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Jajbaat-e-Khwahish(जज्बात)
इश्क-ए-नज्म में अपने मैं ताशीर-ए-रदीफ़ सा रहा, फ़ितरत-ए-काफ़िया सी वो हर साज पर बदलती रही।। जज़्बात फ़ितरत-ए-काफ़िया 🖋️ Description Explained @nojoto इश्क-ए-नज्म में अपने मैं ताशीर-ए-रदीफ़ सा रहा, फ़ितरत-ए-काफ़िया सी वो हर साज पर बदलती रही।
Vedantika
कुछ तो कहना हैं मुझे तुमसे मगर याद नहीं हैं किस गली किस घर को जाना है मगर याद नहीं हैं तुम ठहरो कुछ पल तो शायद यकीन तुमको हो तेरे घर को लेकर जाए वो डगर याद नहीं हैं तन्हा ही निकले थे हम ज़िंदगी के सफर में तुझ संग शुरू हुआ जो सफ़ऱ याद नहीं है कुछ बाते हुई होंगी गम-ओ-ख़ुशी की ज़िंदगी में भुलाया जाना जरूरी उन्हें हैं कुछ अगर याद नहीं मिलना मुश्किल है ज़माने में क़भी तुमसें ओ ‘वेद’ मिला दे मुझे मिरी मंज़िल से वो रहबर याद नहीं हैं नमस्ते लेखकों। Pen n Popcorn लेकर आया है अपना द्वितीय चैलेंज । इस चैलेंज में आपको एक गजल लिखनी है । गज़ल शेर'ओ(दो पंक्तियों) में लिखा जाता
Insprational Qoute
उमड़ आये जब मनोभाव वो भाषा है हिंदी, न रहे कोई ख्वाहिश वो अभिलाषा है हिंदी, सरल है,सहज है,सुनिष्ठ व संस्कृत की सुता, के रूप में जन्मी ऐसी दे ये परिभाषा है हिंदी, चिरपरिवर्तनशील निर्झरिणी सी बहता नीर है, दे सभी भाषा को स्थान ऐसी उपभाषा है हिंदी, एकरूपता , स्वायत्तता, मानकीकरण से उत्पन, समय के साथ करे बदलाव ऐसी विभाषा है हिंदी, मीठी मनोरम जोड़े जो आपस मे दिल के टूटे तार, ऐसी कर्णप्रिय माँ के दुलार सी मनोभाषा है हिंदी। नमस्ते लेखकों। Pen n Popcorn लेकर आया है अपना द्वितीय चैलेंज । इस चैलेंज में आपको एक गजल लिखनी है । गज़ल शेर'ओ(दो पंक्तियों) में लिखा जाता
Poonam Suyal
चाँद की चांदनी में नहाए हुए से हैं वो कुछ सकुचाए कुछ शरमाये से हैं वो होठों पर उनके चुप के ताले हैं लगे हुए नजरों से दिल की बात बयां कर रहे हैं वो चेहरे से यूँ नूर छलक रहा है उनके "पूनम" के चाँद से लग रहें हैं वो नमस्ते लेखकों। Pen n Popcorn लेकर आया है अपना द्वितीय चैलेंज । इस चैलेंज में आपको एक गजल लिखनी है । गज़ल शेर'ओ(दो पंक्तियों) में लिखा जाता
DR. SANJU TRIPATHI
वो हसीन लम्हें, आज भी याद आ-आकर मुझको तेरे प्यार का दीवाना बनाते हैं। रोज रात को चुपके से आंखों की पलकों में समां कर, मेरी बेकरारी बढ़ाते रहते हैं। तुमसे नजरें मिलाना, मिला कर खुद को भूल जाना अब हसीन ख्वाब से लगते हैं। कभी तड़पाते हैं, कभी रुलाते हैं और कभी तन्हाइयों में महफिलें सजाते रहते हैं। तेरी चाहत के सदके में सर झुकाया है हमने, हम आज भी तेरा ही इंतजार करते हैं। इख्लास पर इख्तियार नहीं होता कोई, तनहाई में तुम्हारा ख्याल ही बुनते रहते हैं। तेरे लबों की मुस्कुराहट से दिल के जख्म दूर हो, खुशियों के नूर से जगमगाते हैं। तुम्हारी खुशबू से हर पल अपनी सांसो को महकाकर, बस तुममें ही खोये रहते हैं। वह हसीन लम्हें, हमसाया बनकर "एक सोच" के साथ हरपल- हरकदम चलते हैं। रज़ा-ए-ख़ुदा गर हो जाए तो, जीस्त में फिर उन्हीं लम्हों को जीने की चाह में रहते हैं। नमस्ते लेखकों। Pen n Popcorn लेकर आया है अपना द्वितीय चैलेंज । इस चैलेंज में आपको एक गजल लिखनी है । गज़ल शेर'ओ(दो पंक्तियों) में लिखा जाता
Vedantika
होकर जुदा तुझसे रोए इतने मज़बूर नहीं हम याद में तेरी खुद को मिटा दे मजबूर नहीं हम गुज़रे थें लम्हें जो तेरी पनाह में याद बहुत आते हैं लगता हैं जैसे अब भी तुमसे इतने भी दूर नहीं हम जो तुम कर लो गुजारिश लौट कर आने की सनम ठुकरा दें जो तेरे आँसू बेरुखी से मग़रूर नहीं हम बेखुद ज़माना करे सिफारिशें तिरी मोहब्बत की हमसे हम लगाएं कीमत जो तिरी आबरू की मशहूर नहीं हम जाओ बसा लो अपना आशियाँ तुम होकर ‘वेद’ से अलग पल में उतर जाए जो तिरे सर से वो फितूर नहीं हम नमस्ते लेखकों। Pen n Popcorn लेकर आया है अपना द्वितीय चैलेंज । इस चैलेंज में आपको एक गजल लिखनी है । गज़ल शेर'ओ(दो पंक्तियों) में लिखा जाता
Vedantika
तिरी यादों में मिरा एक जमाना गुज़रा हैं सदियों में एक पल का ज़माना गुज़रा हैं रुसवा होकर जो गए हो तुम इस महफ़िल से आँखों में मिरी एक बीता फ़साना गुज़रा हैं तुम जो मेरे बनके ज़िंदगी मे शामिल थे हुए तिरे साथ हर एक लम्हा यगाना गुज़रा हैं तलाश करता है दिल तुमको शहर की गलियों से तिरे दीदार को आग-ए-ज़मीं पर दीवाना गुज़रा हैं आज भी उम्मीद में जुम्बिश कहीं बाकी हैं ए ‘वेद’ तिरी आहट में गुलशन ये वीराना गुज़रा हैं नमस्ते लेखकों। Pen n Popcorn लेकर आया है अपना द्वितीय चैलेंज । इस चैलेंज में आपको एक गजल लिखनी है । गज़ल शेर'ओ(दो पंक्तियों) में लिखा जाता
Mahima Jain
मां बाप और बहनों की गोद में मैं खेली हूं, अलबेली, अल्हड़, बातूनी सी मैं एक पहेली हूं। लिखने से अब इश्क़ है मुझे, सब हैं जानते, कागज़, कलम, किताब की मैं तो सहेली हूं। दोस्तों की कमी नहीं, मोहब्बत भी है किसी से, फिर भी करोड़ों के बीच में, मैं बिल्कुल अकेली हूं। ना जाने किस की आस, सब कुछ तो है मेरे पास, लगता है जैसे अंधेरे में सुगंधित सी मैं फूल चमेली हूं। सब बदलने का इरादा, है फिर "महिमा" को पाना, किसी से कोई उम्मीद नहीं, मैं खुद ही अपनी बेली हूं।। बेली - रक्षक __________________ शेर संख्या :- 5 मतला :- "मां बाप और _____________________ पहेली हूं।" मकता :- "सब बदलने का ________________
Mahima Jain
बेवजह और बेमतलब की बातों को आधा छोड़ देते हैं, वजह मिल भी जाए तो पूरा करने का इरादा छोड़ देते है। मोह माया के जाल में मुंह का निवाला भी निकाल दिया, समुद्र के भीतर भी रह कर, खुद को प्यासा छोड़ देते हैं। खुद को चाहे हर गम मिलें, मिले नहीं चाहे एक भी खुशी, औरों की खातिर हम थोड़ा हिस्सा ज़्यादा छोड़ देते हैं। ना जाने क्या क्या कर्म किए, जो भी किए सब गलत किए, कुछ भी करने से हमेशा बचने को हर वादा छोड़ देते हैं। "महिमा" तू बड़ी नादान है, इस दुनिया के फरेब से अनजान है, ये मरते इंसान की सांसे निकाल, उस को भी ज़िंदा छोड़ देते हैं।। शेर :- 5 मतला :-" बेवजह और बेमतलब _______________ छोड़ देते हैं।" मकता :- "महिमा तू बड़ी ________________ ज़िंदा छोड़ देते हैं।" काफिया :- "
Anuj Jain
चुप चुप से बहुत रहते हैं क्या रोग लगाए रहते हैं अहसास है हमको भी इसका मगर ख्वाब आँखों में रहते हैं वो समझते नही खामोशी को जज़्बात 'अनुज' दबे रहते हैं नमस्ते लेखकों। Pen n Popcorn लेकर आया है अपना द्वितीय चैलेंज । इस चैलेंज में आपको एक गजल लिखनी है । गज़ल शेर'ओ(दो पंक्तियों) में लिखा जाता