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brijesh mehta

प्रेम का कोई समानार्थक, प्रायवाची शब्द नहीं है, दुनिया में! #Life

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shubh Mohan suman

हिन्दू समाज की सबसे अव्यवस्थित व्यवस्था "वर्ण व्यवस्था" है. -शुभ मोहन सुमन.

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हिन्दू समाज की सबसे 
अव्यवस्थित व्यवस्था
"वर्ण व्यवस्था" है.

©shubh Mohan suman हिन्दू समाज की सबसे 
अव्यवस्थित व्यवस्था
"वर्ण व्यवस्था" है.

-शुभ मोहन सुमन.

DrRavikirti Didwania

#ravikirtikikalamse #SelfishWorld #yqdidi #yqbaba #nazariya_badlo_janab #phishing #paraya #waqthitujebatayega द्विअर्थी समानार्थी शब्द प्रय

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Sound Similar but 
Meaning Different Challenge


People Become Too "Sel-fish"
Sailing Somewhere else and
 Phishing Someone else...  #ravikirtikikalamse #selfishworld #yqdidi #yqbaba #nazariya_badlo_janab #phishing  #paraya #waqthitujebatayega
द्विअर्थी समानार्थी शब्द प्रय

brijesh mehta

प्यार, प्रेम, विश्वास, भरोसा सब समानार्थी शब्द है। 💞💞 #मंमाधन #brijeshmehta #manmadhan #lovequotes #lifequotes #LoveStory

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तेरे और उनके प्रेम में जमीन आसमान का फर्क है
तेरे प्यार में शक है, वहम है,  भरोसा नहीं है।
तेरा प्यार तुझे बहुत रुलाएगा, बहुत तड़पाएगा।

— % & प्यार, प्रेम, विश्वास, भरोसा सब समानार्थी शब्द है।
💞💞

#मंमाधन #brijeshmehta #manmadhan #lovequotes #lifequotes #lovestory

मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *

कागज तो होता बस बेजान सा ,
जान तो उसमें शब्द डालते हैं ,

शब्दों के लिखते ही , बिखर जाती हैं एक खुशबू ,
यादों की , वादों की , अहसासों की ,

पढते ही शब्द सब कुछ चलचित्र सा चलने लगता हैं ,
आँखों के सामने एक अहसास सा ,

शब्दों से बनती जाती रचनाएं ,
हर एक के मन की उथल - पुथल की ,

वो बातें जो हम कहने मे होते हैं असर्मथ ,
पुर जाती हैं माला सी वो शब्दों के जरिए ,

भावों को वय्क्त करते शब्द ,
कोरे कागज पर रंग बिखरते शब्द ।

©Ankur Raaz #शब्दो #की #शक्ति

#शब्द

Anand Mishra

अव्यवस्था में स्वतंत्रता।।

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समय की धारा में ,हर पहलू पर विचार करना चाहिए,
गर उम्र हो ही जाए खुद की,तो स्वीकार करना चाहिए,
इस महामारी में कितनी भी बंदिशें क्यूं न हो,पर
अपने कलम की स्वतंत्रता का आगाज करना चाहिए।

यह देश कई पीढ़ियों की गुलामी का रसीद लिए है,
अब छोटी-ठिठुरी बंदिशों को इनकार करना चाहिए,
हर कदम सावधानी का हाथ, साथ रहे अपने,
पर अपने भगत की आवाज को आज़ाद रखना चाहिए।

क्यूँ रोते हो,हंसते भी नही,जरा विचार करो!,
जिन्होंने स्वतंत्रता की आहुति दी,उन्हें तो स्वीकार करो,
अब इस भयानक परतंत्रता के हवाले नही सोना चाहिये,
गर समस्या है,तो इसका हल और समाधान होना चाहिए।

कोरोना का अर्थ ,कुछ भी नही,सिर्फ लापरवाही है,
जिन्होंने सावधानी नही रखी,अपनी जान गंवायी है,
ऐसे विषाणु की जंजीरों का सम्मान करना चाहिए,
और अपने कवियों की लेखनी का विकास करना चाहिए।

-Anand Mishra अव्यवस्था में स्वतंत्रता।।

सतीश तिवारी 'सरस'

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Author Harsh Ranjan

व्यवस्था

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दुनिया के कानूनों ने
मुझे ये सिखाया है कि 
घोड़ा और गधा एक है,
व्यवस्था की नजर में!
या कहें कि घोड़ापन अथवा है।
दुनिया का गधों के लिए यही जज्बा है।
सर्वत्र संसार में अकाल व्याप्त है!
भूख और भूख का डर 
जल और वायु से भी पर्याप्त है।
कमाने वालों को कम खाने के गुण
बताए जा रहे हैं और लोग
उनकी रसोई के आटे-दाल से
भंडारे करवाये जा रहे हैं।
किसी ने मेरे कानों में धीमे से कहा है,
एक किसान दो फसल काटकर भी
आयु में उतना कमाता है कि
उसके तीन पुश्त एक भी रात
भूखे न गुजारें! 
पर ये गांव वालों को कैसे समझाएं
कि बेरोजगारी के दिन-रात
बिस्तर पर न गुजारें!
अगर धरती पर पड़ा होना ही अस्तित्व है
तो ये व्यवस्था मानव से ज्यादा
मवेशियों के निमित्त है। व्यवस्था

Author Harsh Ranjan

व्यवस्था

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दुनिया के कानूनों ने
मुझे ये सिखाया है कि 
घोड़ा और गधा एक है,
व्यवस्था की नजर में!
या कहें कि घोड़ापन अथवा है।
दुनिया का गधों के लिए यही जज्बा है।
सर्वत्र संसार में अकाल व्याप्त है!
भूख और भूख का डर 
जल और वायु से भी पर्याप्त है।
कमाने वालों को कम खाने के गुण
बताए जा रहे हैं और लोग
उनकी रसोई के आटे-दाल से
भंडारे करवाये जा रहे हैं।
किसी ने मेरे कानों में धीमे से कहा है,
एक किसान दो फसल काटकर भी
आयु में उतना कमाता है कि
उसके तीन पुश्त एक भी रात
भूखे न गुजारें! 
पर ये गांव वालों को कैसे समझाएं
कि बेरोजगारी के दिन-रात
बिस्तर पर न गुजारें!
अगर धरती पर पड़ा होना ही अस्तित्व है
तो ये व्यवस्था मानव से ज्यादा
मवेशियों के निमित्त है। व्यवस्था

somnath gawade

प्रचलित व्यवस्थेविषयी
'व्यवस्थित' बोलले नाहीतर
 'व्यवस्था' आपल्याला
व्यवस्थित जागी पोहचविते.
      🤣😂 #व्यवस्था
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