खाटू सा मैं, बलराम सा वो
समग्र चाहतें पूरी कर दे
ऐसा हीं था, बलवान था वो ।।
चल पड़ा जब, जीवन पथ पर
चढ़ती यमुना को चीरे
तक्षक का वो रूप धरे था #Brother#Society#HindiPoem#kavita
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Vidhi
#yqbaba#yqdidi#चाँद#सूरज
चाँद तो उसकी बिस्तर की चादर में लिपटा औंधा पड़ा था। उसकी चाँदनी से उसका रोम रोम थर थर काँप रहा था। बाँहों में उस