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Satya Prakash Upadhyay

लगेंगी कतारें पाने को छांव,उमड़ पड़ेंगे गाँव के गाँव न बचेगी प्राकृतिक सुंदरता शीतलता मिलेगी बस एक हीं ठाँव गरीबों में होगी प्रतियोगिता सेठ ल #कविता #AareyForest

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किसी रोज़ छॉंव की तलाश में  लगेंगी कतारें पाने को छांव,उमड़ पड़ेंगे गाँव के गाँव
न बचेगी प्राकृतिक सुंदरता शीतलता मिलेगी बस एक हीं ठाँव

गरीबों में होगी प्रतियोगिता सेठ लगाएँगे और ऊँचे भाव
वृद्ध बीमार को न होगी प्राथमिकता जाओ भले तुम मर हीं जाव

शक्तिशाली का ज़ोर चलेगा कमजोर बस पटकेंगे पाँव
बच्चों का विकास न होगा मानवता की कैसे पार होगी नाव

अब भी समय है सुधार करें हम न लगाएं पकृति पर गहरे घाव
प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण का प्रयास करने सब मिल आओ लगेंगी कतारें पाने को छांव,उमड़ पड़ेंगे गाँव के गाँव
न बचेगी प्राकृतिक सुंदरता शीतलता मिलेगी बस एक हीं ठाँव

गरीबों में होगी प्रतियोगिता सेठ ल

KK Mishra

इंसानों के #nojotophoto

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 इंसानों के

Sanjay Sahu

दादी मां के संरक्षण में बिटिया के संस्कार #समाज

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Sachin Pathak

प्रेम के संसाधन। #poem

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प्रेम के संसाधन !

आधुनिकता अपने चरम पर है,
प्रेम कायम है, मगर सलीके बदल गए है,
आधुनिकता कुछ कम जच रही हो तुम पर,
ऐसी तो कोई बात नही,
पर इनके चक्कर में प्रेम के संसाधन कम हो रहे हैं।

बात ऐसी है कि स्कार्फ तुम पर लाज़वाब जचता है,
पर कलम हमारी दुपट्टे का लहराना लिखना चाहती है,
हमारे हाथों में तुम्हारे दुपट्टे का फसना ये,
दो फुटिया स्कार्फ़ क्या समझेगा।
हवा का झोंका तो छोड़ो, आंधी ही आ जाये,
मजाल है, कि तनिक भी अपनी जगह,
किसी और को दे, दें।

ये दुश्मन यू. वी किरणों का चैप्टर जुड़ा क्या किताबों में,
वो आँखों के नीचे वाला कलूटा पहरेदार मानों कहीं छुप गया है,
उसकी जगह विराज गए हैं, ये अमरीश पुरी ऐनक साहब,
आधा प्रेम साहित्य जिन आँखों पे लिख मरे, ग़ालिब ज़माने के,
ये कल का आया पर्यावरण विज्ञान उन पन्नों 
को रीसायकल करने पे तुला है

नौ नौ चुडिया छोड़ो, हम तो पटवे की दुकान पर डेरा जमाए बैठे है,
पर ये कम्बख्त ब्रेसलेट तुम्हारी कलाई तो छोड़े,
प्रेम के संगीत में चूड़ियों की धुन गुम होती जा रही है,
कितने भी चमके ये , पर चूड़ियों की भाषा बोल ले,
इतना तजुर्बा कहाँ है इन्हें,
युगों युगों की तपस्या के बाद ये कला पायी है चूड़ियों ने।

तुम मिलोगी वो बात अलग है,
मगर हम प्रेम जताएंगे के कैसे,
संकट घनघोर है, प्रेम के संसाधन कम हो रहे है। प्रेम के संसाधन।

varsha Mahananda

संरक्षण #ConservationDay

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Conservation 
यह विश्व एक शरीर है तो प्रकृति इसकी आत्मा है।
जिस प्रकार आत्मा के बिना शरीर जड़ है
उसी प्रकार प्रकृति के बिना विश्व की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
इसीलिए प्रकृति संरक्षण मानवजाति का कर्तव्य है।

© varsha Mahananda संरक्षण

#ConservationDay

Anita Sudhir

#जल संरक्षण #OpenPoetry

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#OpenPoetry जल संरक्षण #जल संरक्षण
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