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Nidhi Sharma
इसे ढ़लती उम्र कहूँ या कहूँ बुढापा, ये कुछ बेहतरीन यादों का सैलाब लाने लगा हैं, सोच रहा हूँ, कितनी जल्दबाज़ी में ये जीवन बीता दिया, अब कुछ किस्सों को याद कर, उन पे प्यार आने लगा हैं, वो पूर्णिमा की रातें, कुछ अधूरी-सी बातें, मेरा ऑफिस से घर आना, तेरा गर्मा-गर्म खाना बनाना, अपने दिन की दिनचर्या का हर एक किस्सा मुझको बताना, मेरे छोटे-छोटे बच्चों का मुझें पापा-पापा बुलाना, बच्चों को ख़ाली देख, उन्हें पढ़ने के लिए बुलाना, कभी लाइट का चले जाना, और फिर गुज़रे ज़माने का ज़िक्र छिड़ जाना, वो अँधेरी राते, कुछ गुज़रे ज़माने की याद ले आता था, परिवार संग बिताने के कुछ लम्हें भेंट दे जाता था, बीती बातों को बच्चों संग बतलाकर, दिल को बड़ा आराम आता था। परिवार संग पिकनिक बनाना, उन्हें संग में अपने घुमाना, बच्चों को झूला झुलाना, कुछ नई-नई चीजें सिखाना, कुछ चॉकलेट, खिलौने दिलाना, उनका प्यार से वो मुस्कुराना, पर पत्नी के लिए कुछ न ले पाना, बड़ा अजीब लगता था। न जाने कैसे और कब वो समय हाथ से निकल गया, मैं चलता रहा सदा अपनी धुन में, शायद, जवानी के जोश में, न किसी होश में, जो न कहना था मैं वो सब कह गया, कभी तक़रार हुई, तो हमें मनाना न आया, परिवार की खुशियाँ भी, मैं समझ न पाया, कभी-कभी सोचता हूं, शायद तुमने भी किया होगा, इंतज़ार कभी तोहफ़े का, न जाने क्या शर्म थी, न जाने क्यूं मैं तुम्हारे ख़ातिर कोई तोहफ़ा ले न पाया। अब याद करता हूँ, और हँसने लगता हूँ उन खट्टी-मिट्ठी तकरारों पर, उन जवानी की बहारों पर, जानता हूँ वो वक़्त बीत गया, अब वापस न आएगा। अब जब तक रहेंगें हम, ये यादें रहेंगी संग, अब समय बीतेगा धीरे-धीरे और खाली बैठै ये दिन भी न कट पाएगा, इसे ढ़लती उम्र कहूँ या कहूँ बुढापा, ये केवल अब कुछ बेहतरीन यादों का सैलाब लेकर आएगा। ©Nidhi Sharma #इसे_ढ़लती_उम्र_कहूँ_या_बुढ़ापा
Nidhi Sharma
इसे ढ़लती उम्र कहूँ या कहूँ बुढापा, ये कुछ बेहतरीन यादों का सैलाब लाने लगा हैं, सोच रहा हूँ, कितनी जल्दबाज़ी में ये जीवन बीता दिया, अब कुछ किस्सों को याद कर, उन पे प्यार आने लगा हैं, वो पूर्णिमा की रातें, कुछ अधूरी-सी बातें, मेरा ऑफिस से घर आना, तेरा गर्मा-गर्म खाना बनाना अपने दिन की दिनचर्या का हर एक किस्सा मुझको बताना, मेरे छोटे-छोटे बच्चों का मुझें पापा-पापा बुलाना, बच्चों को ख़ाली देख, उन्हें पढ़ने के लिए बुलाना, कभी लाइट का चले जाना, और फिर गुज़रे ज़माने का ज़िक्र छिड़ जाना, वो अँधेरी राते, कुछ गुज़रे ज़माने की याद ले आता था, परिवार संग बिताने के कुछ लम्हें भेंट दे जाता था, बीती बातों को बच्चों संग बतलाकर, दिल को बड़ा आराम आता था। परिवार संग पिकनिक बनाना, उन्हें संग में अपने घुमाना, बच्चों को झूला झुलाना, कुछ नई-नई चीजें सिखाना, कुछ चॉकलेट, खिलौने दिलाना, उनका प्यार से वो मुस्कुराना, पर पत्नी के लिए कुछ न ले पाना, बड़ा अजीब लगता था। न जाने कैसे और कब वो समय हाथ से निकल गया, मैं चलता रहा सदा अपनी धुन में, शायद, जवानी के जोश में, न किसी होश में, जो न कहना था मैं वो सब कह गया, कभी तक़रार हुई, तो हमें मनाना न आया, परिवार की खुशियाँ भी, मैं समझ न पाया, कभी-कभी सोचता हूं, शायद तुमने भी किया होगा, इंतज़ार कभी तोहफ़े का, न जाने क्या शर्म थी, न जाने क्यूं मैं तुम्हारे ख़ातिर कोई तोहफ़ा ले न पाया। अब याद करता हूँ, और हँसने लगता हूँ उन खट्टी-मिट्ठी तकरारों पर, उन जवानी की बहारों पर, जानता हूँ वो वक़्त बीत गया, अब वापस न आएगा। अब जब तक रहेंगें हम, ये यादें रहेंगी संग, अब समय बीतेगा धीरे-धीरे और खाली बैठै ये दिन भी न कट पाएगा, इसे ढ़लती उम्र कहूँ या कहूँ बुढापा, ये केवल अब कुछ बेहतरीन यादों का सैलाब लेकर आएगा, ये केवल अब कुछ बेहतरीन यादों का सैलाब लेकर आएगा। ©Nidhi Sharma #इसे_ढ़लती_उम्र_कहूँ_या_कहूँ_बुढ़ापा
Sanjeev Suman
मन की शांति इसे हमेशा याद रखिये.. शांति अंदर से आती है, इसे बाहर मत ढूंढिये...!! ©Sanjeev Suman #mankiShanti #इसेहमेशा #Nojoto
Pasha Bhai Maari
अजीब ज़ुल्म करती हैं. ... आपके यादें, सोचू तो बिखर जाऊ.. और न सोचू तो किधर जाऊ.. -:पाशाभाई हहस्ज इसेज जस भेज
Sachin_Vishwakarma_7636
‼️सम्मान_करना_हमारे_संस्कार_में_है_जनाब_ इसे_हमारी_कमजोरी_ना_समझें___🖤❤️ ‼️ ©Sachin_Vishwakarma_7636 ‼️सम्मान_करना_हमारे_संस्कार_में_है_जनाब_ इसे_हमारी_कमजोरी_ना_समझें___🖤❤️ ‼️
Archana shayar.....
💔 बेपनाह, बेशुमार, बेहद, बेवजह ❣️ कुछ इस तरह चाहा हमने तुझे 💘 ©Archana shayar..... #लव #Shayar #Archanashayar #बेहद #इसे_कहते #ishq
ANOOP PANDEY