जीवन जुलसें या हृदय जले,
या फिर चीखों से कंठ गले,
सीने में चाहे धुन्ध पले,
सिद्धान्त रहे न कभी टले ।।
सुमित उपाध्याय
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जीवन झुलसे या हृदय जले,
या फिर चीखों से कंठ गले,
सीने में चाहे धुन्ध पले,
सिद्धान्त रहे न कभी टले ।।
सुमित उपाध्याय
१०/१०/२०१७
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