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Sneh Lata Pandey 'sneh'
मातु शारदे आपसे, माँगू थोड़ा ज्ञान। देवी वीणा धारिणी, दे दो माता दान।। देवी माँ पद्मासना, आओ हंस सवार। छूलो मेरे हाथ को , हो मेरा उद्धार। मातु शारदे आइए, श्वेत हंस सवार। श्वेत वस्त्र माँ धारिणी, श्वेत पुष्प गल हार।। कमल नयनि माँ कामदा, आसन कमल विराज । चतुर्भुजी माँ शारदे, सकल सँवारो काज।। कर सुदृढ़ माँ लेखनी, भर विद्या भंडार। हो मुखरित सुर ताल सब , कर दो माँ उपकार।। निर्मल कर दो भाव को, रसना रस की धार। मधुरिम शुभ्र प्रकाश सा, चमके हृदय किवाड़।। झोली भर दो कृपा से, बालक करे पुकार। कच्चा कलश कुम्हार का, आया तेरे द्वार।। वसंत पँचमी आ रही, हरषे ऋतु अति जोर। पीली गेंदे की कली, महक उठी सब ओर।। स्नेहलता पाण्डेय 'स्नेह' ©Sneh Lata Pandey 'sneh' #मातु शारदे
Tarakeshwar Dubey
मातु भवानी ---------------- निर्झर झरती रहे लेखनी, वाणी निर्भीक रहे अटल, चिंतन में मानवता ऊपर, राष्ट्र की हो प्रथम पहल। परमार्थ मन में भरा हो, मर्यादित सृजित हो हर शब्द, विचारों में हो सादगी, सत्यमेव सदा बने प्रारब्ध। जो रिपु हो अन्यायी, शीश उसका नतमस्तक कर दो, भय का नाश हो जावे, हे मातु ऐसा अभय वर दो। मन कभी ना बोझिल हो, छाये न गम की काली साया, लगे सबसे एक लगन, जानूं ना भेद अपना पराया। बन जाउं अंबर का पंछी, उड़ जाउं उन्मुक्त गगन में, बस अनंत तक गाता जाऊं, सत्य के गीत चमन में। जनगण की आवाज बनूं, मां ऐसी अमर शक्ति दो, अन्याय की कालिख मिट जाए, हे मातु भवानी वर दो। बहे प्रेम की अविरल गंगा, घाटी घाटी हो स्वछंद, जन जन पुष्पित हो जावे, भरे सभी मन में मकरंद। बसे नहीं क्लेश किसी में, हर लो सब पीड़ा संताप, निरोगी होवे हर काया, हर लो जो होवे अभिषाप। जीर्णता ना उभरे कभी, ऐसा अमरत्व तन भर दो, व्यापकता का अभ्युदय हो, हे मातु भवानी वर दो। © मृत्युंजय तारकेश्वर दुबे। ©Tarakeshwar Dubey मातु भवानी #WinterFog
Tarakeshwar Dubey
मातु भारती --------------- सूरज की पहली किरण जिसका करती है नित अभिनंदन, पौ से पहले ब्रम्ह बेला में जिसे जपते महर्षि ले तुलसी चंदन, सात सूरों को छेड़ मातु वागेश्वरी करती है जिसका संकीर्तन, हे मातु भारती चरणों में स्वीकार करो अब मेरा वंदन। हिमालयराज बन बज्र प्रहरी खड़ा सेवा में निष्छल प्रतिपल, गंगा की पावन शीतल जल पखारती चरण जिसके पल पल, यमुना की लहरों पर जिसके नटराज करते हैं अथक नर्तन, हे मातु भारती चरणों में स्वीकार करो अब मेरा वंदन। काश्मीर की घाटियों में जिसकी स्वर्ग की दूनिया वास करे, धन्य वृंदावन की माटी जहाँ राधाकृष्ण प्रेम लिप्त रास करे, कृष्ण राम ने अवतार लिया करने निमित्त जिसका दर्शन, हे मातु भारती चरणों में स्वीकार करो अब मेरा वंदन। जहाँ तप के बल पर धरती सोने की चिड़िया कहलाई, जहाँ योग के बल पर राघव ने सागर में पत्थर तैराई, विविधता में एकता हैं जिसकी संस्कृति के मूल दर्पण, हे मातु भारती चरणों में स्वीकार करो अब मेरा वंदन। खेतों में जिसकी फसलें, हर मास अन्नकूट बन लहराती है, सूर्य, चंद्र, जल का होता अर्चन, कन्यायें पूजी जाती हैं, हर दिन हर मास जहाँ करते हैं त्योहारों का नव सृजन, हे मातु भारती चरणों में स्वीकार करो अब मेरा वंदन। © मृत्युंजय तारकेश्वर दूबे। ©Tarakeshwar Dubey मातु भारती #coldnights
Sangeeta Patidar
उजली सुबह के बाद अँधेरी रात गई, जीतने के बाद, हराने वाली मात गई। सूखे फूल पे कब मधुबन शोर मचाता, न रहें दुखी, जो बीत गई सो बात गई। आँधियों के बाद पंछी बुनेंगे घौंसला, टूटने के बाद, हम भी रखेंगे हौसला। ज़िन्दगी में कुछ भी नहीं अजर-अमर, जन्म में थी जो वो मौत के साथ गई। सब देके भी नहीं ख़रीद सकते ख़ुशी, बाँटकर दर्द किसी को दे सकते हँसी। पाने से ज़्यादा सुख, देने का होता है, ज़मी पे आसमानी बूँदों की ज़ात गई। ज़िन्दगी अपनी जैसे चाहो वैसे जियो, अपने पल उसमें जैसे चाहे वैसे सियो। मन की आँखें पहचाने अच्छाई-बुराई, सीख के सुधरने के बाद हर धात गई। ज़ात- Personality धात- लत, आदत Rest Zone 'काव्य सृजन' #restzone #rztask346 #rzलेखकसमूह #sangeetapatidar #ehsaasdilsedilkibaat #feelings #
Saurabh Kumar
जिन्हें भी माना जीवन में खास वही दे जाते अक्सर सीने में धात ! #life #quotes #nojoto #धात #खास