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Nilesh kushwaha
पानी, तेल,खनिज सब निकाल लो,सब तेरा है मुझे मार खुद बच सको,तो बचा लो,सब तेरा है #NojotoQuote #पानी तेल खनिज सब निकाल लो सब तेरा है
NEERAJ SIINGH
अंदाज़ा मत लगाईये मेरी तन्हाइयों का हर रोज़ गहरी होती हैं शब्दों से बनी खान मेरी हर रोज़ निकालकर बाहर कर देता हूँ कुछ शब्द जो कौंधते हैं रहते हैं दिल में यूँही खान - जहां से खुदाई कर खनिज निकाले जातें हैं #neerajwrites #yqbaba #yqdada
Knowledge of 2023
RAVINANDAN Tiwari
अभिभव अंकुरित उपधा, बही विवरण वाणिज। विभव बटोरती बहुधा,नैन-तरन नाचीज़ ।। भाव संभव निरति विधा,कुचैन हरण खनिज। भवसंभव पूर्ति पौधा,वरण सुगंधा बीज।। ©RAVINANDAN Tiwari #हल्के_कलम पराजय भाव से कपट आरंभ होता है, लेखा-जोखा व्यवसायिक है ! अक्सर आँखों में तैरने वाली दौलत बटोर लेती है ! भाव से संभव है भक्ति , जो
Dr. Sakshi
©Dr. Sakshi किडनी की पथरी खनिजों और एसिड लवणों का कठोर जमाव है जो केंद्रित मूत्र में एक साथ चिपक जाते हैं। किडनी की पथरी का आयुर्वेदिक उपचार बिना किसी द
Ayurveda Tips
Saket Ranjan Shukla
दिल फ़िर मनमानी करने लगा है शुष्क हो चुके इन लबों पर मुस्कान सजा रहा हूँ, आँखों में अश्क़ सोखने वाला सुरमा लगा रहा हूँ, तक़लीफों को दिल के गतालखाने में डाल आया, माथे की सिकन को, बाल बड़े करके छुपा रहा हूँ, सिखाया धड़कनों को धड़कना एक लय में हमेशा, साँसों को सिसकियों के स्वर दबाना सीखा रहा हूँ, अंदरूनी नासूरों की दवा तो मिल न सकेगी शायद, ऐसे-ऐसे ही ख्याल दे, ख़ुदको बहला-फुसला रहा हूँ, दिल ने फ़िर उतारा है “साकेत", तुझे इश्क़ के हाट में, इसीलिए नए ज़ख्मों के लिए थोड़ी जगह बना रहा हूँ। IG:— @my_pen_my_strength ©Saket Ranjan Shukla दिल फ़िर मनमानी करने लगा है.! . ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© . कुछ कठिन शब्दार्थ 👇🏻 शुष्क:— रूखा (Dry) सुरमा:— आंखों में लगाए
Vaishali Kahale
Mukesh Poonia
मौसमी फलों एवं सब्जियों के रस रोगों से लड़ने की शक्ति बढ़ाते हैं गर्मी के मौसम से मिलने वाले फलों-नारंगी, अनन्तास, संतरा, तथा सांजियो-पालक,
संगीत कुमार
पृथ्वी पृथ्वी जीवन की जननी है। जीव-जन्तु की तरणी है।। जीवन का यह सार है। इसका गोल आकार है।। पृथ्वी जीवन की जननी है। जीवन से यह ओतप्रोत। नदी -झरना से घिरा परा।। वन-झाड़ी से हरा-भरा। हरियाली जीवन मे देती है। पृथ्वी जग की जननी है। आश्रय का यह द्वार खड़ा है। खनिज -संपदा से ओतप्रोत।। जल-जीवन से भरा परा है। रक्षा करना सब का काम है।। पृथ्वी जग की जननी है। पेड़ पौधा खूब लगाना है। जीवन को बचाना है।। जनसंख्या नियंत्रण करना है। अनावश्यक बोझ हटाना है।। पृथ्वी जीवन की जननी है। धरा को सजाना है। मानव अस्तित्व बचाना है।। पृथ्वी दिवस मनाना है। लोगों के बीच अलख जगाना है। पृथ्वी जग की जननी है। (संगीत कुमार /जबलपुर ) ✒️स्व-रचित कविता 🙏🙏 पृथ्वी पृथ्वी जीवन की जननी है। जीव-जन्तु की तरणी है।। जीवन का यह सार है। इसका गोल आकार है।। पृथ्वी जीवन की जननी है। जीवन से यह ओतप्रो