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meena
जानती हूं की अब तुम्हें तकलीफ़ महसूस नहीं होती, देख कर मुझे तकलीफ़ में। ए जिंदगी कुछ दिनो में जा रहे हो। बयां भी नहीं कर सकूंगी, कैसे गुजारूगी दिन दर्द तकलीफ़ में। मगर फिर भी आहिस्ता-आहिस्ता गुजर ही जाएंगे दिन तारीखे । कुछ तारीख में। ©meena #तारीखें तारीख में।
BIDISH GOSWAMI
वो दिन लौट कर नहीं आते लेकिन.... तारीखें बार बार दस्तक देने चली आती है। #तारीखें #तारीख #दिन #बीती_यादें
कवि मनीष
आया सावन झूम के, हरी-हरी धरती गाये घूम-घूम के, आया सावन झूम के, शिव,शंकर,शंभु की टोली आई, झूम-झूम के, आया सावन झूम के,
Smita Jain
🌦️🌦️🌦️ आया सावन झूम के🌦️🌦️ जब-जब पड़ी बूंदे पानी की जमीं पर यूं लगा सावन की बूंदों ने दस्तक दी हो मुरझाई सी, अलसाई सी बेलो को, लताओं को हरितमा के आंचल से ढक दिया बरस कर ⛈️⛈️⛈️⛈️🌿🌿🌿🌿🌳🌳🌳☘️⛈️⛈️ गूंजने लगा बारिश की टिमटिमाहट का गुंजन मेंढकों की टर्र -टर्र और झीगुरों के आहटों से प्रकृति का मद्धिम कर्णप्रिय संगीत का जादू झरनों का कलरव देने लगा आमंत्रण पर्यटकों को 🐸🐸⛈️⛈️💫💫🐊🐊🐲🐲🦎🦎🐍🐍 भीगने लगे तन बदन ,मन की पीड़ाओं से परे होकर डोलने लगे छाते, रेनकोट, गली-गली, चौराहों पर मिट्टी से दूषित हो सनने लगे हाथ पैर चलने लगी नावें नवनिहालों की कागज की घरों के बाहर ☔☔☔🌾🌾🌾🌌🌌🌙🌌🌦️🌦️🌥️🌃 करने लगे लुकाछिपी सूरज -चंदा बादलों की ओट में ढलने लगी सुरमई शामें सुनहरी धूप से बेचैनी से करने लगा मन इंद्रधनुष का इंतजार घरों की मुंडेरों और छतों पर जाकर 🌤️🌤️🌤️🌙🌙🌌🌌🌌🌈🌈🌈🌓🌔🌗 बजने लगे मंदिरों में घंटे ज़ोर ज़ोर से उठने लगी मंत्रों के जाप गली- गली मोहल्लों में स्थापित होने लगे चतुर्मास देवताओं और गुरुओं के होने लगी शुद्धि यज्ञ कुंडों के घी -हवन सामग्री से 🌠🌠🔥🔥💮💮🌋🎠🎪🎪🛕🛕🛕🗿 घरों की चौखटों पर टकटकी लगाकर बाट जोहति बिरहनो की खातिर होने लगी वापसी परदेसियों की मेहंदी,महावर की लालिमा से सजने लगे हाथ-पैर भाइयों की कलाई करने लगी बहनों की राखी का इंतजार 💕💕💞💞💘💘♥️♥️❤️❤️💞💕💌💖 यूं लगने लगा सावन की बूंदों ने प्रकृति संग जैसे हर जीव को अपने संपूर्ण वरदान से आर्शीवादित कर दिया गर्मी के अभिशाप से मुक्त कर दिया हो जीवन की संपूर्णता का एहसास कराता आया सावन झूम के 💖💖💕💕🌈🌈🌦️🌦️🌾🌾🛕🛕💖💖 #स्मिता जैन छतरपुर मध्य प्रदेश ©Smita Jain आया सावन झूम के
writer shashi dwivedi
ये धरती ये अम्बर ये सावन घटायें नदियों की कलकलाहठ । पंछियों की गुनगुनाहट बादल छाये है काले-काले कितनी सुहावन हैं घनघोर घटायें।। ये धरती ये अम्बर ये सावन घटायें बारिश की फ़ुहार छाया हैं गुमार चारों तरफ है हरियाली कोयल की है गीत प्यारी ।। ये धरती ये अम्बर ये सावन घटायें मोर पंख फैलाये । मेढ़क भी गीत सुनाये चारों तरफ है खुशहाली अम्बर में है बादल छाये मेघों की है मनमानी ।। ये धरती ये अम्बर ये सावन घटायें -Shashi Dwivedi सावन आया झूम के
Aditya Raj
मस्ती के मौसम को याद कर मस्त हो जाएं हम तुम झूमे नाचे हसे साथ दोनो चल झूम उठें.... ©Aditya Raj मस्ती के मौसम को याद कर मस्त हो जाएं हम तुम झूमे नाचे हसे साथ दोनो चल झूम उठें....