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Shyam Sharma
ये ऊँचे-ऊँचे पहाड़ ज़मीन का राजा है उस पर बर्फ़ की चादर भी ताज़ा ताज़ा है #NojotoQuote हिमालय की बर्फ़बारी #हिमालय #हिमाचल #बर्फबारी #hindishayri #nojotohindi #shyamsharma
स्मृति.... Monika
अब उत्सव में भी पहले वाली बात कहाँ? बस text करके बधाई देने का चलन रहा, अब शून्य भी शून्य ही रहता है पतंगों से रंग -बिरंगा नहीं होता आसमाँ, अब मांझों में वो जोर, पतंगों का कोई शोर नहीं, फेसबुक और व्हाट्सप्प से ही मनाए जाते हैं पर्व यहाँ, कटी पतंग के पीछे पहले दौड़ जाते थे सब, बूढ़े, बच्चे, नौजवाँ उत्सव का लुत्फ़ उठाते थे सब छत, गली, खुले मैदान हर जगह होती थी रौनक़ अब तो छत भी रोती है खालीपन से और गलियाँ भी हो गई हैं बेरौनक, खुले मैदानों का रहा नहीं नामोनिशान, धीरे धीरे गायब हो रही पतंगों की दुकान || HAPPY MAKAR SANKRANTI 1-शून्य --आकाश 2-शून्य --खाली #अब पर्व पर्व रहें कहाँ?? अब उत्सव में पहले वाली बात कहाँ स्मृति.... Monika
विवेक कुमार सिंह
अचल खड़ा है जहाँ हिमालय, सकल पर्वतों का सम्राट। हिमाच्छादित वर्ष भर रहे, नयनाभिराम स्वरुप विराट ।। वहीं किसी चोटी के नीचे, बोल कहीं तेरा घर है ? बोल कहाँ तेरा घर है ? बोल कहाँ तेरा घर है ? Part I (हिमालय) #VKS
MANISH MISHRA
kहाँ पर बोलना है, और कहाँ पर बोल जाते है, जहाँ खामोश रहना है वहाँ मुंह खोल जाते है ! ©MANISH MISHRA k हाँ पर बोलना है, और कहाँ पर बोल जाते है, जहाँ खामोश रहना है वहाँ मुंह खोल जाते है !
kunti sharma
एक दोर वो भी था जब परिवार में सब मिलकर बैठा करते थे आपस में सुख दुख साझा करते थे परिवार में प्यार हुआ करता था एक दोर यह भी है सबकी बातें मोबाइल से हुआ करती है बसं मोबाइल में ही परिवार से मुलाकातें हूआ करती है सब अब खुद में खुश रहते हैं प्यार सब मोबाइल पर ही सांझा करते हैं ©kunti sharma #कहाँ से कहां तक #ThenandNow
Manish Goswami
भावनाओं का कहाँ द्वार होता हैं, जहाँ मन मिल जाए वहाँ हरीद्वार होता हैं। भावनाओं का कहाँ द्वार होता हैं, जहाँ मन मिल जाए वहाँ हरीद्वार होता हैं।
Karan Yaduvanshi
_Yaduvanshi writes ✍️ जीना यहाँ, मरना यहाँ. इसके सिवा जाना कहाँ 🤷♂️
lyrics by Akhil
ढूँढा यहाँ वहाँ तू कहीं ना दिखा मुझे झांका जो अपने दिल में तो पा लिया तुझे.. ©Akhilesh dubey ढूँढा यहाँ वहाँ...
annu.mohe87
बिख़र कर जाना कहाँ हैं घाव न जाने कहाँ हैं यहाँ रोंने को कोना नहीं हैं औऱ मुस्कुराने को जहाँ नहीं हैं बिख़र कर जाना कहाँ हैं घाव न जाने कहाँ हैं यहाँ रोंने को कोना नहीं हैं औऱ मुस्कुराने को जहाँ नहीं हैं