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Govinda Saini

एक बूढी दादी रोज भगवान का भजन करती थी। एक दिन भगवान ने दर्शन दिए और वरदान मांगने को कहा, बूढ़ी दादी सोच में पड़ गई और कुछ मांग ना सकी भगवान ने फिर कल मांगने की कहकर अन्तर्ध्यान हो गये।अगले दिन दादी ने अपने बेटे पूछा क्या मांगू बेटे ने कहा धन मांग लेना बहू ने कहा पोता मांग लेना पड़ोसन ने कहा अपनी आंखो की रोशनी मांग लेना।और अगले भगवान फिर आए और मांगने को कहा बूढ़ी दादी ने कहा भगवन मै चाहती हूं कि मै अपने पोते को सोने के कटोरे दूद पीता हुआ देखू भगवान जी ने कहा तुमने सब कुछ तो मांग लिया। लोककथा

लोककथा #कविता

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मनीष कुमार पाटीदार

नौजवान (लघुकथा) - मनीष कुमार

मै काफी देर से उस नौजवान को गाँधीजी की प्रतिमा को साफ करते देख रहा था जो चौराहे के बीचोंबीच लगी थी। जबकि आज न तो गाँधी जयंती थी और न ही बापू की पुण्यतिथि या कोई राष्ट्रीय त्यौहार। नौजवान बड़े प्यार से प्रतिमा को कपड़े से साफ कर रहा था। जब पुरी सफाई हो गई और वह जाने लगा तो मैने लहराते हुए आवाज दी -" क्यों पार्टी किधर को चल दिये। गाँधीजी की प्रतिमा को तुमने तो बिलकुल चमका दिया।
वह मुझे थोडा़ आश्चर्य दृष्टि से देखने के बाद बोला-" हाँ बाबूजी.... मै यही बाजु वाली गली में रहता हूँ। मेरे पिताजी बहुत बड़े कलाकार थे। उन्हीं ने गाँधीजी की प्रतिमा को बनाया था। आज पिताजी नहीं रहे। इसी चौराहे पर कुछ रोज पहले मोटरगाड़ी की चपेट में आ गये और फिर....."
नौजवान इसके आगे कुछ और कह न सका। फिर भी जाते - जाते उसके चेहरे से प्रेम व अहिंसा की लकीरें साफ दिख रही थी। जाते - जाते नौजवान मुझे कर्तव्य का पाठ सीखा गया। ऐसे कर्तव्यनिष्ठ नौजवानों की आज देश को बहुत जरूरत है। लघुकथा

लघुकथा #story

7 Love

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kumarउमेश

लघुकथा

लघुकथा

246 Views

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Durga Banwasi Shiwakoti

#लघुकथा
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suniti mehta

एक बार एक बच्चे ने अपने पिता से एक खिलौने की जिद कर बैठा। अपने पिता के लाख समझाने पर भी वह नहीं माना। पिता के पास पैसे नहीं होने के कारण उसे चीढ़ हो रही थी। वह जबरदस्ती बच्चे को खींचता हुआ आगे बढ़ रहा था।जब बच्चे को भी खिलौने मिलने के कोई आसार नहीं नज़र आने लगा तब वह सिसक- सिसक कर रोने लगा।यह देख पिता के भी आंखों में भी आंसू आ गए।तभी अनायास ही उसे याद आया कि अभी -अभी उसने अपनी पत्नी के लिए एक साड़ी खरीदी थी।वह झट से दुकानदार के पास गया और यह कहकर साड़ी लौटा दी की इसमें एक छेद है। फिर वह खिलौने के दुकान पर गया और अपने बच्चे के मनपसंद खिलौने खरीदा। इसके बाद बच्चा अपने पिता के कंधे पर बैठ कर नये खिलौने की बहुत सारी बातें बताता हुआ अपने घर लौट आया।

©suniti mehta
  लघुकथा

लघुकथा #प्रेरक

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पंकज 'प्रखर'

 लघुकथा

लघुकथा #कहानी

4 Love

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sarika

इक बार भी नहीं सोचा उसने 
और कह दिया उससे,के वो 
अपनी खुशी उसमें ढूंढती हैं..
उसकी "परवाह" उसको बातों को,
कुरदेने जैसी लगती हैं..वो बस कहें 
जा रहा था ...शायद वो भूल चुका था
के वो उससे प्यार करता हैं.पर वो आंखो में
आँसूओं को छुपाए बिल्कुल मौन थी क्यो कि
उसे याद था के वो उससे प्यार करती हैं

©sarika #लघुकथा
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≋P≋u≋s≋h≋p≋

#लघुकथा
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कवी.शंकर सुतार 🙏🕉

०१]*बोधकथा*

एका शेतकऱ्याकडे दहा आंबे असतात. तो आंबे एका डालीत पिकविण्यासाठी ठेवतो. त्या दहा आंब्यांपैकी एक आंबा खराब झालेला असतो. खराब झालेला एक आंबा बाकी नऊ ही आंब्याना खराब करण्याचा प्रयत्न करतो. मग हे शेतकऱ्याने वेळीच पाहिलेले असते. तो खराब झालेला आंबा शेतकरी फेकुन देतो. त्या आंब्याला नऊ आंब्यापासुन शेतकरी समंजस पणे वेगळे करतो. जर शेतकऱ्याने त्या खराब आंब्याला लवकर डालीतुन काढले नसते तर पूर्ण आंबे खराब झाले असते.

*तात्पर्य:- वाईट संगतीत राहु नका ,संगत चांगल्याशी करा. वाईट लोकांना वेळीच ओळखा आणि त्यांच्यापासुन दुर रहा.*

कवी.शंकर सुतार 
वरवडे, 
जिल्हा:-सोलापूर.
मो.क्र. ९८८१३५५३१७.

©कवी.शंकर सुतार 🙏🕉 बोधकथा

बोधकथा

7 Love

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KHUSHBOOBEDIYA

तस्वीर देख कोई मुकर ना सके
इस बार जिसका डर है 
वो हो ना सके
दाव जो खेला है अपने
ये तो हमसे कभी हो ना 
सके।।।।। #लोकसभा चुनाव

#लोकसभा चुनाव

29 Love

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Er Meghvrat Arya

हम  सब  कुछ लगाकर  दांव  पर बैठ गए 
लगाकर  ठोकर   हमारे    पांव   पर   बैठ गए 
हमें   धमकियों     भरे    फोन    आने  लगे   
खड़े   थे    हम    भी   चुनाव  में  बैठ  गए।



@#M_Arya




हिन्दी हैं हम, हिन्दी से हम...😊 #gif #लोकसभा चुनाव_2019

#लोकसभा चुनाव_2019 #Gif #M_Arya

3 Love

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krisha

इंसानियत का फिर एक बार सौदा किया जा रहा था
एक बार फिर किसी इंसान की ईमानदारी पर सवाल उठ रहा था
गुनाह बस इतना ,कुछ बेगुनाह बच्चे थे उसके
जिनके परवरिश के लिए न पैसे बचे थे उसके
लगातार बेहाली के बाद उसे ख्याल आया
क्यों न भगवान से इसका हिसाब लिया जाये
इसी सोच मे निकल पड़ा वो मंदिर की ओर
क्या पता था कि वो लौट कर घर अब न आये
लगा इंल्लजाम चोरी का, बेगरती का पीटा जाये?
हुआ यु सवाल करते -2वो इतना मदहोश हुआ कि उसको होश हि ना था कि कब उसका हाथ पास पड़ी दानपेटी पड़ा
फटे-पुराने कपडे देख, लोगों नेउसके चोर होने पर विश्वास किया
और ना जाने कब तक एक बेगुनाह को भगवान के नाम पर  लगातार पीटा गया... #लघुकथा🙌

लघुकथा🙌 #कहानी

28 Love

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Deepti Shrivastava

"इस जहर का उतार कहां "

    लड़की को सांप ने डस लिया था,जैसे ही शोर मचा मुहल्ले वाले जिस हालत में थे वैसे ही लड़की के पिता के साथ डॉक्टर के घर की तरफ भागे । रात के 10 बजे थे ,काफी देर तक दरवाजा पीटने के बाद डॉक्टर ने झुंझलाते हुए दरवाजा खोला ।( शायद डॉक्टरों को बड़ी जल्दी और गहरी नींद आती है।)                     
"क्या बात है,क्यों दरवाजा पीट रहे हो ? डॉक्टर ने कर्कश आवाज में चिल्लाया ।"                               
साहेब ! मेरी बेटी को बचा लीजिये, उसे सांप ने काट लिया है। डॉक्टर के चेहरे पर चमक आ गयी। उन्होंने आवाज को मुलायम करते हुए कहा..........
ठीक है,500 रुपये जमा कर दो इंजेक्शन के और लड़की को अंदर ले आओ ।।                             
            लड़की का बाप गिड़गिड़ाने लगा- "साहेब हम तो जैसे थे वैसे ही भागे चले आये । पूरे पांच सौ तो नहों है मेरे पास । अभी आप इलाज कर दो ,मैं आपको सुबह पूरे पैसे दे दूंगा ।                         
डॉक्टर के चेहरे से चमक गायब हो गयी,उसकी जगह कठोरता ने ले ली थी..... " माफ करना,इस वक्त मैं ड्यूटी में नहीं हूं,और फ्री में इलाज मैं नहीं करता    कहकर डॉक्टर ने दरवाजा बंद कर दिया ।    
हतप्रभ ग्रामवासी तुरंत बैलगाड़ी का प्रबंध कर लड़की को 25 किलोमीटर दूर शहर के हॉस्पिटल ले गए ।वहां ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर मजे से खर्राटे लेते मीठी नींद सोया था । गाँव वालों का आधी रात में आकर परेशान करना उन्हें अखर गया ।उनकी पेशानी पर बल पड गए । झल्लाते हुए  उन्होनें लड़की की नब्ज देखा ।लड़की कब की मर चुकी थी ,उनका गुस्सा सातवें आसमान पर जा पहुंचा ।मरी हुई लड़की के लिए देहातियों ने उनकी नींद खराब कर दी थी । शब्द अंगारे बन कर बरसने लगे मुसीबत के मारों पर ।
" मरी हुई लड़की को लेकर आये ,इसे मरे तो काफी देर हो गया है । क्या कर रहे थे इतनी देर तक ? झाड़फूंक करवाया होगा पहले,बात नहीं बनी तो मुर्दा यहां ले आये ,फिर कल को तुम्हीं लोग हंगामा खडा कर दोगे---- कहोगे डॉक्टर की लापरवाही से
 इसकी जान चली गयी ।" खामख्वाह नींद खराब कर दी , अन्धविस्वशि,अनपढ़ डॉक्टर बड़बड़ाने लगा ।
गांव वाले लड़की की मौत और डॉक्टरों के क्रूरतापूर्ण व्यवहार से जड़ हो गए थे । लड़को तो एक नासमझ जीव  के काटने से मर गयी थी,लेकिन गॉंव वालों को पढ़े - लिखे समझदार इंसान रूपी नागों ने डस लिया था......... " भला इस जहर का उतार कहां......?"

दीप्ति श्रीवास्तव (दीपा)
राजनांदगांव ,छत्तीसगढ

©Deepti Shrivastava लघुकथा

#phonecall

लघुकथा #phonecall

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Manjeet Sharma 'Meera'

#दृष्टि (लघुकथा)

#दृष्टि (लघुकथा)

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Pravesh Khare Akash

खैरात.. लघुकथा

खैरात.. लघुकथा

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Rasheed Abbas

लघुकथा
बटवारा

लघुकथा बटवारा #Life

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Pravesh Khare Akash

 दुआ लघुकथा

दुआ लघुकथा

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Satya Mitra Singh

लोकसभा इलेक्सन 2019
मोदी इज द बेस्ट लोकसभा 2019

लोकसभा 2019

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Manjeet Sharma 'Meera'

#नौकरी (लघुकथा)

#नौकरी (लघुकथा)

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Alka Jain

जन्मदिन लघुकथा

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Neeraj Singh

लघुकथा :रोशनी

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Rasheed Abbas

लघुकथा

बटवारा

लघुकथा बटवारा #Life

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पूनम पाठक

#आश्रय - लघुकथा

#आश्रय - लघुकथा #समाज

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dhanashri kaje

#लघुकथा #भय
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एम आर ओझा

#kahanisuno #लघुकथा
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Eron (Neha Sharma)

लघुकथा 
नया पुराना
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"अरे रुको जाते किधर हो"
"नही भाई मुझे जाना होगा, मैं जाऊंगा तभी तो नया आएगा।"
"अरे लेकिन हमें तो तुम्हारी आदत हो गयी है, जो नया आएगा, हम उस नए के साथ कैसे एडजस्ट होंगे"
"जैसे मेरे साथ हुए, देखो सब कितने खुश है उस नए के लिये उत्सुक हैं"
"हाँ सो तो है पर मैं असहाय हो गया हूं तुम्हे चाहकर भी नही रोक सकता"
"जानता हूँ मेरे दोस्त तुमने मेरा बड़ा साथ दिया, देखो अब चलता हूँ, जैसे तुमने मेरा साथ दिया वैसे ही तुम नए का भी साथ देना, अलविदा दोस्त"
कहकर घड़ी में 12 बज गए आसमान में ढेर सारी आतिशबाजियां हुई और पुराना साल अलविदा कह गया। अब समय बचा था जिसे फिर से नए साल के साथ नयी शुरुवात करनी थी। - नेहा शर्मा
 #NojotoQuote नया पुराना। लघुकथा।

नया पुराना। लघुकथा।

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Roshan Prabha

#पंचम-एक लघुकथा

#पंचम-एक लघुकथा #कहानी

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Copyright rprakash

भूक                        
गच्च भरलेली 'डस्टबीन' घेऊन घंटागाडीची वाट बघत बाईसाहेब गेटजवळ उभ्या होत्या... आज मोठी बहीण येणार म्हणून श्रीखंड-पुरीचा  बेत आखलेला... त्यात काम उरकत नव्हतं म्हणून चिडचिड झालेली... "ताई..."  बाईसाहेबानी चमुकून बाजुला पाहीलं... पिंजारलेले केस... पोट खपाटीला गेलेलं... डोळ्यात झोपेची झाक आसलेली एक तीस-पस्तीशीची वेडगळ बाई खुणेनंच खायला काहीतरी मागत होती... आधीच कामाचा पसारा ...  वर घंटागाडीचीही बोंब... त्यात तिला पाहून  बाईसाहेबाच्या कपाळावर आठ्या पडल्या... "नाही गं बाई ..काही खायला नाही."  अंग चोरत, बाईसाहेबानी तीला झीडकारलं... बाईसाहेबाचं बोलणं तीच्या कानापर्यंत पोहचलं नसावं... कारण  तीचं लक्ष्य बाईसाहेबाच्या हातातल्या 'डस्टबीन' मधुन बाहेर डोकावणाऱ्या 'चपात्याच्या शिळ्या तुकड्यां' कडे गेलेलं... मलूल डोळ्यात आशेचा किरण चमकून गेला...  रुक्ष ओठ थरथरले... पोटातली 'भूक' जागी झाली...  तेवढ्यात घंटागाडीही दारात येऊन थांबली... अचानक त्या वेडगळ बाईनं बाईसाहेबाच्या हातातुन 'डस्टबीन' हिसकाऊन घेतली... भराभर हाताला लागतील तेवढे 'शिळ्या चपातीचे तुकडे' डस्टबीन मधुन काढुन फाटक्या पदरात घेतले...  तिच्या या कृतीने बाईसाहेब पुरत्या चक्रावुन  गेल्या... त्या जेव्हां भानावर आल्या तेंव्हा त्यांच्या समोर फक्त रिकामी डस्टबीन पडलेली दिसत होती... आता नुसता घंटागाडीचा आवाज ऐकू आला तरी बाईसाहेब अस्वस्थ होतात.		

																			@लेखक:- आर. प्रकाश (माजलगांव)

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