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Parasram Arora

पर्यायवाची...... #शायरी

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खून को पानी का पर्यायवाची  मत मान. लेना
अनुभन कितना भी कटु क्यों न हो वो.कभी कहानी नही बन सकताहै 

उस बसती मे  सच  बोलने का रिवाज  नही है
यहां कोई भी  आदमी  सच.को  झूठ बना कर पेश कर सकता है

ताउम्र अपना  वक़्त   दुसरो की भलाई मे  खर्च करता रहा वो
ऐसा आदमी कुछ पल का वक़्त भी अपने लिये निकाल नही   सकता है

©Parasram Arora पर्यायवाची......

Dr. Mann

विज्ञान के आविष्कार #विचार

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Jogendra Singh writer

nojoto ka पर्यायवाची #Light

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आपके अनुसार Nojoto का पर्यायवाची  क्या है
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©Jogendra Singh Rathore 6578 nojoto ka पर्यायवाची

#Light

Anjali Jain

इच्छाओं और आवश्यकताओं का संस्कार करें हम
परिष्कार करें हम
तभी मानव, 
मानव बना रह सकता है
अन्यथा दानव बनने में
 देर नहीं लगती।।। #परिष्कार#26.08.20

#reading

HP

जनमानस का परिष्कार

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👉 Janmansh Ka Parishkar
     जनमानस का परिष्कार


जिन्हें कुछ करना होता है वे घोर व्यस्तता के बीच भी अपने प्रिय प्रसंग के लिए कुछ कर गुजरने के लिए सहज ही अवसर प्राप्त कर लेते हैं। यहाँ तक कि दरिद्रता, रुग्णता, व्यस्तता से लेकर समस्याओं के जाल जंजाल तक के कुछ न कुछ करते रहने में बाधक नहीं बन सकते। ऐसे भावनाशीलों की कमी नहीं जो उलझनों और कठिनाइयों से निपटने की तरह ही अन्तरात्मा की, महाकाल की युग पुकार की-गरिमा स्वीकार करते हैं और उसे सर्वोपरि समस्या आवश्यकता मानते हैं। प्रयासों में प्रमुखता सदा उन्हें मिलती है जिन्हें अंतःकरण द्वारा महत्वपूर्ण माना जाता है। युग प्रकार यदि महत्वहीन समझी गई है तो सहज ही उसके लिए आजीवन फुरसत न मिलने की मनःस्थिति और परिस्थिति बनी रहेगी। श्रद्धा उमंगी भी तो हजार उपाय ऐसे निकल जावेंगे जिनके आधार पर निर्वाह की समस्याओं को हल करते रहने के साथ-साथ ही प्रस्तुत युग धर्म के आहृ के लिए भी इतना कुछ किया जा सकता है जिससे आत्म संतोष और लोक श्रद्धा को अभीष्ट मात्रा उपलब्धि होती रहे।

युग विकृतियों का एक ही कारण है जन मानस में आदर्शों के प्रति अनास्था का बढ़ जाना। इस सड़ी कीचड़ से ही असंख्यों कृमि कीटक उपजते हैं और समस्याओं तथा विभीषिकाओं के रूप में जन जन को संत्रस्त करते हैं। उज्ज्वल भविष्य की संरचना का एक ही उपाय है-जन मानस का परिष्कार। चिन्तन में उत्कृष्टता का समावेश किया जा सके, दृष्टिकोण में आदर्शवादिता को समावेश किया जा सके, दृष्टिकोण में आदर्शवादिता को स्थान मिल सके तो लोक प्रवाह में सृजनात्मक सत्प्रवृत्तियों का बाहुल्य दीखेगा। ऐसी दशा में युग संकट के कुहासे को दूर होते देर न लगेगी। समस्या दार्शनिक है। आर्थिक, राजनैतिक या सामाजिक नहीं। जन मानस को परिष्कृत किया जा सके तो प्रस्तुत विभीषिकाओं का अस्तित्व ही समाप्त हो जायेगा। उनसे लड़ने की लम्बी चौड़ी तैयारी करने की आवश्यकता ही न रहेगी। 

मनुष्य को ध्वंस के विरत करने के-सुजन में से लागू होने के लिए सहन किया जा सके तो बड़े पैमाने पर जो खर्चीली योजनाएं बन रहीं है। उनमें से एक भी आवश्यकता न पड़ेगी। जन के बूँद बूँद प्रयासों से इतना कुछ अनायास ही होने लगेगा जिस पर सैकड़ों पंच वर्षीय सृजन योजनाओं को निछावर किया जा सकेगा। इसके विपरीत जन सहयोग के अभाव में बड़ी से बड़ी खर्चीली योजनाएं अपंग बनकर रह जाती है। हमें पत्तों पर भटकने के स्थान पर जड़ सींचने का प्रयत्न करना चाहिए। जन मानस का परिष्कार ही सामयिक समस्याओं का एक मात्र हल है। उज्ज्वल भविष्य की संरचना का लक्ष्य इस एक ही राज मार्ग पर चलते हुए निश्चित रूप से पूर्ण हो सकता है। ज्ञान यज्ञ का युग अनुष्ठान इसी निमित्त चल रहा हैं। विचार क्रान्ति की लाल मशाल का प्रज्वलन इसी विश्वास के साथ हुआ है कि जन-जन के मन-मन में उत्कृष्टता की आस्थाओं का आलोक उत्पन्न किया जा सके।

✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य
📖 अखण्ड ज्योति- फरवरी १९७९ जनमानस का परिष्कार

Anjali Jain

इच्छाओं और आवश्यकताओं का संस्कार करें हम
परिष्कार करें हम
तभी मानव, 
मानव बना रह सकता है
अन्यथा दानव बनने में
 देर नहीं लगती।।। #परिष्कार#26.08.20

#reading

Bishnu kumar Jha

चिकित्सा के अविष्कार #biology #invation #जानकारी

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kishori jha

पर्यावाची स्वाद #yemausam #Thoughts

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प्रभाकर अजय शिवा सेन

जग का पर्यावाची #Roses

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जग की पर्यावाची मघा😁😁😁😂😄😅

©प्रभाकर अजय शिवा सेन जग का पर्यावाची 

#Roses

Parasram Arora

धर्म औऱ शांति...... पर्यायवाची शब्द हैँ

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कोई  पुरखो को   पानी  पहुंचा  रहा हैँ  कोइ गंगाओ मे  पाप  धो रहा हैँ   कोई  पथर की प्रतिमाओं  के सामने  बिना भाव  सर  झुकाये बैठा हैँ 
धर्म  के  नाम पर  हज़ार  तरह  की मूढ़ताएं  प्रचलन मे हैँ धर्म से  संबंध तो   तब होता हैँ जब  आदमी  जागरण की  गुणवत्ता  हासिल कर लेता हैँ  
जहाँ  जागरण  होगा  वहा अशांति  कभी  हो ही नहीं सकती  
क्यों कि  जाग्रत  आदमी  विवेकी  होता हैँ      इर्षा  क्रोध  की  वृतियो  से  ऊपर  उठ  चुका होता हैँ औदेखा  जाय तो  धर्म औऱ  शांति पर्यायवाची  शब्द  हैँ धर्म  औऱ  शांति...... पर्यायवाची  शब्द हैँ
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