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Mohan Sardarshahari
इरादा नेक था शब्दों में सच्चाई बोला कम खड़े होकर हिम्मत दिखाई तब जेब-जेब में जगह पाई गांधी नाम से भारत की सादगी ने दुनिया में पहचान पाई।। ©Mohan Sardarshahari जएब-जेब में जगह पाई
पवन आर्य
क्यों मेरी पावन संस्कृति का नाश कर रहे हो कोई तो सिद्ध पुरुष कहलाओं, सभी क्यों बन बैठे हो जोकर कोई तो दयानंद सरस्वती बनकर दिखाओं, सारे ही बन गए शारुख,सलमान,ऋतिक रोशन, कोई तो इस उल्टी परिभाषा को सम्भाल लेतें, अगर आज जिंदा होते महर्षि दयानंद तो हर घर से भगत सिंह और चन्द्र शेखर निकाल देतें, ©पवन आर्य भारत में तब थें आनंद, जब यहां थें दयानंद,
Ð Ðeepàķ Ś Śúmáń
जब जेब में रुपये हो तो दुनिया आपकी औकात देखती है, और जब जेब में रुपये न हो तो दुनिया अपनी औकात दिखाती है।
Rajesh Khanna
दोस्तों के साथ रहना भी तभी अच्छा लगता है जब जेब में पैसे हो ©Rajesh Khanna #outofsight जेब में पैसे
Ashish kant
पता है आपकी जेब में और आपके बैंक अकाउंट में कितने भी पैसे पड़े हो पर वो पैसे कभी उसकी बराबरी नहीं कर सकते जो घर से निकलते हुए मां आपके हाथ में पकड़ा देती है और कहती है ले बेटा रास्ते में कुछ खा लेना ©Ashish kant जेब में और आपके बैंक अकाउंट में
Kumari Neha
जब-जब में तेरी यादों में तड़पी हूँ न जाने कितना खड़की हूँ कोई नही था सँभालने को में खुद गमो से लडी हुँ न रो सकी, न चुप हो सकी।। जब जब में तेरी यादों में तड़पी।।।।।
Amir 'Ek Anjaan Shayar'
सारी जिंदगी लगा दी माल जमा करने में ऐ दोस्त मगर शायद हम यह भूल गए कि ना कफ़न में जेब है और ना क़ब्र में अलमारी। ©Amir 'Ek Anjaan Shayar' ना कफ़न में जेब ना क़ब्र में अलमारी
DHIRAJ GARG
व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के माध्यम से एक फर्जी पोस्ट फैलाई जाती है कि कुछ लोग चोरी और अपहरण कर रहे हैं और कुछ बुद्धिहीन लोग उसे सत्य मान लेते हैं जिसे आक्रोश में आकर के दो साधुओं को उसके ड्राइवर की हत्या कर देते हैं जिसका वीडियो देखकर के मेरा दिल दहल उठा कि मानव इतना क्रूर कैसे हो सकता है ज्यादातर लोग इस हत्या को मॉम लिंचिंग या धर्म की हत्या का नाम दे रहे हैं इस व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी व सोशल मीडिया फर्जी संदेशों ने न जाने देश में कितनी मोबलीचिंग जैसी घटनाओं को अंजाम दिलाया एक सिरे से गिनने जाऊं तो बहुत सारे लोगों के नाम आते हैं लगभग हर धर्म के व्यक्ति का नाम है क्या मानव इतना बुद्धिहीन हो गया है कि अपने विवेक का उपयोग किए बिना अपने मोबाइल की स्क्रीन पर दिखने वाले फर्जी संदेशों पर यकीन करके किसी मानव का हत्यारा बन जाता है और देश के कानून को अपने हाथ में ले लेता है जिसका नतीजा आज हमें सामने दिख रहा है बुड्ढे साधु संतों की हत्या हो गई इस हत्या में हम सब भागीदार हैं क्योंकि देश में जब पहली घटना हुई तब हम लोगों ने आवाज नहीं उठाई जब भी ऐसी कोई घटना हुई हम लोगों ने जाति धर्म या व्यक्ति विशेष की आहट में छिपाने की कोशिश आखिर हम लोग कब तक मानव सभ्यता से अलग-थलग करते रहेंगे कभी धर्म तो कभी जाति के नाम पर और कब तक इस तरीके की घटनाओं को अंजाम दिलाते रहेंगे आज देश विकट परिस्थितियों से गुजर रहा है जा एक और मानव महामारी का दंश झेल रहा है फिर भी सुधरने का नाम नहीं ले रहा है अगर आज भी हम नहीं संभले न जाने इस देश में और कितनी मॉब लिंचिंग जैसी घटनाएं होगी अभी भी हमारे पास वक्त है कि देश के हर नागरिक को अपने मानवीय गुणों से भरपूर होने का प्रमाण देना होगा और इस तरह की घटनाओं का हमें खुल कर के विरोध करना होगा हर तरह के भेदभाव( धर्म जाति क्षेत्रवाद) को भूलाकर के तभी हम सक्षम और सर्वश्रेष्ठ भारत का निर्माण कर पाएंगे मैं खास करके उन तमाम माता-पिताओं को एवं बड़े लोगों को कहना चाहता हूं के अपने बच्चों पर नजर रखें कहीं सोशल मीडिया के माध्यम से आपके बच्चे क्रूर हत्यारे तो नहीं बन रहे हैं अगर सोशल मीडिया के माध्यम से आपके बच्चे या आप हत्यारे बन रहे है तो आप की सबसे बड़ी भूल होगी इस भूल को सुधारने का आपके पास सबसे बड़ा मौका है और अपने आप मानव होने का प्रमाण दीजिए किसी भी अफवाह भरे संदेश पर विश्वास ना करें उसके प्रमाणिकता को जांचें परखें उसके बाद ही उस पर विश्वास करें अगर आपको कुछ गलत लगता है तो आप कानून का सहारा लें ना कि कानून को अपने हाथ में लें भारत के एक सच्चे राष्ट्रभक्त नागरिक होने का प्रमाण दें मैं आशा करता हूं कि आप किसी भी तरीके के अफवाह व नफरत भरे संदेशों पर विश्वास नहीं करेंगे नही दूसरे व्यक्ति तक उसको फॉरवर्ड करेंगे और ना ही किसी हत्या के हिस्सेदार बनेंगे और ऐसी घटनाओं को रोकने में अपनी हिस्सेदारी सुनिश्चित करेंगे इन्हीं आशा और विश्वास के साथ आपका दोस्त धीरज गर्ग #Umeed भारत में मॉब लिंचिंग
Shashi Bhushan Mishra
जिसकी जेब में पैसा है, वो राजा के जैसा है, मिली आँख लब मुस्काए, समझो सूर्य उदय सा है, तपती धूप में साथ तुम्हारा, ठण्डा शीत मलय सा है, घूमा सकल जगत तो पाया, घर की याद वलय सा है, रखता नहीं द्वेष या बंधन, मधुवन संत हृदय सा है, सुख-दुःख का आना-जाना, अच्छे-बुरे समय सा है, जिसकी सेहत अच्छी गुंजन, व्यथा रहित निर्भय सा है, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #जिसकी जेब में पैसा है#