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Guru mantra 444

मित्रता का सार शास्त्रों के अनुसार

मित्रता का सार शास्त्रों के अनुसार #story

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Ek villain

शास्त्रों के अनुसार शब्द ही ब्रह्म है सबकी अपनी सकता है संपूर्ण जगत शब्द में है शब्द ही अभिप्रेरणा से समस्त संसार गतिशील है शब्द अपनी अभिव्यक्ति के पूर्व चिंतन के रूप में रहता है अपनी उत्पत्ति काल में शब्द सूक्ष्म होता है किंतु बाहर आते आते वे स्कूल बन जाता है अपनी सूक्ष्म अवस्था में शब्द आश्चर्य रहता है हम शब्द का स्कूल रूप ही सुनाई पड़ता है

©Ek villain #happycouple शास्त्रों के अनुसार शब्द ही ब्रह्म है

#happycouple शास्त्रों के अनुसार शब्द ही ब्रह्म है #Society

12 Love

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VIKAS KUMAR

वास्तु शास्त्र के अनुसार, 
रविवार और मंगलवार इन दो दिनों में अगरबत्ती नहीं जलाना चाहिए। दरअसल, अगरबत्ती बनाने में बांस का उपयोग किया जाता है। शास्त्रों में रविवार व मंगलवार को बांस जलाने की मनाही है। यदि कोई व्यक्ति ऐसा करता है तो उसे मानसिक व आर्थिक नुकसान होता है।

©VIKAS KUMAR
  #वास्तु शास्त्र के अनुसार, रविवार

#वास्तु शास्त्र के अनुसार, रविवार #जानकारी

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Bhajurama Kandu

 दिनचर्या

दिनचर्या #nojotophoto

4 Love

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सुकुमार

प्रातः काल शाखा की दिनचर्या-

1- प्रातः 06:00 से 06.05 शाखा लगाना
2- 06.05 से 06.15 दोड़ व्यायाम
3- 06.15 से 06.25 सूर्यनमस्कार
4- 06.25 से 06.35 नियुद अभ्यास
5- 06.35से 06.40 प्रहार लगाना
6- 06.40 से 06.55 आसन 
7- 06.55 शाखा विकिर दिनचर्या

दिनचर्या

6 Love

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Umesh Dhanker

सायकोलाजी के अनुसार

सायकोलाजी के अनुसार #Knowledge

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Mahindra

टाइम के अनुसार

टाइम के अनुसार #सस्पेंस

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Akash Das

 #पितृपूजा_निषेध
वेदों और शास्त्रों के ज्ञान आधार से श्राद्ध करना गलत है। ये क्रियाएं शास्त्र विरुद्ध होने के कारण मोक्षदायक नहीं हैं।

#पितृपूजा_निषेध वेदों और शास्त्रों के ज्ञान आधार से श्राद्ध करना गलत है। ये क्रियाएं शास्त्र विरुद्ध होने के कारण मोक्षदायक नहीं हैं। #nojotophoto

4 Love

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Reshma

 #श्राद्ध_शास्त्रविरुद्ध
वेदों और शास्त्रों के ज्ञान आधार से श्राद्ध करना गलत है। ये क्रियाएं शास्त्र विरुद्ध होने के कारण मोक्षदायक नहीं हैं

#श्राद्ध_शास्त्रविरुद्ध वेदों और शास्त्रों के ज्ञान आधार से श्राद्ध करना गलत है। ये क्रियाएं शास्त्र विरुद्ध होने के कारण मोक्षदायक नहीं हैं #nojotophoto

4 Love

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Akash Das

 #पितृपूजा_निषेध
वेदों और शास्त्रों के ज्ञान आधार से श्राद्ध करना गलत है। ये क्रियाएं शास्त्र विरुद्ध होने के कारण मोक्षदायक नहीं हैं।

#पितृपूजा_निषेध वेदों और शास्त्रों के ज्ञान आधार से श्राद्ध करना गलत है। ये क्रियाएं शास्त्र विरुद्ध होने के कारण मोक्षदायक नहीं हैं। #nojotophoto

4 Love

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Akash Das

 #श्राद्ध_शास्त्रविरुद्ध
वेदों और शास्त्रों के ज्ञान आधार से श्राद्ध करना गलत है। ये क्रियाएं शास्त्र विरुद्ध होने के कारण मोक्षदायक नहीं हैं

#श्राद्ध_शास्त्रविरुद्ध वेदों और शास्त्रों के ज्ञान आधार से श्राद्ध करना गलत है। ये क्रियाएं शास्त्र विरुद्ध होने के कारण मोक्षदायक नहीं हैं #nojotophoto

5 Love

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Akash Das

 #श्राद्ध_करना_गीताविरुद्ध
वेदों और शास्त्रों के ज्ञान आधार से श्राद्ध करना गलत है। ये क्रियाएं शास्त्र विरुद्ध होने के कारण मोक्षदायक नहीं ह

#श्राद्ध_करना_गीताविरुद्ध वेदों और शास्त्रों के ज्ञान आधार से श्राद्ध करना गलत है। ये क्रियाएं शास्त्र विरुद्ध होने के कारण मोक्षदायक नहीं ह #nojotophoto

4 Love

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Akash Das

 #pitra
#kbirisgod
वेदों और शास्त्रों के ज्ञान आधार से श्राद्ध करना गलत है। ये क्रियाएं शास्त्र विरुद्ध होने के कारण मोक्षदायक नहीं हैं।

#pitra #kbirisgod वेदों और शास्त्रों के ज्ञान आधार से श्राद्ध करना गलत है। ये क्रियाएं शास्त्र विरुद्ध होने के कारण मोक्षदायक नहीं हैं। #nojotophoto

4 Love

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Umesh Kumar Shastri

उमेश शास्त्री के भजन

उमेश शास्त्री के भजन #प्रेरक

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Shiv Narayan Saxena

दिनचर्या का महत्व

जीवन अनमोल है. इसे दिनचर्या केनाम पर कुछ नियमों से बांध कर चलाओगे तो आज़ाद रहकर जीवन को निखार सकोगे. किन्तु, यदि मित्रों की सुविधा से खाना-पीना, सोना-जागना तथा अपना जीवन चलाओगे तो अपना जीवन बिखेरोगे. क्योंकि आत्मानुशासन में आप स्वतन्त्र बने रहते हैं जबकि दूसरे की इच्छा पर चलना अपने को परवश ( ग़ुलाम ) होते जाने देने की मौन स्वीकृति है.

©Shiv Narayan Saxena दिनचर्या क्यों? 

#Music

दिनचर्या क्यों? #Music

9 Love

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Abhijeet Rajhans

उम्मीदों का पहाड़ा
हमे नही आता।
पर  कुछ बेबाक सी 
हसरते बाकी हैं।
कभी रातों का सूनापन
भाता ।
कभी आसमा में चमकते 
सूरज से लगता हो कोई 
नाता।
कुछ हरकते मंजिल की
ओर  देख कर
माझी को पुकारते
कभी अंदर के शुन्य ने
राहों के एकाकीपन चाहा।
 ढलते सांझ यह 
 मिलीजुली अहसास दिलाते,
बीते आज का हिसाब लगाते।
कुछ पूरी ,कुछ अधूरी 
कुछ हरकते बस खब्बो में
ही खो जाते।
कल की उम्मीद 
मन को बड़ी भाती
इसकी नींव फिर रखी जाती।
एक नए कल को 
बचे हुए आज से मिलाए 
जाने पर मन बड़ा दृढ़
हो जाता ।
बस कुछ ऐसी है मेरी
दिनचर्या।  #thirdquote( मेरी दिनचर्या)

#thirdquote( मेरी दिनचर्या)

0 Love

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Bachan Manikpuri

परमेश्वर के अनुसार चले

परमेश्वर के अनुसार चले #प्रेरक

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Quickly

हिंदू पुराणों के अनुसार

हिंदू पुराणों के अनुसार #जानकारी

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abhisri095

जो
वो इतने अच्छे होते...
तो 
वो अब तक न होते... #NojotoQuote #कलयुगी$समाज के@नियम के #अनुसार..

#कलयुगी$समाज के@नियम के #अनुसार..

29 Love

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manoj kumar jha"Manu"

प्रवृत्त्वाक्चित्रकथ  ऊहवान्  प्रतिभानवान्।
आशु ग्रन्थस्य वक्ता च यः स पण्डित उच्यते।।
विदुरनीति १/३३
(महाभारत)
जिसकी वाणी कहीं नहीं रुकती, जो विशेष प्रकार से बातचीत करता है। तर्क में निपुण और प्रतिभाशाली है तथा जो पाठ्य ग्रन्थ के जटिल प्रश्नों की तत्काल व्याख्या कर बता सकता है। वही शिक्षक है। शिक्षक के गुण
महाभारत के अनुसार

शिक्षक के गुण महाभारत के अनुसार

0 Love

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अद्वैतवेदान्तसमीक्षा

अचार्याद् पादमाधत्ते
पादं शिष्य:स्वमेधया
कालेन पादमाधत्ते
पादं सब्रह्माचारिभि:

1.आचार्य से
2.स्वयं की मेधा से
3.कालक्रम से
4.सहपाठियों के साथ विचार करने से
इन चार के द्वारा विद्या पूर्ण होती है अन्यथा अधूरी विद्या रहेगी। विद्या ग्रहण के शास्त्रीय उपाय

विद्या ग्रहण के शास्त्रीय उपाय #कविता

4 Love

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shravan sahani

समय के अनुसार प्यार

#violin

समय के अनुसार प्यार #violin

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Atul Patanha

लोग लोगो की मानसिकता को परखना भी एक अलग  ही हुनर है साहब जो पढ़ लिया वो बहुत कुछ समझ गया जो ना पढ़ पाया उसने बहुत कुछ खो दिया लोगो की सोच के अनुसार

लोगो की सोच के अनुसार #विचार

5 Love

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Priya Prasad

जीवन के सुख
वक्त के पहियों के अनुरूप
छोटी छोटी बातों में ही खुश
जीवन रंगों से भरपूर
कहीं छाव तो कहीं जला दे धूप
लिखूं इसे में जीवन के सुख
विचलित मन में छूपा है धैर्य बहुत
एकांत लेता नए मार्ग का रुप
संग तुम्हारे जीवन में दुःख और सुख
पार करु साथ तुम्हारे और लिखूं
उसे जीवन का सुख
वक्त के पहियों के अनुरूप
गतिमान है जीवन का सुख
नित्य प्रातः अलग है धूप
कहता प्रभात निराशा क्यों
चल उठ इसे कहते हैं जीवन का
सुख.......

Priya prasad ✍️

©Priya Prasad #safarnama 
वक्त के अनुसार

#womensday2021

#safarnama वक्त के अनुसार #womensday2021 #कविता

5 Love

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pramod malakar

समय के अनुसार चलना सीखो
///////////////\\\\\\\\\\\\\\
लोग कहते हैं
समय के अनुसार चलना सीखो ,
समय    के    अनुसार    दिखो ।
पहले    बलात्कारी    नहीं    थे ,
भ्रष्टाचारी नहीं थे ,
अब   इनसे  तुम  कुछ तो  सीखो ।
समय  के अनुसार  चलना सीखो।
पहले    सनातन    ही    ज्ञान  था ,
सनातन      ही      विज्ञान      का ,
अब खूनी धर्म से सब कुछ सीखो ।
समय के अनुसार  चलना  सीखो ।
पहले   माता  पिता   भगवान  था ,
और    आज    सर   का   बोझ है ,
यह आज के  नौजवानों से सीखो ।
समय के  अनुसार  चलना सीखो ।
 कल    देशभक्ति    का    नारा   था ,
और आज देश भक्ति सोच गंवारा है ,
कुछ सेकुलर पंथी और मुसलमानों से सीखो ।
समय  के  अनुसार  चलना सीखो ।
कल  विकास   देश  का  होता था ,
आज  नेताओं का परिवार का  होता है ,
यह ममता , अखिलेश और हेमंत से सीखो ,
समय   के   अनुसार   चलना   सीखो ।
कल शिव - श्री राम - और श्री कृष्ण भगवान था। ,
आज श्री साईं, ईसाई और अल्लाह बड़ा है ,
यह सब हिंदू विरोधी सरकार से सीखो ।
समय के अनुसार चलना सीखो ।
///////////////\\\\\\\\\\\\\\
प्रमोद मालाकार की कलम से
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

©pramod malakar #समय के अनुसार चलना सीखो

#समय के अनुसार चलना सीखो #कविता

17 Love

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suryachoudhery

मारवाड़ी के बिजनेस का आईडिया
1 cash
2 Accounting
3 sales
4 Raising bill
5 bank statement
6 daily Report
7 saving
8 daily profit and loss Account
9 Expenses
10 Balance sheet
other= business operations
marwadi= Accounting operation
lnvestment = Risk/ profit 
Understand compounding
Understand value of money
marwadi
penny wiss
pound wise

©suryachoudhery मारवाड़ी की दिनचर्या 

#WritersSpecial

मारवाड़ी की दिनचर्या #WritersSpecial #विचार

20 Love

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अद्वैतवेदान्तसमीक्षा

क्यों मनाते हैं नवरात्र?
नवरात्र के पीछे कई कथाएं प्रचलित हैं, पर निम्न दो कथाएं सर्वाधिक तार्किक एवं प्रचलित हैं। पहली कथा है- ब्रह्माजी ने श्रीराम से रावण का वध करने के लिए चण्डी देवी की उपासना कर उन्हें प्रसन्न करने के लिए कहा था। चण्डी पाठ एवं हवन के लिए दुर्लभ नीलकमल की भी व्यवस्था स्वयं ब्रह्माजी ने कर दी। वहीं दूसरी ओर रावण ने भी अमरत्व के लिए चण्डी पाठ शुरू कर दिया। यह बात पवन के माध्यम से इन्द्र ने श्रीराम तक पहुंचा दी। इधर रावण ने राम की पूजा बाधित करने के लिए मायावी तरीके से पूजा-स्थल से एक नीलकमल गायब कर दिया। तभी श्रीराम को स्मरण हुआ कि उन्हें ‘नवकंजलोचन’ (कमलनयन) भी कहा जाता है। श्रीराम ने अपने एक नेत्र को मां की आराधना में समर्पित करने के उद्देश्य से जैसे ही तुणीर से बाण निकाल कर अपने नेत्र में चलाना चाहा, वैसे ही मां दुर्गा ने श्रीराम के भक्ति भाव से प्रसन्न होकर उन्हें विजयश्री का आशीर्वाद प्रदान कर किया। इस प्रकार रावण का वध हुआ और तब से मां दुर्गा की उपासना का पर्व ‘नवरात्र’ मनाया जाने लगा। दूसरी कथा है- महिषासुर की उपासना से प्रसन्न होकर देवताओं ने उसे अजेय होने का वरदान दिया। महिषासुर ने इसका दुरुपयोग शुरू कर दिया। वह सूर्य, चन्द्र, इन्द्र आदि देवताओं के अधिकार छीन स्वयं स्वर्गलोक का मालिक बन बैठा। उसके भय से पीड़ित देवताओं को स्वर्गलोक छोड़ कर मत्र्यलोक में रहना पड़ा। तब महिषासुर का नाश करने के लिए देवताओं ने मां दुर्गा की रचना की। देवताओं ने मां दुर्गा को बल प्रदान करने के लिए सभी अस्त्र-शस्त्र उन्हें प्रदान कर दिए। अंत में महिषासुर का वध कर मां दुर्गा ‘महिषासुरमर्दिनी’ कहलाईं। इस प्रकार नवरात्र का त्योहार प्रारंभ हुआ। नवरात्रि मनाने के 2 शास्त्रीय कारण

नवरात्रि मनाने के 2 शास्त्रीय कारण

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