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i am Voiceofdehati

#ज्ञान वह नहीं है जो #किताबें पढ़कर आती है, ज्ञान वह है जो #ऐतिहासिक_घटनाएं #सबक के रूप में हमें सीखाती हैं और वही #वरेण्य हैं।। #yqdidi y #yqinspiration #yqsnatni

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ज्ञान वह नहीं है जो किताबें पढ़कर आती है, 
ज्ञान वह है जो ऐतिहासिक घटनाएं सबक के रूप में हमें सिखाती हैं और वही वरेण्य हैं।। #ज्ञान वह नहीं है जो #किताबें पढ़कर आती है, 
ज्ञान वह है जो #ऐतिहासिक_घटनाएं #सबक के रूप में हमें सीखाती हैं और वही #वरेण्य हैं।।
#yqdidi #y

manoj kumar jha"Manu"

पशूनां पतिं पापनाशं परेशं गजेन्द्रस्य कृत्तिं वसानं वरेण्यम। जटाजूटमध्ये स्फुरद्गाङ्गवारिं महादेवमेकं स्मरामि स्मरारिम।। हे पशुपति! अस्त्

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पशूनां पतिं पापनाशं परेशं 
गजेन्द्रस्य कृत्तिं वसानं वरेण्यम।
जटाजूटमध्ये स्फुरद्गाङ्गवारिं 
महादेवमेकं स्मरामि स्मरारिम।।

हे पशुपति! अस्त्र के स्वामी, 
हे पापों का नाश करने वाले, 
हम सभी के ईश्वर जो गजराज के 
चर्म के वस्त्र पहने हुए हैं, 
जिनकी जटाओं के बीच में से
 माँ गंगा की धारा निकल रही हैं,
 उन्हीं शिवजी की स्तुति आज मैं करता हूँ। पशूनां पतिं पापनाशं परेशं 
गजेन्द्रस्य कृत्तिं वसानं वरेण्यम।
जटाजूटमध्ये स्फुरद्गाङ्गवारिं 
महादेवमेकं स्मरामि स्मरारिम।।

हे पशुपति! अस्त्

i am Voiceofdehati

आज भारत की महान विभूति स्वामी विवेकानंद (12 जनवरी 1863 - 4 जुलाई 1902) जी का जन्मदिवस है। स्वामी विवेकानंद के जन्मदिवस को युवा दिवस के रूप म #YouthDay #YourQuoteAndMine #स्वामीविवेकानंद #voiceofdehati

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स्वयं के विवेक को जगाकर
आत्म आनंद की प्राप्ति 
जो लोगों के
आत्म जागृति में
वरेण्य हो... आज भारत की महान विभूति स्वामी विवेकानंद (12 जनवरी 1863 - 4 जुलाई 1902) जी का जन्मदिवस है। स्वामी विवेकानंद के जन्मदिवस को युवा दिवस के रूप म

atrisheartfeelings

ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥ ॐ : परब्रह्मा का अभिवाच्य शब्द भूः :  भूलोक भुवः : अंतरिक्ष लो #devotion #Collab #jaimatadi #GayatriMantra #ananttripathi #atrisheartfeelings

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ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥ ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥

ॐ : परब्रह्मा का अभिवाच्य शब्द
भूः :  भूलोक
भुवः : अंतरिक्ष लो

Aditya Kumar Bharti

#अरण्य बचाओ #कविता

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एक पेड़ मेरे सपने में आया
मुझे देखा तो थोड़ा मुस्कुराया
मुस्कुराकर मुझसे पूछा-और क्या हाल है?
मैंने कहा मत पूछिए-यहां की गर्मी फटेहाल है
आदमी बेहाल है
लगता है गर्मी में जबरदस्त उछाल है
मुझे ऐसा लग रहा है कि आप लोगों की हड़ताल है
सवाल तो तुम्हारा है सौ प्रतिशत खरा
लेकिन धरती को तुम लोगों ने कहां रहने दिया हरा
पेड़ों से विहिन हो रही है धरा
और तुम कहते हो तापमान से तप्त है वसुंधरा
जरा एक बात मुझे समझाओ
हम हैं ही कितने ऊंगली पर गिनकर हमारी संख्या बताओ
हम बचे ही कहां है तुम लोगों के प्रकोप से
मन करता है उड़ा दें तुम सब लोगों को तोप से
काटे जा रहे हो रोज जोरदार लगातार
और पर्यावरण में चाहिए उत्कृष्ट सुधार
तुम लोग आदमी कहलाने के लायक नहीं हो
बस नालायक हो, खलनायक हो, नायक नहीं हो
अनिल कपूर नहीं अमरीश पुरी हो
रामबाण नहीं,बहते हुए नासूर की धुरी हो
अभी सुना है एक और जंजाल
कोयले की चाहत में करोगे हमें और कंगाल
हम नहीं रोज तुम मर रहे हो
लालच में देखो हद से गुज़र रहे हो
दो लाख पेड़ काटने का है प्रावधान
ऐसे ही करोगे पर्यावरण की समस्या का समाधान 
अरण्य की भूमि में हम फिर लाखों मारे जायेंगे
तुम लोगों को भी दिन में तारे नज़र आयेंगे
हम हैं तो दवा है
हम हैं तो हवा है
हम हैं तो है फल, फूल और अनाज
वरना भूख से मर जाओगे कल नहीं तो आज
अरे भूख की बात छोड़ो सांस लोगे कैसे
तड़प जाओगे बिन पानी मछली तड़पे है जैसे
करोना में ऑक्सीजन की कमी आई थी
तब तुम्हारी आत्मा तुम्हें प्रकृति की गोद में लायी थी
दिन बित गये भूल गए हो वो बात
नहीं तो इतनी आसानी से हमें काटने को बढ़ते नहीं तुम्हारे हाथ
याद रखना हम पूजा में देते हैं आशिर्वाद
और नाराज़ हुए तो कर देंगे तुम्हें बर्बाद
देंगे ऐसा श्राप
कि आप की सात पुस्तें भी नहीं धो पायेंगी ये पाप
खोट तो आपकी सोच में है आपका ही है दोष
हम तो शुद्ध है, निर्विकार हैं और हैं सौ प्रतिशत निर्दोष
प्रकृति के संतुलन से मत करो खिलवाड़
नहीं तो खुल जायेगा महाप्रलय का किवाड़
रखना अपना ध्यान
कहीं हम ध्यान मग्न हो गये तो तुम्हें भी कर देंगे अंतर्ध्यान

©Aditya Kumar Bharti #अरण्य बचाओ

Aditya Kumar Bharti

कोयले के लिए लाखों पेड़ों को मौत की नींद सुला रहे हो
अरण्य के जंगल को अपनी आरी और कुल्हाड़ी से डरा रहे हो
विकास की राह में पर्यावरण की ही जीवित बलि चढ़ा रहे हो
छ.ग.के फेफड़े को ऑक्सीजन सिलेंडर का मास्क पहना रहे हो
मैंने सही सुना है बुजुर्गों से लोग पैर पर कुल्हाड़ी मारते हैं
और तुम तो सीधे ही सीने पर बेरहम कुल्हाड़ी चला रहे हो

नेक नीयत की सरकारें जब इतने सुनहरे ख्वाब आंखों को दिखाती है
ऐसी संकट की घड़ी में आदिवासियों की आंखों में नींद कहां आती है
निजी कंपनियां इन आदिवासी बाहुल इलाकों पर अपनी गिद्ध नज़र गड़ाती है
राजस्थान के लिए बिजली आपूर्ति की समस्या जहां सूरसा सा मुंह फैलाती है
वहीं बिजली के लिए कोयला और कोयले के लिए पेड़ कटाई का गणित बैठाती है
समस्या अत्यंत गंभीर है जो सरकारों की कार्यशैली पर प्रतिपल यक्ष प्रश्न उठाती है

प्रकृति के प्रणेता प्रकृति के लिए प्राणघातक प्रतिनायक वाला प्रतिमान दिखा रहे हो
पानी नहीं होगा हवा नहीं होगी सोचो तुम मौत को कितने करीब से आजमा रहे हो

सरकारों के चुभते फैसले वहां रहने वालों के दिलों को बहुत आहत पहुंचाती है
सुरक्षित रहेगा"जल, जंगल और ज़मीन"के वादों से जनता जब जबरदस्त धोखा खाती है
"मत छीनो हमारा अधिकार"के नारों से संकट की काली घनघोर घटा छाती है
"अरण्य में प्रवेश वर्जित है"की सूचना आदिवासियों को दिन रात सताती है
सरकारें गूंगी, बहरी,अंधी, लंगड़ी और विकलांग नहीं दिव्यांग है यही बात बताती है
दो लाख पेड़ों के कटाई की भरपाई वाली बात न्यायालय की समझ से भी परे हो जाती है

हे स्वार्थसिद्धि हस्त ! संसाधन के लोभ में सारा का सारा पारिस्थितिक तंत्र ही हिला रहे हो
अपनी सांसों का सौदा कोयला सौदागरों के हाथों में करके मुस्कुरा रहे हो

अजी लाखों घरों को विस्थापन की समस्या खून के आंसू रोज रुलाती है
जंगल से जीवन यापन होता था किसी का आज ये कहानी मां बच्चे को सुनाती है
धरना, हड़ताल, प्रदर्शन, आंदोलन,पद यात्रा, रैली ये सब सरकारों को परेशान कराती है
जब सरकारें ही रक्षक से भक्षक बने तो खुदा जाने कौन सी बला जान बचाती है
कुछ लोगों के लिए अरण्य केवल कोयला है और बहुत लोगों के लिए अरण्य जीवन का साथ निभाती है
"आदित्य"लिख तो रहा है अरण्य की कहानी जो कविता बनकर समस्या की लौ जलाती है

मेरी कविता क्या तुम स्वप्न में डूबे निश्चेतन पथभ्रष्ट सरकारों को जगा रहे हो
हे सजग कृतिकार! क्या तुम प्रशासन को न्यायसंगत सद्मार्ग पर खींचकर ला रहे हो

©Aditya Kumar Bharti #अरण्य बचाओ

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