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BANDHETIYA OFFICIAL
जिंदगी जो कटती है गलियारों में, आप गुजर न जाये बस अंधियारों में, तभी तो जाती जलायी सरकारी बत्ती, तुम समझ सकते हो स्ट्रीट लाइट। ©BANDHETIYA OFFICIAL स्ट्रीट लाइट। #evening
B.P. Godara
अब्दुल कलाम साहब तो स्ट्रीट लाइट के नीचे पढ़ते थे। मेरे पास तो फिर भी खुद बल्ब है। IPS- मनोज कुमार शर्मा ✍️✍️✍️ ©B.P. Godara ©B.P. Godara अब्दुल कलाम साहब तो स्ट्रीट लाइट के नीचे पढ़ते थे मेरे पास तो फिर भी खुद का बल्ब है। IPS- मनोज कुमार शर्मा ✍️✍️✍️
Anamika
समय के पहियें के साथ साथ घूमती रहती है यादें भी.. #cinemagraph स्ट्रीट लाइट पर रूकी कार,पास से गुजरा साईकिल सवार पहिया रहा था उसका घूम,मन में मचाई सवालों ने उछल-कूद..न रूकता समय ,न रूकती या
Ravendra
JALAJ KUMAR RATHOUR
जब रात अंधेरे की बाहों में होती है, जब चांदनी चाँद के संग सोती है, जब तारे सारे टिमटिमाते है, जब सारे कौतूहल शांत पड़ जाते है, जब सड़को पर स्ट्रीट लाइटो की रोशनी तन्हा होती है, जब खामोशी की आवाजे मुझसे कुछ कहती है, जब आँखे मेरी बिन आँसू रोती है, जब तकिया मुझे अपने सीने से लगा लेता है, और तुमसे जुड़ा कोई किस्सा मुझे मुस्करा देता है , तब याद आती हो तुम मुझे, तब याद आते है तुमसे जुड़े किस्से, तुम्हारा मेरे हाथो को थामना, और गलती करने के बाद, चुरी नजरो से करना मेरा सामना .......#जलज राठौर, जब रात अंधेरे की बाहों में होती है, जब चांदनी चाँद के संग सोती है, जब तारे सारे टिमटिमाते है, जब सारे कौतूहल शांत पड़ जाते है, जब सड़को प
$ubha$"शुभ"
तन्हा मैं और तन्हा रात, कुछ यूँ हुआ हमारे साथ। आंख खुली और चल दिये, वो बुला रहे थे अपने पास। उनके लम्स मेरी उंगली पकड़े। भींच के मुझको बाहों में जकड़े। आहिस्ता से वो मुझे चूम गए, हम फिर तन्हा रह गए खड़े। बरस रही थी आंखें मुसलसल। हुआ पास में कोई हलचल। तभी सपना मेरा टूट गया, अभी जो था मेरा वो रुठ गया। रात में पसरे चारो ओर सन्नाटे । स्ट्रीट लाइटें सर्दी में पैबन्द लगाते। पूछ रहे हो जैसे मुझसे , इतनी रात तुम किधर को जाते ? हुआ खबर जब ये मुझको, ढूंढ रहे हैं यादों में तुझको। एक आहट का हुआ तभी एहसास, धड़क रहा था नाजुक दिल हो के उदास। #तन्हा_मैं_और_तन्हा_रात, कुछ यूँ हुआ हमारे साथ। आंख खुली और चल दिये, वो बुला रहे थे अपने पास। उनके #लम्स मेरी उंगली पकड़े। भींच के मुझको बाह
trilokibhogta
स्ट्रीट लाइट (शाॅर्ट स्टोरी) अनुशीर्षक में पढ़ें ,,,, ©trilokibhogta स्ट्रीट लाइट मैं स्ट्रीट लाइट हूं , मुझे यहां लगभग बीस वर्ष हो गये है । पुस की ठंड हो ,या जेठ की धूप चैत की हवाएं हो , या सावन की बूंदें
Ravendra
Poonam Ritu Sen
"गरीबी" फुटपाथ पर अपनी जिंदगी बिताता हूँ, काली अंधेरी रात में स्ट्रीट लाइट का आसरा रखता हूँ, खाने के लिये मैं दर-दर भटकता हूँ, जहर बन चुके दूषित खाने को भी अमृत समझ उसका निवाला लेता हूँ, इस भाग दौड़ भरी लोगों की जिंदगी निहार कर, खुद का कुछ पल बिता लेता हूँ, नंगे बदन में फटे कपड़े पहन कर संतोष कर लेता हूँ, जैसे तैसे हर एक दिन गुज़ारता हूँ, नये दिन के उजाले के लिये आज की रात तो ज़िन्दा रहूंगा या नहीं, इसी कशमकश में सारी रात जाग कर बिता देता हूँ, क्या करूँ जनाब! गरीब हूँ, गरीबी से दोस्ती करके अपना जीवन जीया करता हूँ.. "गरीबी" फुटपाथ पर अपनी जिंदगी बिताता हूँ, काली अंधेरी रात में स्ट्रीट लाइट का आसरा रखता हूँ, खाने के लिये मैं दर-दर भटकता हूँ, जहर बन चुके
Vandana
सर्द मौसम की ठिठुरन भरी बरसात घर से निकल गई महबूब से करने मुलाकात सर्द मौसम की ठिठुरन भरी बरसात घर से निकल गई महबूब से करने मुलाकात,,, सिफोन कि सारी के लिबास में ढकी वो राजकुमारी,,, इश्क की तिशनगी ऐसी लाग