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pramod malakar
सनातन के तलैया में ****************** सनातन के तलैया में कमल खिल रहल बा, हर गली मूहल्ला में विरोधी फिर रहल बा। नटवरलाल भरल बा आपन देश में, जहरीला नाग छुपल बा एहीजा बहूतो भेष में। राऊर सबन आपन - आपन आंख खोल लीं, जितना बोले के बा , आज रौआ बोल लीं। दैवीय शक्ति बा आपन भारत कि भूमि, साधु संतन के लगता आपन देश में धूनी। सनातनी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आइल रहलें 2014 में एगो सपना ले के, 2029 में वापस जैहें देश के स्वाभिमान दे के। नरेंद्र मोदी के कृपा से हर घर चमक रहल बा, भाजपा कार्यकर्ताओं कि खुशबू से, आपन भारत महक रहल बा। सनातन के तलैया में कमल खिल रहल बा, हर गली मूहल्ला में विरोधी फिर रहल बा।। तनी सोच कर देखीं , आपन दु:ख हारी मनमा में, अभी खुद के ना बदलब त कब बदलब, कट्टरपंथी इस्लामिक जमनमा में। देश में मोदी जी,यू पी में योगी जी भगवा मय कर दिहलें, किताब से मियां,मुस्लिम,बाबर,मुग़ल के मिटा दिहलें। जे सच बा दुनिया आज जान गईल बा, विरोधियन सनातन के शक्ति पहचान गईल बा। विकास देख के विरोधियन के दिल जल रहल बा, सनातन के तलैया में कमल खिल रहल बा, हर गली मूहल्ला में विरोधी फिर रहल बा।। 00000000000000000000000 गीत - प्रमोद मालाकार.... 03.02.2024 ©pramod malakar ©pramod malakar #सनातन के तलैया में....
pramod malakar
सनातन के तलैया में ****************** सनातन के तलैया में कमल खिल रहल बा, हर गली मूहल्ला में विरोधी फिर रहल बा। नटवरलाल भरल बा आपन देश में, जहरीला नाग छुपल बा एहीजा बहूतो भेष में। राऊर सबन आपन - आपन आंख खोल लीं, जितना बोले के बा , आज रौआ बोल लीं। दैवीय शक्ति बा आपन भारत कि भूमि, साधु संतन के लगता आपन देश में धूनी। सनातनी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आइल रहलें 2014 में एगो सपना ले के, 2029 में वापस जैहें देश के स्वाभिमान दे के। नरेंद्र मोदी के कृपा से हर घर चमक रहल बा, भाजपा कार्यकर्ताओं कि खुशबू से, आपन भारत महक रहल बा। सनातन के तलैया में कमल खिल रहल बा, हर गली मूहल्ला में विरोधी फिर रहल बा।। तनी सोच कर देखीं , आपन दु:ख हारी मनमा में, अभी खुद के ना बदलब त कब बदलब, कट्टरपंथी इस्लामिक जमनमा में। देश में मोदी जी,यू पी में योगी जी भगवा मय कर दिहलें, किताब से मियां,मुस्लिम,बाबर,मुग़ल के मिटा दिहलें। जे सच बा दुनिया आज जान गईल बा, विरोधियन सनातन के शक्ति पहचान गईल बा। विकास देख के विरोधियन के दिल जल रहल बा, सनातन के तलैया में कमल खिल रहल बा, हर गली मूहल्ला में विरोधी फिर रहल बा।। 00000000000000000000000 गीत - प्रमोद मालाकार.... 03.02.2024 ©pramod malakar ©pramod malakar ©pramod malakar #सनातन के तलैया में....
Mohan Sardarshahari
इस गुलाबी छतरी ने तुझे गुलाबी आभा से नवाजा गाल बन गये कश्मीरी सेव , आंखें वाइन के प्याले सर्पिली राहों पर चलती ,पत्थर बोले बल्ले-बल्ले सावन का मस्त महीना और नजरों को यह नजारे मन करता है पिकनिक जाऊं, वक्त बेड़ियां डारे।। ©Mohan Sardarshahari वक्त बेड़ियां डारे
Mahendra Singh
Kshatriya Kuldeep Singh
किसी रोज़ छॉंव की तलाश में न नहर पाटो, न तालाब पाटो, बस जीवन के खातिर न वृक्ष काटो। ताल तलैया जल भर लेते, प्यासों की प्यास, स्वयं हर लेते। सुधा सम नीर अमित बांटो, न नहर पाटो, न तालाब पाटो, स्नान करते राम रहीम रमेश, रजनी भी गोते लगाये। क्षय करे जो भी इन्हें, तुम उन सब को डाटो, न नहर पाटो, न तालाब पाटो, नहर का पानी बड़ी दूर तक जाये, गेहूं चना और धान उगाये। फिर गेंहू से सरसों. तालाब पाटो, फल और फूल वृक्ष हमें देते, औषधियों से रोग हर लेते। लाख कुल मुदित हँसे, न नहर पाटो, न तालाब पाटो, स्वच्छ हवा हम इनसे पाते, जीवन जीने योग्य बनाते दूर होवे प्रदूषण जो करे आटो, न नहर पाटो, न तालाब पाटो ©Kshatriya Kuldeep Singh न नहर पाटो, न तालाब पाटो, बस जीवन के खातिर न वृक्ष काटो। ताल तलैया जल भर लेते, प्यासों की
Kaleem Ansari
और कितना लिखू तेरी याद में कोई दम नहीं मेरी फरयाद में मेरी रूह भी छीन के ले गई मुझ से में में ना रहा तेरे बाद में में में न रह तेरे बाद में
डॉ वीणा कपूर "वेणु"...
सागर की लहरों में, मेरे गांव की नहरों में सीमाओं के पहरों में, उथले और गहरों में, सब ओर तुम्हें खोजती, मेरी मौन तलाश। एक दिन तो तुम मिल ही जाओगे पूर्ण है विश्वास। जल सम पारदर्शी गगन सम समदर्शी मेरी भोली आस सागर के किनारे भी अतृप्त है प्यास।। ©Veena Kapoor लहरों में नहरों में गहरों में पहरों में अतृप्त प्यास #sagarkinare