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Ek villain
अभिमान से तात्पर्य मानव मन का अहंकार होता है जिससे वह दूसरे को खुद से नीचा समझता है वही अभिवृत्ति का अर्थ किसी व्यक्ति की मनोवृति होता है अतः किसी भी स्थिति या घटना को देखने का ढंग ही अनुभूति होता है अभिमानी कर रावण के सम्मान पाते हैं जबकि सही अभिवृत्ति सफलता की कुंजी है इसी कारण हमें सदा सकारात्मक दृष्टिकोण रखने को कहा जाता है क्योंकि यह दृष्टिकोण उसी रवैया का एक भाग है जो हमारी सोच को प्रभावित करता है यदि हमारे सोचने का तरीका संतुलित एवं सही होगा तो निश्चय ही हमारे निर्णय भी उचित दिशा में जाएंगे और सफलता सुगम हो जाएगी इसके विपरीत अभिमानी व्यक्ति अपना उचित विश्लेषण करने में असमर्थ होता उसमें सीखने की इच्छा सुनने हो जाती है क्योंकि उसके अनुसार ऐसा कुछ है ही नहीं जिससे सीखने की आवश्यकता हो इसका परिणाम यह होता है कि वह व्यक्ति अति आत्मविश्वास ही होकर परिस्थितियों के अनुरूप स्वयं को ढाल नहीं पाता और अंत में पराजित हो जाता है यह एक प्राकृतिक नियम है जिससे कोई भी अछूत नहीं है हम 2 विद्यार्थियों के उदाहरण से इसे समझाएं एक विद्यार्थी को स्वयं का पूरा विश्वास है और वह अपना श्रेष्ठ देकर प्रथम आने का निश्चय करता है दूसरा विधार्थी अच्छी तरह करने के स्थान पर सोचता है कि उससे अधिक ज्ञान किसी को नहीं है परिणाम स्वरूप में पीछे रह जाता है तथा अपने उद्देश्य को पूरा करने में असफल हो जाता है इससे स्पष्ट दिखाई देता है कि पहला विद्यार्थी के पास सही अभिवृत्ति दृष्टिकोण है वह दूसरे विद्यार्थी के मन में उसकी योग्यता का अभिमान है जो उसकी असफलता का कारण बन जाता है जाहिर है हम अपने मन में सकारात्मक अभिवृद्धि लाएं तो हमारा दृष्टिकोण बदलेगा इसी परिवर्तन से हम नव ऊर्जा पाकर इच्छित धैर्य को प्राप्त कर सकेंगे और सफल हो सकेंगे ©Ek villain # अभिमान और अभिवृत्ति #AloneInCity
Kajalife....
काश कि जैसी नसीहतें इंसा दूसरों को देता है .... उसका कत़रा भी वो खुद पर आजमां पाता ....!! kajalife #मनुष्य #प्रवृत्ति
RV Chittrangad Mishra
RV 111 एक सूअर को कितना भी मेकप करा दो लेकिन वह अपना मुंह नाले मे धो ही देगी क्योंकि उसकी प्रवृत्ति ही यही है ठीक उसी प्रकार कुछ लोगों की प्रवृत्ति उन्हें आगे बढ़ने से रोकती रहती है ©R.V. Chittrangad 9839983105 प्रवृत्ति #Life
Kajalife....
पत्तियॉ भी जब पेडो़ से अलग होती हैं तो रंग बदलकर , फिर तुम तो मनुष्य हो । -kajalife #मनुष्य #प्रवृत्ति #Kajalife
MOHAMMED AKRAM
'जो छोटी सोच वाले मनुष्य होते हैं, वो बुराई करते हैं, जबकि प्रभावशाली और बड़ी सोच वाले व्यति की प्रवृति तो माफ करने की होती है। " ©MOHAMMED AKRAM मनुष्य की प्रवृत्ति
राजेंद्रभोसले
मजसी ने पुन्हा सीमेवर अजून खुमखुमते हे शरीर।।धृ।। धुमसतात अजुनी सीमा शस्त्र सरसावून उठ भीमा नीज शत्रूचा करण्या खिमा हे चक्रधारी माझ्या श्यामा पेटलेय भारताचे रुधिर।।१।। सर्व बाजूनी जरी सीमा वेढल्या धर्मांध नेत्यांच्या खुर्च्या नटल्या सत्तेसाठी साठी दोस्ती तोडल्या जनमताचा भावना विस्कटल्या श्रीरामा घेऊन ये तुनीर।।२।। एक निवृत्त सैन्याच्याभावना
Ek villain
मनुष्य का स्वामी ग्रह जीवन पानी के किसी बुलबुले की भांति अस्थाई है परमात्मा ने हमें यह जीवन प्रदान किया है वह कब इसे वापस ले लेगा कहना मुश्किल है मनुष्य की भलाई इसी में है कि इस जीवन को परमात्मा के हाथों में सौंप कर उसके ने देश में ही जीवन गुजर बसर करें परमात्मा के सिवाय इस सृष्टि में सब ईश्वर है निस्वार्थ से प्रेम करना ही मानवीय दुख का मूल कारण है मनुष्य इस तन को सहेजने सवारने में ही जीवन को बहुमूल्य समय नष्ट कर देते हैं परमात्मा से जरा भी प्रेम नहीं करता यह अज्ञानता भी मनुष्य को दुख के एक कारण है ईश्वर सत्य सनातन अंजाना निवासी सुखदाता है उससे प्रेम सुखदाई है परंतु मनुष्य अपने सुख की खातिर रात दिन धन संग्रह करता है भौतिक संपदा के अपरदन को ही जीवन का असली मकसद समझता है मनुष्य का एक कामना पूर्ण नहीं होती तब तक दूसरी इच्छा उसके समक्ष खड़ी हो जाती है इनकी पूर्ति में 1 बार लगा रहता है जो सुख शांति देने में है वह संग्रह करने में नहीं मनुष्य को संबंध था ईश्वर ने दुखियों की सहायता करने के लिए ही प्रदान किया है संग्रह दुख परेशानी की जड़ है एक करोड़पति सुखी नहीं होता लेकिन एक संत भगवान का भजन करके संग्रह के विजय निमंत्रण कैसे खुश रह सकता है बहुत ही के संग्रह में नित्य त्याग में असली सूखे सूखे होने का एक ही मार्ग है जिसके आपकी जो है आपके जरूरतमंदों में बांटने की नीति सीखे इस सृष्टि में सबित्र देने की प्रक्रिया सूर्य चंद्रमा मिक्स नदी झरना सभी देते हैं रहते हैं जीवन में गति और लय को बनाए रखने के लिए देने की भावना को जागृत करना सबसे ज्यादा जरूरी काम है लेना स्वार्थ है देना परम अर्थ देना दायित्व है लेना असुर तब लेना दुख की वृद्धि है औरत देना सुख का विस्तार संग्रह की परवर्ती का त्याग और ईश्वर से संबंधित जोड़ना ही जीवन का संरक्षण 10 सुख शांति का प्रमुख आधार है ©Ek villain # दान की प्रवृत्ति #jharokha