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Shivani nivedita chourasiya
चुपके से मुस्कुरा देती हूं मैं जब खुल के रो नहीं पाती..... shivani84@ सीख ली जिसने अदा गम में मुस्कुराने की, उसे क्या मिटाएंगी गर्दिशें जमाने की!!
Mohammad Ibraheem Sultan Mirza
नजर अंदाज जितना करना है कर लो, अन्दाजा उस दिन का भी कर लो जब हम नजर नहीं आयेगे, ___________________________ मौहम्मद इब्राहीम सुल्तान मिर्जा,, गर्दिशें ज़माने की क्या उसे सतायेंगी, ... जिसने अपनी आंखों में करबला बसाया है !
drsharmaofficial
हर लम्हें हर सहीफ़े पे उनका ही कहर, देखों तो सियाह चश्मगी से ही चराग़ों को उछाल आ जाय रुके तो गर्दिशें उसका तवाफ़ करती हैं चले तो उसको ज़माने ठहर के देखते हैं ©अहमद फ़राज #yqdidi #yqbaba #urdu #yqaestheticthoughts #erotica #s
Madhav Jha
फ़राज़ क़लम तो लिख गए ज़रा ख़ुश्बू से उड़ा के फैले गुस्ताख़ी माफ़ हो कि चलते चलते माधव वो कलाम कैसे लिखे । *सुना है लोग उसे आंख भर के देखते हैं, सो उसके शहर में कुछ दिन ठहर के देखते हैं, सुना है रब्त है उसको ख़राब हालों से सो अपने आप को बर्बाद कर के देखते हैं, सुना है दर्द की गाहक है चश्म-ए-नाज़ उसकी, सो हम भी उसकी गली से गुज़र के देखते हैं, सुना है उसको भी है शेर-ओ-शायरी से शरफ्त सो हम भी मोइज़्ज़-ए-अपने हुनर के देखते हैं सुना है बोले तो बातों से फूल झड़ते हैं ये बात है तो चलो बात करके देखते हैं सुना है रात उसे चाँद तकता रहता है सितारे बाम-ए-फलक से उतर के देखते हैं सुना है दिन को उसे तितलियां सताती हैं सुना है रात को जुगनू गुज़र के देखते हैं सुना है हश्र हैं उसकी ग़ज़ाल सी आँखे सुना है उसको हिरन दश्त भर के देखते हैं सुना है उसकी स्याह चश्मगी क़यामत है सो उसको सूरमोफरोश आँख भर के देखते हैं सुना है उसके लबों से ग़ुलाब जलते हैं सो हम बहार पे इल्ज़ाम धर के देखते हैं सुना है आईना तमसाल है जबीं उसकी जो सादे दिल हैं उसे बन संवर के देखते हैं सुना है उसके बदन की तराश ऐसी है के फूल अपनी कबायें क़तर के देखते हैं बस इक निगाह में उठता है काफ़िला दिल का सो रहरबां-ए-तमन्ना भी डर के देखते हैं सुना है उसके शबिस्तान से मुत्तसिल है बहिश्त.... .... (आगे) मकीं उधर के भी जलवे इधर के देखते हैं किसे नसीब के बेपैरहन उसे देखे कभी कभी दर-ओ-दीवार घर के देखते हैं रुके तो गर्दिशें उसका तवाफ
Guruwanshu
थोड़ी कसक थोड़ी गलतफहमी थोड़ी रंजिशें रहने दो, मनाने की कोशिश में नाराज़गी की भी बंदिशें रहने दो। मनाने के लिए हर बार हर पैतरा लगाना तो सही नही, आगे के लिए भी बाकी उनमें से कुछ काविशें रहने दो। पर अगर प्यार है तो थोड़ा झुकने में भी कोई बुराई नही, अपनी कही बातों में थोड़ी छुपी हुई गुज़ारिशें रहने दो। दिल से जुड़े के रिश्ते की पहचान इंतज़ार से ही होती है, इसलिए खुदा से कहो कुछ दिन दूरी की गर्दिशें रहने दो। किसी को पाने के लिए तो अपना सारा प्यार लुटा दिया, पाने के बाद भी देने के लिए प्यार की नवाज़िशें रहने दो। प्यार किसी को एक बार मे पा लेना नही होता ज़नाब एक दूसरे को फिर से पाने की कुछ ख्वाहिशें रहने दो। थोड़ी कसक थोड़ी गलतफहमी थोड़ी रंजिशें रहने दो, मनाने की कोशिश में नाराज़गी की भी बंदिशें रहने दो। मनाने के लिए हर बार हर पैतरा लगाना तो सही नही
राजेश गुप्ता'बादल'
आरिश की मानिंद ही सही गरीबखाने में मेरे , कभी तो उतर आओ अरे मेरे हमसफ़र चले आओ। आरिश = सूरज की किरण ✍️✍️✍️✍️✍️ बस चले आओ ✍️✍️✍️✍️✍️ गर्दिशें कितनी भी क्यूं ना हो राह में, मोड़ कर
Parul Sharma
शोला और शबनम kavita read in caption ।। शोला और शबनम ।। इश्क के अंगार में वो कूद पङा एक शबनम गिरी एक कतरा धुँआ उठा महक रही है, पिघल-२कर, इश्क-ए-मुहब्बत सुलघ रहा है
Prerit Modi सफ़र
उम्र के इस पार भी है उस पार भी होगा साथ मेरा मसर्रतें हो या हो गर्दिशें हरपल होगा साथ मेरा मिलन है तेरा मेरा कई जन्मों का, अभी तो बस आगाज़ है चाहें हो ग़मगीन या हो 'सफ़र' सुहाना होगा हाथों में हाथ मेरा मसर्रतें- happiness गर्दिशें- बुरा समय ग़मगीन- उदास, संतप्त, दुखी 🌝प्रतियोगिता-67 🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️