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Parasram Arora
तुम्हारे होठो पर ये जो लिपस्टिक पुती है.कदाचित वो लाली अपनी खो चुका है और वो इसी बात की खबर दे रहा है ....और ये थोपी हुई सुगंधे केवल इतनी ही खबर दे रही है की तुम्हारा शरीर दुर्गंध से भरा है ...... कृत्रिम . सौंदर्य
Arora PR
ये कृत्रिम हंसी अपने अधरों पर. सज़ा कर तुम क्या साबित करना चाहते हो? कही ये तुम खुद को ही तसल्ली देने की.. व्यर्थ चेष्टा तो नहीं कर रहे हो? न कभी देखी न समझी फिर भी उन बातो को सच क्यों मान लेते हो? कही तुम् सच से पीछा. छुड़ाने की व्यर्थ कोशिश तो नहीं कर रहे हो? ©Arora PR कृत्रिम हंसी
varsha sahu
"तेरी मेरी दोस्ती" तेरा साथ भी क्या साथ था जो मैं भुला न साकी, तेरी दोस्ती में भी क्या दम था जो मैं अदा ना कर सकी। सुबह से सांझ तक तेरा मेरे एक ओर होना और स्कूल की बेल बजते ही फिर तूझे खो देना । तेरा यूं मेरे लिए दूसरो से लड़ना और मेरी जिनसे ना पटे उनसे भी अकड़ना । तेरा यूं मेरे रूठने पर आंसू बहाना और अंत तक बिना हारे मुझे मनाना, तेरी वो मासूमियत जो पिघला देती मेरा ताव और बदल देती मेरा भाव। तेरा वो हर चीज़ मेरे साथ बांटने का स्वभाव, है तेरे मन का सबसे बड़ा विशेषभाव । तेरे चेहरे की वो प्यारी सी मुस्कुराहट सीखा गई, दोस्ती होती है बिना देखे धार्मिकहठ, इसीलिए माना मैंने आज तेरी मेरी दोस्ती निरूपहत । तुझे बहुत सी बातों पर मेरा डांटना सोचकर आज भी दुखती मेरी आत्मा, तेरा साथ बता गया 'दोस्ती' क्या चीज़ है इसलिए आज भी तेरी मेरी दोस्ती मेरे लिए "अज़ीज" है । वर्षा
Sudha Bhardwaj
सुन वर्षा बूंदों की खनक। बरस रहा नभ से कनक। रिमझिम बूंदों के ऐहसास में। दिखती क्षणिक सुख की झलक। सुधा भारद्वाज"निराकृति" #वर्षा
Devesh Dixit
वर्षा हवा चली शनै शनै बादल आए घने घने कुछ काले कुछ भूरे बादल ओड रखी हो जैसे धूल की चादर बिजली भी अब कड़कने लगी है गर्मी भी अब भड़कने लगी है गर्मी ने भयंकर रूप लिया है वर्षा का संकेत दिया है हवा भी अब तेज हुई है पौधों को भी सहलाने लगी है कान लगाकर सुनते पौधे अब कब वर्षा हो रही है तभी कहीं से बूंद गिरी पौधे के चेहरे पर मुस्कान खिली वर्षा तो अब हो कर रहेगी आनंद की अब लहर बहेगी खुशनुमा समा चारों तरफ होगा मत पूछो तब आलम कैसा होगा शीत की तब लहर बहेगी गर्मी की तब तपन मिटेगी वर्षा की तब झड़ी लगी है मगन होकर सब आनंदमई है झूम रहे हैं नाच रहे हैं मस्ती में सब गा रहे हैं वर्षा हो गई धूल थम गई नमस्कार प्रभू आपकी लीला हो गई देवेश दीक्षित वर्षा
Dharmendra singh
मुझे बारिस में भीगना पसंद है ताकि लोग मेरे आंसू न देख सके। ©Dharmendra singh वर्षा
Swåßhímåñ Sîñgh
आज नहीं बूँदें हैं केवल आज मूसलाधार हुई है स्नेह लिए उन्मुक्त गगन से पावस की बौछार हुई है हल्की ठण्डक भी हुई आज किसलय का तन हर्षाया है वसुधा के आँचल में फिर से वर्षा की भीषण मार हुई है | #वर्षा