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Pashupati nath prasad
रवि की किरणे बरस रही है इस क्षितिज पर आकर , कनक फर्श को बिछा रही है सुबह यहाँ पर लाकर , इस दृश्य से आँख न हटती मन न तृप्त है होता , अगर सूर्य न उदय होते आँख व्यर्थ सब होता । # सूर्योदय की छबि
दिलकि बात
ऐसा नहि हे अमिर सिरप महल पे राज करता गरिब दिलपे राज करताll बात इन्सान, इन्सान पे फरक होति हे गरिब हो या अमिर धोकेबाज तो सिरप टाइम पास करताll ©दिलकि बात #हर#इन्सान्#कि एक अलग छबि होति हे चाए अमिर हो या गरिब्#
brijesh mehta
तुम्हारा नाम अच्छा लगा फिर लेखन-ज्ञान से प्रभावित हुआ फिर सोच-विचार ने जादू किया कुछ छाप तुम्हारे प्रोत्साहन ने कुछ तुम्हारे जवाब ने, कुछ तुम्हारी हिम्मत ने कुछ असर छबि ने डाला कुछ प्रभाव तुम्हारे काव्य ग्रंथ ने कुछ असर गुणों ने, कुछ जो़र आकर्षण ने — % & देखते-देखते आकर्षण चाहत मैं बदल गया। 💞 💞 छबि = फ़ोटो, तसवीर #मंमाधन #manmadhan #brijeshmehta #lovestory #lovequotes #lifequotes #fantasy
Vinod Mishra
insightful_ink
कई दफा बाद आज फिर हमे उनकी याद आई, आफताब सेहर भी ना आ पाया था और हमारी अंस हमारे ज़हन में थी आँखे खुलने पर एक अक्स उनकी हमारे सामने सी आने लगी शायद रात में उनको फिर अपने ख्वाबो में देखा होगा हमने जो आज का सेहर इतना मुख्तालीफ सा लगा इज़ाज़त तो दे दी थी हमने उनको हमसे जुदा होने की फिर जाने क्यो आज अचानक वो हमारे ज़हन मे आ के एक इज़तिरार सा मचा गयी पर ना जाने क्यो उनको याद कर के हमारे चेहरे में एक तब्बासूम सी आ गयी जो हमको आज कई अर्सो बाद लिखने को कर गयी। ©ardent_ashu आफताब- Sun, सूरज सेहर - morning, सुबह अंस - beloved, प्यार अक्स - reflection, छबि खाव्बो- dream मुख्तालीफ़ - different, अलग इज़ाज़त -
Gopal Pandit
विवेक त्रिवेदी
चंद्र सदृश मुख ,लटे लटकती जैसे लता सांसों में पुस्पित सुंगंध,काया में कुसुम सी कोमलता भीना झीना सा अंचल है , आंखे है कारी कजरारी धनुष भौंह, नासिका बांसुरी, छबि बहुत ही है न्यारी कितना भी उपमित कर दू, या आकृति बना दू या लिख दूं तुझपे कोई लेख पर खुद में तेरी सुंदरता है उत्तम अनुपम और अलेख चंद्र सदृश मुख ,लटे लटकती जैसे लता सांसों में पुस्पित सुंगंध,काया में कुसुम सी कोमलता भीना झीना सा अंचल है , आंखे है कारी कजरारी धनुष भौंह,
Yashpal singh gusain badal'
वसंत लता वसन संग रति करें सादनानन में, पियूष भरा पुष्प शोभित आनन मेँ । मदन उत्साह ,अनंग मधु विकसत तन मेँ । तरु-मरु शोभित, भ्राँति करे तूर्य सी जन मेँ । अनंग छबि भरे, परिपूर्ण मुग्ध धौर आभा । श्रंग गिरि सरि मेँ ,मन मोहित करे आभा । मारुत हिलोर दे तन्वी ,न्रत्य कटि मटकावे । भानु शशि सम लगे , पुष्प मास हर्षावे । रचना- यशपाल सिह बादल . ©Yashpal singh gusain badal' लता वसन संग रति करेँ सदनानन मेँ । पियूष भरा पुष्प शोभित आनन मेँ । मदन उत्साह ,अनंग मधु विकसत तन मेँ । तरु-मरु शोभित, भ्राँति करे तूर्य सी
VAniya writer *
हममें छिपी उनकी छबि है साथ उनके हमारी जिंदगी है! हमारी उलझनों को उन्होंने प्यार से थामा है अफसाने अपने सुना के नई राह दिखाई है उंगली पकड़कर उनकी आसामां देखा है जो मिलेगा ना कभी ऐसे सपने सजाए हैं ठोकर कभी ना देना उनको पिता है वो उनके सीने में भी मां के जितना ही प्यार है! ©VAniya writer * हममें छिपी उनकी छबि है साथ उनके हमारी जिंदगी है! हमारी उलझनों को उन्होंने प्यार से थामा है अफसाने अपने सुना के नई राह दिखाई है
SONALI SEN
।। मोहना।। मैं समुन्दर से किनारा पा भी लूं, वादा करो तुम मुझसे मिलने आओगें , अबके जो बरसेगा सावन झूम के, संग मेरे तुम तराना गाओगें, मैं चुनर धानी , नूपुर पग बाध के, राह ताकूगीं ,कदम की छांव मै, तुम मुकुट सिर, कर मे वंशी धार कर, दौड़ कर आना ,पीतांबर डाल कर, अब बिहारी मुझसे ये वादा करो, नैनों मे मेरे ,छबि अपनी भरो, पीर नौनों से मे, तुमको सुनाऊंगीं, तुम चले आना, मैं जब भी बुलाऊंगीं।। ....सोनाली सेन #Nojoto #Love ।। मोहना।। मैं समुन्दर से किनारा पा भी लूं, वादा करो तुम मुझसे मिलने आओगें , अबके जो बरसेगा सावन झूम के,