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Shravan Goud

अकडपन खत्म हो जाता है
जब वक्त की आंधी आती है
 और लचीलापन अपनी 
क्षमताओं से बचाव करता है। अकडपन खत्म हो जाता है जब वक्त की आंधी आती है और लचीलापन अपनी क्षमताओं से बचाव करता है।

अकडपन खत्म हो जाता है जब वक्त की आंधी आती है और लचीलापन अपनी क्षमताओं से बचाव करता है।

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Atul Sharma

*📝“सुविचार"*📝 
🖊️*“7/1/2021”*🖋️
📘✨ *“गुरुवार”*✨📙

*“संबंध” में यदि “लचीलापन” ना हो,
“अभिमान” की “दृढ़ता” हो तो 
वह “संबंध” भी बिखर जाते है* 
*तो लाइए यह “लचीलापन” अपने “संबंधों” में ताकि “कल” कोई “समस्या” आए तो यह “संबंध” टूटे नहीं,*
*यदि इस “आकाश” में देखें तो “सूर्य” भी “चंद्रमा” को देख कर “झुक” जाता है हम तो “साधारण” से “मनुष्य” है...*
✨ *अतुल शर्मा🖋️📝📙* *📝“सुविचार"*📝 
🖊️*“7/1/2021”*🖋️
📘✨ *“गुरुवार”*✨📙

#“संबंध” 

#“लचीलापन”

*📝“सुविचार"*📝 🖊️*“7/1/2021”*🖋️ 📘✨ *“गुरुवार”*✨📙 #“संबंध” #“लचीलापन” #“विनम्रता” #“अभिमान” #“समस्या” #“समाधान”

12 Love

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Atul Sharma

*सुविचार*
*Date-28/5/19*
*Day-Tuesday*


🌱... *इस पौधे को देखिए*

कितना "कोमल".. कितना "लचील" यदि इस पर थोड़ा-सा भी "दबाव" डालें तो झुक जाता है.. "पौधे" तो होते ही हैं ऐसे... थोड़ा-सा "दबाव" डालोगे तो "झुक" जाएंगे इसके लचीलेपन कारण... किंतु इनका ये *"लचीलापन"* *"आंधियों"*, *"चक्रवातो"* में टूटने से बचाता है.. यदि इनके स्थान पर कोई *"अक्रिय"* या कोई *"वृक्ष"* 🌳हो तो *"पवन"*🌪 की *"तीव्र"* *"गति"* को वह *सह* नहीं पाते उसका *"सामना"* नहीं कर पाते, *"टूट"* कर *"गिर"* जाते हैं... कुछ इसी प्रकार होते हैं हमारे *"संबंध"*... यदि उनमें वह *"लचीलापन"* ना हो, *"अभिमान"* की *"दृढ़ता"* हो, तो वह *"संबंध"* भी बिखर जाते है, तो लाईए यह *"लचीलापन"* अपने *"संबंधों"* में ताकि *"कल"* यदि कोई *"समस्या"* आए तो यह *"संबंध"* टूटे नहीं... यदि इस *"आकाश"* में देखें *"सूर्य"*☀ भी *"चंद्रमा"* 🌕 को देखकर झुक जाता है हम तो साधारण से मनुष्य है....
तो *"संबंधों को झुकाना"* नहीं *"संबंधों के समक्ष झुकना"* सिखिए...

Bý-Åťüľ Şhãřmå🖊️🖋️✨✨ *सुविचार*
*Date-28/5/19*
*Day-Tuesday*


🌱... *इस पौधे को देखिए*

कितना "कोमल".. कितना "लचील" यदि इस पर थोड़ा-सा भी "दबाव" डालें तो झुक जाता

*सुविचार* *Date-28/5/19* *Day-Tuesday* 🌱... *इस पौधे को देखिए* कितना "कोमल".. कितना "लचील" यदि इस पर थोड़ा-सा भी "दबाव" डालें तो झुक जाता

5 Love

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मुखौटा A HIDDEN FEELINGS

" प्रश्नचिन्ह "
***********
वो काली घटा सा मंजर था
या तपिश थी चांद-तारो की ,
मेरे ही दिल की धड़कन थी
या कोई दस्तक किनारों की …!

भटकती रुह सी भटकन या
डर था कुछ तूफानों का ,
ऐसा ही  कुछ मंजर था 
वो उन  बिछड़ी बहारो का ..!

सलोनी बात थी कोई या
लचीलापन था अश्कों का ,
गले में फस गया था जो
वो शायद खौफ था गम का …!

नमी आंखो मे कम ना थी 
मगर लब पर हसी भी थी ,
खामोशी के मौसम  में
यें बातें बेवजह क्यूं  थी…. !

मेहरबानी हवाओं की या
कोई आहट दुआओ की ,
कभी मुझ तक ना पहुंची जो
वो ही  बातें  सजा सी थी…..!

उम्र के इस किनारे पर
ये सारे प्रश्नचिन्ह क्यों है..
वो लाचारी थी जीवन की
या कमी कुछ मेरी राहों की….!!!

©DEAR COMRADE (ANKUR~MISHRA) " प्रश्नचिन्ह "
***********
वो काली घटा सा मंजर था
या तपिश थी चांद-तारो की ,
मेरे ही दिल की धड़कन थी
या कोई दस्तक किनारों की …!

भटकती रुह स

" प्रश्नचिन्ह " *********** वो काली घटा सा मंजर था या तपिश थी चांद-तारो की , मेरे ही दिल की धड़कन थी या कोई दस्तक किनारों की …! भटकती रुह स #poem #Nishabd

12 Love

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सुसि ग़ाफ़िल

सच मानो तो अकाल मृत्यु का टैंट लग चुका है
उदासियों के दूत आते हैं शाम सुबेरे भोज करने 

मोह भंग हो गया तुम्हारा 
तुम दूर हट गई हो मुझसे
तुम जानती हो जितना 
उतना मैं भी नहीं जानता
मुझे महसूस होता है मुझे हर पल महसूस होता है
मुझ

मोह भंग हो गया तुम्हारा तुम दूर हट गई हो मुझसे तुम जानती हो जितना उतना मैं भी नहीं जानता मुझे महसूस होता है मुझे हर पल महसूस होता है मुझ

0 Love

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अशेष_शून्य

"मानसिक जड़ता"
(शेष अनुशीर्षक में) हम जिस भी 
विचार से ,व्यक्ति से
परिस्थिति से , विश्वास से
सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं
उसे या तो बार बार 
दोहराना चाहते हैं;
या उसे एक झटके

हम जिस भी विचार से ,व्यक्ति से परिस्थिति से , विश्वास से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं उसे या तो बार बार दोहराना चाहते हैं; या उसे एक झटके #clarity #flexibility #yqaestheticthoughts #thinking_process #अशेष_शून्य

0 Love

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Rajeshwari Thendapani

सफलता की राह सफलता का मार्ग सीधा नहीं है, 
विफलता नामक एक वक्र है, एक लूप जिसे भ्रम कहा जाता है,       
 गति-कूबड़ दोस्तों, लाल बत्ती दुश्मन कहा जाता है

सफलता का मार्ग सीधा नहीं है, विफलता नामक एक वक्र है, एक लूप जिसे भ्रम कहा जाता है,         गति-कूबड़ दोस्तों, लाल बत्ती दुश्मन कहा जाता है #yq

0 Love

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Divyanshu Pathak

क्या ग़ज़ब आसार बनते जा रहे
कैसे ये नर नार बनते जा रहे ?
धर्म ढूंढे से कहीं मिलता नहीं
मजहबी मक्कार बढ़ते जा रहे !

नफरतों की आंधियां है उठ रही
आग मतलब की लगाते जा रहे !
कौन माँ की लाज की रक्षा करे
संत भी खूँखार बनते जा रहे ! 💕☕#good evening💕
:
खाके रबडी दूध मक्ख़न संतरे
सबके सब बीमार बनते जा रहे !
शुद्ध कुछ ढूंढे यहां मिलता नहीं
मिलाबट के बाज़ार बनते जा रहे !
:
देश

💕☕good evening💕 : खाके रबडी दूध मक्ख़न संतरे सबके सब बीमार बनते जा रहे ! शुद्ध कुछ ढूंढे यहां मिलता नहीं मिलाबट के बाज़ार बनते जा रहे ! : देश #मेरे #पंछी #पाठक #हरे

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Osho Jain

... Greatness of lines.... "अब तो पथ यही है" कहने का तरीका देखिए!
कैसे ढाल लिए अपने को हर प्रकार की समस्याओं के लिए

 जीवन में यह लचीलापन साधना बहुत कठिन है, पर दुष्यं

"अब तो पथ यही है" कहने का तरीका देखिए! कैसे ढाल लिए अपने को हर प्रकार की समस्याओं के लिए जीवन में यह लचीलापन साधना बहुत कठिन है, पर दुष्यं #YourQuoteAndMine #dushyantkumar #प्रेरणा #दुष्यंतकुमार #yqsahitya #दरीचा #दुष्यन्त_कुमार #अब_तो_पथ_यही_है

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Sanjeev gupta

 नैनों का नशीलापन

नैनों का नशीलापन #nojotophoto #विचार

6 Love

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Vidhi

तन की आंच, और मन का ये गीलापन
फ़िर सावन की किसे तलाश है...? #सावन #मन #गीलापन #तलाश #आँच #तन #YQdidi #YQbaba
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SHAYARI BOOKS

लचीला पेड़ था जो झेल गया आँधिया,
मैं मगरूर पेड़ों का हश्र जानता हूँ! लचीला पेड़ था जो झेल गया आँधिया,
मैं मगरूर पेड़ों का हश्र जानता हूँ!

लचीला पेड़ था जो झेल गया आँधिया, मैं मगरूर पेड़ों का हश्र जानता हूँ!

5 Love

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AJAYPAL

#dharm मिट्टी का गीलापन #najotofamily #Najotoshayri #ShortStory #viral♥️♥️♥️  Sethi Ji CHOUDHARY HARDIN KUKNA Riya Soni Meri baatein.... pin

#dharm मिट्टी का गीलापन #najotofamily #Najotoshayri #ShortStory viral♥️♥️♥️ Sethi Ji CHOUDHARY HARDIN KUKNA Riya Soni Meri baatein.... pin #विचार

99 Views

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Deepak Kumar

"योग" हर पुरुष को जरूर करना चाहिए क्यूँकि योग से शरीर इतना लचीला हो जाता कि संकट के समय किसी भी महिला के कपड़े पहनो- फिट आते हैं.... #Poetry

"योग" हर पुरुष को जरूर करना चाहिए क्यूँकि योग से शरीर इतना लचीला हो जाता कि संकट के समय किसी भी महिला के कपड़े पहनो- फिट आते हैं.... #Poetry

undefined Views

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Nisheeth pandey

#FourlinePoetry वो देखो  लाल हो रहा है आसमान...
बहती खून का रंग छीन ली नीलापन ... 
तपती धूप ने क्या खूब मचाया कत्लेआम ...
वो देखो आज सूरज भी बना पड़ा है अपराधी बेरहम ...

🤔#निशीथ🤔

©Nisheeth pandey वो देखो  लाल हो रहा है आसमान...
बहती खून का रंग छीन ली नीलापन ... 
तपती धूप ने क्या खूब मचाया कत्लेआम ...
वो देखो आज सूरज भी बना पड़ा है अपरा

वो देखो लाल हो रहा है आसमान... बहती खून का रंग छीन ली नीलापन ... तपती धूप ने क्या खूब मचाया कत्लेआम ... वो देखो आज सूरज भी बना पड़ा है अपरा #poem #fourlinepoetry

83 Love

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Deepshikha Singh

किताब सा चेहरा
 या 
चेहरे सी किताब 
कौन किसे पढ़ रहा है? वो जुल्फों की सफेदी
या कागज का पीलापन
गिनती झुर्रियां
या दर दराई कागजी कोने
कौन ज्यादा उम्र्जदा?

चेहरे का रूहानी नूर
पन्नों पर बिछी स्याही

वो जुल्फों की सफेदी या कागज का पीलापन गिनती झुर्रियां या दर दराई कागजी कोने कौन ज्यादा उम्र्जदा? चेहरे का रूहानी नूर पन्नों पर बिछी स्याही #Life #experience #zindgi #nojotopost #nojotohindipost #budhapa

234 Love

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Ashok Yadav Amit

"मिट्टी का गीलापन जिस तरह से""...
"पेड़ की जड़ को पकड़ कर रखता है"!
"ठीक उस तरह शब्दों का मीठापन"..
"मनुष्य के रिश्तों को पकड़ कर रखता है"!!
   🌹❤️सुप्रभात❤️🌹

©Ashok Yadav Amit *"मिट्टी का गीलापन जिस तरह से""...*
*"पेड़ की जड़ को पकड़ कर रखता है"!*

*"ठीक उस तरह शब्दों का मीठापन"..*
*"मनुष्य के रिश्तों को पकड़ कर रखता ह

*"मिट्टी का गीलापन जिस तरह से""...* *"पेड़ की जड़ को पकड़ कर रखता है"!* *"ठीक उस तरह शब्दों का मीठापन"..* *"मनुष्य के रिश्तों को पकड़ कर रखता ह #विचार #jail

6 Love

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Anita Saini

प्रकृति विचित्रताओं की जननी है
हर तुच्छ समझी जाने वाली
वस्तु का भी अस्तित्व महत्वपूर्ण है
अगर फूल को खिलना है
तो उसको मुरझाना भी है
उन्हें नए रूप में जो ढलना है,
अब इत्र जो बनना है!
पत्तों का पीलापन
नवजीवन का द्योतक है!
नव-पल्लव का उद्घोषक है!
स्वस्थ जीवन-चक्र के लिए
मौसम सब अच्छे होते हैं... सुप्रभात।

सोचा है कि अगर मौसम 
ना बदले तो सब कैसा होगा..?
प्रकृति परिवर्तनशील क्यूँ है..?
हर सजीव वस्तु के लिए
गतिशीलता आवश्यक क्यूँ..?
प्र

सुप्रभात। सोचा है कि अगर मौसम ना बदले तो सब कैसा होगा..? प्रकृति परिवर्तनशील क्यूँ है..? हर सजीव वस्तु के लिए गतिशीलता आवश्यक क्यूँ..? प्र #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine

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Shivangi

गर तूने छुआ मेरे जिस्म को तो खाक कर दूंगी तुझे
मैं कोई माटी की गुड़िया नहीं,बन ज्वाला राख कर दूंगी तुझे।। रेप करने में मात्र 15 मिनट लगता है और
मुजरिमों को सजा देने में 15 साल लग जाते हैं..
क्यों हमारे देश का कानून इतना लचीला है।
न्यूज़ के अनुसार

रेप करने में मात्र 15 मिनट लगता है और मुजरिमों को सजा देने में 15 साल लग जाते हैं.. क्यों हमारे देश का कानून इतना लचीला है। न्यूज़ के अनुसार #Shame #yqbaba #yqdidi #yqquotes #sexualharassment #shivangiverma #yqsocial

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Mahi Vaishnav

अवसाद ,खुदखुशी या खून !!
यह विषय किसी भी व्यक्ति के लिए व्यक्तिगत नही रहा।
लेख लिखने का कारण स्वयं का अनुभव रहा है।
कुछ सवाल के जवाब मिलना मुश्किल हो जाता है ।जब मिलनसार व्यक्ति अचानक 
गुम शुम हो जाता है।
मुश्कराना शायद इस बार आम हो जाता है 
क्योंकि अब व्यक्ति का बदलना प्रारम्भ हो जाता है ,यह तो बड़ा हो गया उम्र के साथ शायद यही बदलाव है इसी को स्वीकार कर दोस्त व घर वाले  किनारा कर जाते है ।
"ग़ुनाह किसका है?"
शायद दबी हुई उन चिखो का जो सिर्फ सिसकना जानती है ,बंद कमरों में खुद को कैद रखना चाहती है।
दोहरे चरित्र बन जाना भी अब आम हो गया है ,शायद वो अपनी ही दुनिया मे गुमनाम हो गया है।
वो चीखे बढ़ते वक्त के साथ व्यवहार बन जाती है ।
वक्त के साथ बढ़ते दबाव को झेल पाना शायद मुश्किल हो जाता है। #SushantSinghRajput 
#personalexperience
 यह एक गंभीर विषय है ,अवसाद लंबे समय तक रहने पर आपकी जान ले सकता है ।यह कड़वी सच्चाई है ,इससे दूर हो

#SushantSinghRajput #personalExperience यह एक गंभीर विषय है ,अवसाद लंबे समय तक रहने पर आपकी जान ले सकता है ।यह कड़वी सच्चाई है ,इससे दूर हो

19 Love

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ashutosh anjan

प्रकृति की सुंदरता(कविता)
नीचे कैप्शन में पढ़े👇 हर धड़ के ऊपर चादर से
लिपटा अनंत तक फैला
मैं जो नीलापन  हूँ
हाँ मैं वही आकाश हूँ

सर्वस्व अपनी गोद मे किए
धारण वात्सल्य से भरी
पल पल उजड़ती

हर धड़ के ऊपर चादर से लिपटा अनंत तक फैला मैं जो नीलापन हूँ हाँ मैं वही आकाश हूँ सर्वस्व अपनी गोद मे किए धारण वात्सल्य से भरी पल पल उजड़ती #yourquote #yourquotedidi #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #yoyrquotebaba #kkpc16 #आशुतोष_अंजान

0 Love

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Nisheeth pandey

◆शीर्षक- पीड़ित अखबार◆

__________
घर के किसी एकांत 
शांत 
कोने में ,
अखबार ले कर
 बैठ गया 
आज अखबार की 
रंगरूप 
पर नज़रें टिकी ,
मन ने कहा 
देखो निशीथ
पूरे देश दुनिया का खबर तुम्हारे घर तक
 पहुंचाने वाला
अखवार के पन्ने देखो 
मटमैला सा
 खुद सहारे की भीख मांगता सा 
पीलिया का बीमार सा 
पीलापन लिये
 कितना बीमार सा लगता है ....
मटमैला सा पीलापन पीड़ित सा अखबार... 

अख़बार में 
कल का घटनाक्रम
 आज काली श्याही में घुल गई ,

प्रथम पन्ने पर चेतावनी ,
कोरोना के कब्जे में देशवासी,

मानवता की विचित्र सार,
बुद्धिजीवीयो के बोलबच्चन हज़ार,
फिर भी मानसिक रूप से
बीमार...

बूढ़े माँ-बाप 
अपने ही घर से बेघर,
3साल 6 साल की मासूम बच्ची का बलात्कार....
पन्ने पलटते हैं अब,
एक मौलवी का एलान ,
अपराध का संरक्षण ही
 सबसे बड़ा मजहब की दुहाई
 देश को डराने धमकाने का बोल बचन..

थोड़ी ठंडी थोड़ी गर्म चाय की चुस्की के साथ 
पन्ने पलटते रहे..

विदेशी घुसपैठ,
 रोहिंग्या का विभिन्न जगहों पर कब्जा ,
खाने पर बढ़ता वैट,
रोज धराशायी होते जेट,

अभी आधा अखबार ही पलटा था..
सारा देश भ्रस्टाचार में ,
पानी मे चीनी की तरह घुल रहा था,

कोयला भी काला धन 
उगल रहा था...
देशद्रोही देश के खिलाफ
 आग उगल रहा था , प्रधानमंत्री को अपशब्द बोल रहा था ....

सडको पर
 मौत बाँटते तब्लीगी ,
 फल सब्जी वाले और रईसजादे...
आधे गैर मुल्क वाले
 तो आधे अपने देश वाले..

क्रिकेट के शोर,
 फुटबॉल के उभरते गोल,
अभिनेताओ के बदलते रोल..
बच्चे नशे में धुत ....

 मंगल और चांद पर 
जिंदगी तलासते वैज्ञानीक,
धरती पर सुखता  पानी..
आज के अखबार के पन्नों का 
ताज़े थे खबरें पर
 समझ में आ गया था 
क्यों पीली पड़ चुकी थी पन्ने ..
मेरे चेहरे पर बदलते तेवर थे ,
 मन व्याकुल
 हो रहा था अब ...
क्या बताऊँ 
हमने पढ़ ली क्या अखबार  .....
अब जल रहा 
सारा शहर
 है आखों में ......

🤔निशीथ🤔

©Nisheeth pandey ◆शीर्षक- पीड़ित अखबार◆

__________
घर के किसी एकांत 
शांत 
कोने में ,
अखबार ले कर
 बैठ गया

◆शीर्षक- पीड़ित अखबार◆ __________ घर के किसी एकांत शांत कोने में , अखबार ले कर बैठ गया #poem #AlfaazAapke #SpeakOutLoud #MoralStories #Chandrabalam

183 Love

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Mahtab Khan

कैसा न्याय और कैसा भारत चाहिए,
मौन रख  लो अभी ये लचीला संविधान  है साहब।
आज तुम्हारी बेटी हवस की भेंट चढ़ी है कल हमारी बेटी चढ़ी थी,
फर्क इत्ता सा था सिर्फ उसके कान काटे थे और आज जुबा काटी गई,
समझ नहीं आता है ये दरिंदे किस मां की कोख से जन्म ले जाते है,
जो किसी  मां की बेटी को अपनी हवस का शिकार बनाते हैऔर किसी
 नाजायज बाप की नीच औलाद कहलाते है।
ऐसे दरिंदो के लिए तो एक अलग  कठोर कानून बनना चाहिए,
जो किसी की बहन बेटियों की ज़िंदगी से खेले उसे बीच चौराहे पर ज़िंदा
 जला देना चाहिए।
तभी तो इस भारत देश में बहन बेटियों को सुरक्षित रहने का मौका मिलेगा,
तभी तो इन बेटियों से इंडिया पूरी दुनिया में और आगे बढ़ेगा।

©Mahtab Khan #Stoprape 
कैसा न्याय और कैसा भारत चाहिए,
मौन रख  लो अभी ये लचीला संविधान  है साहब।
आज तुम्हारी बेटी हवस की भेंट चढ़ी है कल हमारी बेटी चढ़ी

Stoprape कैसा न्याय और कैसा भारत चाहिए, मौन रख लो अभी ये लचीला संविधान है साहब। आज तुम्हारी बेटी हवस की भेंट चढ़ी है कल हमारी बेटी चढ़ी

31 Love

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abhisri095

India quotes  गणतंत्र दिवस 
(कब,क्या,क्यों) #NojotoQuote कुछ विचार -कुछ सवाल ।।
70th वे गणतंत्र दिवस की हार्दिक सुभकामनाये।।
क्या है गणतंत्र,
गणतंत्र अर्थात "जनता के द्वारा जनता के लिए शाशक"
हमारे

कुछ विचार -कुछ सवाल ।। 70th वे गणतंत्र दिवस की हार्दिक सुभकामनाये।। क्या है गणतंत्र, गणतंत्र अर्थात "जनता के द्वारा जनता के लिए शाशक" हमारे

5 Love

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अशेष_शून्य

//खिलौना// बचपन में लड़कों को दिए जाते हैं 
बैट बॉल , गाड़ियां ,पटाखे , 
खिलौनों वाली बंदूक या
बहुधा ऐसे खिलौने जिन्हें वो 
पटक सकें , तोड़ सकें 
मरोड़

बचपन में लड़कों को दिए जाते हैं बैट बॉल , गाड़ियां ,पटाखे , खिलौनों वाली बंदूक या बहुधा ऐसे खिलौने जिन्हें वो पटक सकें , तोड़ सकें मरोड़ #yqaestheticthoughts #अशेष_शून्य

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अतुल कुमार सिंह

बेरहम पूस के जाड़े में,
कल ही अँगीठी टूटी थी
आज रात की बारिश ने,
कम्बल भी गीला कर डाला

पूरी कविता कैप्शन में पढ़िए बेरहम पूस के जाड़े में, कल ही अँगीठी टूटी थी
आज रात की बारिश ने, कम्बल भी गीला कर डाला

जैसे तैसे रातें अगहन की बीतीं
ठंड ने था मानों ठान लिय

बेरहम पूस के जाड़े में, कल ही अँगीठी टूटी थी आज रात की बारिश ने, कम्बल भी गीला कर डाला जैसे तैसे रातें अगहन की बीतीं ठंड ने था मानों ठान लिय

0 Love

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Jay Kishan Rajput

ए मां तू कितनी भोली है,
तू कितनी पागल है,
तू कितनी खुद मे उलझी है,
इन सारे सवालों को मै,
खुद के अंदर टटोलता रेहता हू,
आखिर तू कुछ भी ना हो के भी,
तू कितनी कुछ है ना हम सब के लिए,
क्या कभी सोचा है तुमने,
तेरी बातो का मुझ पे क्या असर होता है,
क्या होता है जब तू मुझ से नाराज होती है,
मानो सब रुख सूखा लगता है,
सिर्फ एक तेरे नाराज होने से, 
लगता है जैसे आगया हो ,
सावन मे ही वो मौसम पतझार का,
हा, और तुम्हारी कुछ कमियां,
कुछ खासियत जो है सब से अलग,
वो मुझ मे नही साफ साफ दिखता है,
क्या हुआ अगर मै लड़की नहीं हूं,
फिर भी तेरी रांगत और शालीनता,
और वो लोगो को समझने की परख,
मेरे अंदर भी दिखता है,
तू जो धूप छव सी परत बन साए सी,
हमे ठकी रेहती है ना हमे,
तुझे भी तो महसूस होता है ना, 
कोसो दुर रेह के भी तुझे तेरा वो दर्द,
मुझमें तेरा भी तो अन्स है ना,
इसी लिए तो मै इतना दृढ़ हू अपने संकल्पो पे,
और लचीला भी अपनो के लिए,
मगर तुझे दुर रह के और अपने बातो पे अर के,
मै बिगड़ा जा रहा हूं तू क्या फिर से तपकी लगाए गई क्या,
मेरे गलत राहो को पे तू फिर से सही कर दो गि क्या,
पहले थोरी तीखी डाट फटकार से,

©Jay Kishan Rajput ए मां तू कितनी भोली है,
तू कितनी पागल है,
तू कितनी खुद मे उलझी है,
इन सारे सवालों को मै,
खुद के अंदर टटोलता रेहता हू,
आखिर तू कुछ भी ना हो क

ए मां तू कितनी भोली है, तू कितनी पागल है, तू कितनी खुद मे उलझी है, इन सारे सवालों को मै, खुद के अंदर टटोलता रेहता हू, आखिर तू कुछ भी ना हो क #MothersDay

8 Love

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Divyanshu Pathak

कायर और कपूतों की ना अब हमको दरकार रही
उठो हमारे वीर सपूतो अब दुष्टों का संहार करो
जो घर में छुपकर बैठे अपनी इज्जत लुटती देख रहे
डूब मरो चुल्लू भर पानी में या अब कोई अवतार धरो 
माँ दुर्गा और भवानी रोती भारत माँ की छाती टूटी 
कब तक तुम निष्प्राण रहोगे अब तरकस में बाण भरो
ट्विंकल और दामिनी देखी लक्ष्मी और कामिनी देखी 
आंखों में खून नहीं लाये तुम कुए में जाकर कूद मरो
धरने देकर शमां जलाकर अब वक्त न तुम बर्वाद करो 
कहदो सरकारों से अपनी या संविधान को ताक धरो
उठो धरा के वीर पहरुओं अब कर में तलवार भरो  कोई सोचकर देखे कि “ट्विंकल” की मां क्या सोच रही होगी- कि लड़की उसके पेट से पैदा ही क्यों हुई। उसे कौनसे कर्म की सजा मिली है। आज देश में रोजान

कोई सोचकर देखे कि “ट्विंकल” की मां क्या सोच रही होगी- कि लड़की उसके पेट से पैदा ही क्यों हुई। उसे कौनसे कर्म की सजा मिली है। आज देश में रोजान

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