचक्र विप्रणु
vishnu prabhakar singh
'कालचक्र' मानव ही मानव की दुर्गती हास्यपद विरोधाभाष की सत्य ज्ञान के उपरांत तटस्थता कदम बढ़ाने की हाँथ मिलाने की ऊर्जा को समर्पित स्वनिर्मित ग्रन्थ व तंत्र का असाधारण महिमामंडन उपयोगिता शास्त्र का अति अनुसन्धान ख़ुशी-ख़ुशी टेक दुहराते वैदिकता(या सनातन)के सहारे या विज्ञानं के! जंगल राज की चुनौतियां कम नहीं हमारी इति भविष्य में भी इस तरह ही बितेगी नैतिकता सर्वविदित होना ही प्रशंसिय नहीं निर्वाण के मार्ग पर शहादत होगी तपने लगेंगे हम और नष्ट ही हो जायेगा ये मानसिक गुण ख़ुशी-ख़ुशी शून्यता हेतु प्रकृति का कालचक्र या नियति विप्रणु✒️ #विप्रणु कालचक्र