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Amit Sir KUMAR

#City उंची-उंची इमारतों के बीच..... #शायरी

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Dalip Kumar Deep

🍂🍁 इमारतों के शौक में बस्ती बनाना भुल गये🍂🍁 #शायरी

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इमारतों के शौक में
बस्ती बनाना भुल गये
घर पत्थरों के सजाने 
में उमर बीत गई
मगर अपनों को 
बसाना भुल गये
दरिया सुख गये वो
बचपन के साथी भी
न रहे
जब से कागज़ों की 
कश्ती बनाना भुल गये
फासले दिलों के कुछ
इस तरह होने लगे
बात करना तो क्या
मिलना मिलाना 
भुल गये
शहर बीमार सा 
जब से लगने लगा
लोग भी कहीं आना
जाना भुल गये 😔
' दीप'..✍🏻शायर तेरा🌷

©Dalip Kumar Deep 🍂🍁 इमारतों के शौक में
बस्ती बनाना भुल गये🍂🍁

#mai_bekhabar

#paidstory #yqdidi #yqquotes #yqbaba #Women poetry #Inspiration #power मै प्यार में भी हु मैं नफरत मे भी हु मै औरत हु... मै मां की ममता

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मै औरत हू!!!   #paidstory #yqdidi #yqquotes #yqbaba #women #poetry #inspiration #power 

मै प्यार में भी हु
मैं नफरत मे भी हु
मै औरत हु...
मै मां की ममता

Anupama Jha

#शहर #yqdidi *शहर* भीड़ ही भीड़ हर जगह फिर भी तन्हा सा ये शहर इमारतों के पीछे छुपा चाँद,सूरज पता नहीं, कब होती रात यहाँ

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शहर

(कविता अनुशीर्षक में) #शहर #yqdidi 

*शहर*

भीड़ ही भीड़ हर जगह
फिर भी तन्हा सा ये शहर
इमारतों के पीछे छुपा चाँद,सूरज
पता नहीं, कब होती रात यहाँ

Abhishek Rajhans

शीर्षक ----मुझे न याद आया इस शहर की रोशनी में मैं माटी के दिये जलाना भूल आया मोमबत्तियों को कहीं यूँ ही सिसकती छोड़ आया मैं अपने गांव का घर क

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 शीर्षक ----मुझे न याद आया
इस शहर की रोशनी में
मैं माटी के दिये जलाना भूल आया
मोमबत्तियों को कहीं
यूँ ही सिसकती छोड़ आया
मैं अपने गांव का घर
क

JALAJ KUMAR RATHOUR

यार कॉमरेड, जीवन में वो वक़्त और था जब रातों में जागने का कोई विशेष कारण होता था।लेकिन अब पता नहीं क्यूं नींद ने तुम्हारी तरह इन आंखो से बैर #जलज

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यार कॉमरेड,
जीवन में वो वक़्त और था जब रातों में जागने का कोई विशेष कारण होता था।लेकिन अब पता नहीं क्यूं नींद ने तुम्हारी तरह इन आंखो से बैर कर ली है।मां के बाद तुम ही थीं जो मुझे मेरी बालपन का भ्रमण कराती थी।मेरे सिर में बालों के बीच अपनी अंगुलियों को घुमाकर तुम सदैव मुझसे हर मुश्किल रास्ते में साथ चलने का वादा करती थीं।मुझे नहीं पता कि तुम्हारे यहां वादों का क्या महत्व रहता है लेकिन मैं इतना जानता हूं कि हमारे यहां वादों पर मोहब्बत और बगावत दोनो हो जाते हैं।तुम्हारी तस्वीर को आज भी देख कर मेरी आंखे नम हो जाती हैं कारण नहीं पता लेकिन तुम्हारी कमी जरूर महसूस होती है। इन सभी बातों के बावजूद मैं खुद को सम्भाल लेता हूं।लेकिन मैं नहीं संभाल पाता तुम्हारे प्रति मेरे जज्बात।तुम्हारे संग जीवन बिताने का ख्वाब देखने वाला मैं आज तुम्हारे संग एक पल को तरसता हूं।तुम सच कहती थीं "कि शहर को जाने वाले गांव अक्सर भूल जाते हैं बड़ी बड़ी इमारतों के चक्कर में,बरगद का पेड़ और पीपल की छांव।"...#जलज कुमार

©JALAJ KUMAR RATHOUR यार कॉमरेड,
जीवन में वो वक़्त और था जब रातों में जागने का कोई विशेष कारण होता था।लेकिन अब पता नहीं क्यूं नींद ने तुम्हारी तरह इन आंखो से बैर
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