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Sabir Khan
InternationalDayOfPeace शांति और सदाचार से बेहतर कोई चीज़ नहीं .... ....पैगंबर हजरत मोहम्मद (सल्ल.) #बारह वफात। बारह वफात
Md Sajid
मोहब्बत की वफात पर फातिहा पढ़ी जाती है, वजीफे नहीं ©Md Sajid #HeartBreak मोहब्बत की वफात पर फातिहा पढ़ी जाती है वजीफे नहीं
Mac Edwards
हासिल करके ज़माने को भी क्या पा लू़गा जब तू साथ नही रही, ज़िन्दगी जीके भी क्या कर लुंगा जब सांसों में ही तू नहीं । वीराने से सारे रास्ते हैं कहकशां तक खा़मोश है, अकेला चल के क्या कर लूंगा जब रौशनी ही नहीं साथ है । वक्त आगे बढ़ता नही सूरजकभी निकलता नहीं, चांद की चांदनी भी साथ नही ग़म का बादल हटता ही नहीं । ख्वाहिश-ए-जिन्दगी टूट चुकी है अब बस लाश में सांसें बाकी है अब, किस बात का इंतजार है खुदा तुझे क्या इम्तहान ले रहा है मरते दम तक । जब जीने तक की तमन्ना खत्म हो चुकी हो और लाजमी हो जाए वफात का इंतजार #love #lovequotes #yqdidi #yqbaba #waiting #pain
Akib Shah
अब इन अधूरी लकीरों में क्या देखते हो अब उन कोरे सफ़्हात में क्या देखते हो तुम खुद तो हज़ार दफा टूटे हो अब उस टूटे आईने में क्या देखते हो एक अरसे से यहाँ चाँद निकला नहीं अब खाली आसमां में क्या देखते हो इस आलम से तो पहले से वाकिफ हो अब इस तरह हैरत में क्या देखते हो मंज़िल वफात है तो मुड़ मुड़ कर अब यूँ हयात में क्या देखते हो लगता है तुम सोये नहीं कई रातों से अब आकिब एसा ख्वाब में क्या देखते हो आकिब🍁 तुम खुद तो हज़ार दफा टूटे हो अब उस टूटे आईने में क्या देखते हो मंज़िल वफात है तो मुड़ मुड़ कर अब यूँ हयात में क्या देखते हो
Sultan Mohit Bajpai
हल्की–फुल्की वफात से पहले इश्क था जात–पात से पहले रंज, रुसवाईयां , गाली , आंसू तुम चली जाsओ रात से पहले ©Sultan Mohit Bajpai हल्की–फुल्की वफात से पहले इश्क था जात–पात से पहले रंज, रुसवाईयां , गाली , आंसू तुम चली जाsओ रात से पहले •••• सुल्तान मोहित बाजपेई
kumaarkikalamse
वफात - ए - वक़्त हो जब करीब तो नसीब नहीं कोसा करते! वफात - ए - वक़्त - अंतिम समय इंसान का अंतिम समय आता है तो वह बहुत कुछ सोचने लगता है और अनेक तरह के ख़यालों को अपने मन ही मन पैदा करता है!
Meera Ali
इसकी रूह को न खुसरो ने समझा न इसकी दीवानगी को इस दुनिया ने। अकेली थी, नुमाइश की भीड़ में, खुद खाली हाथ, वर्खो को समेटती। कुछ टूटी है~ ऐसा उसके चाहने वालों ने खूब कहा। कहती है, कुछ कमी है, पर मैं अधूरी नहीं। शायद निज़ाम-ऐ-इश्क में डूबी हैं। ऐ मौला, इस सिफर में रसूल के गुल भर दें, मन मीत पिया की, कहती है- मीरा। मोए रस का प्याला अब भाता नहीं, जो मोए इस जगत ने तोसे छीना। (शीर्षक पढ़े)— % & इसकी रूह को न खुसरो ने समझा न इसकी दीवानगी को इस दुनिया ने। अकेली थी, नुमाइश की भीड़ में, खुद खाली हाथ, वर्खो को समेटती। कुछ टूटी है~ ऐसा उस