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Alok Vishwakarma "आर्ष"
शीश काट कर ब्रह्म देव के चरणों में, अर्पण करने का प्रण लेता रावण भी तिरस्कार का भागी हो जन-गण-मन में, धू-धू करता जले ज्ञान का गागर भी #alokstates #रावण #जीवनगाथा #रामायण #ब्रह्म
Ajay Malha
कोई कितने बी पाडे पड़ानदा ओ पर रावण बरगा नी कोई ओणा ज्ञानी उसने सीता का हरण बेसक करा पर कदी नी करी गलत छेड़खानी कुछ उसने घमंड मारगया अर कुछ उसका अडब पन मारगया। अर कुछ अपनो की फितरत जैसे साप की फितरत जब बी मिले मोका डस जाए तबी तो कहु दूर रया करो दोगलया त क्योंकि घर का भेदी लंका ढाए। ©Ajay Malha #रावण #रामायण #राम #सितारे #दोगले
रितिक पंचौली
अर्जुन को हम युगों -युगो से कर्णजयी कहते हैं सब अपनी मृत्यु खुद चुनते हैं , कृष्ण सही कहते हैं अपने पिता का वचन निभाने , राम कही रहते हैं रामाज्ञा से अग्निपरिक्षा ,सीता जी सहते हैं रावण हरण सीता का करके , स्वर्ण महल देता है पवनपुत्र रावण का जाकर महल जला देता है एक ओर सारे पांडव कि कृष्ण बला लेता है बर्बरीक बिन युद्ध में उतरे , अपना गला देता है #रामायण #महाभारत #अर्जुन #कर्ण #रावण #राम
निखिल कुमार अंजान
न राम है न रावण है ये कलयुग की रामायण है युगों युगों से सुन रहे थे जो गाथा वो बनके रह गई मनोरंजन का साधन है यँहा हर मोड़ पर खड़ा इक दानव है न कोई रावण जैसा सच्चा ब्राह्मण है न शबरी के वो झूठे बेर है न बचा इब दिलों मे प्रेम है न कोई वचन निभाने वाला है पिता के कहने पर न कोई वनवास जाने वाला है न लक्ष्मण जैसा भाई है मन मे बस नफरत की खाई है न मर्यादा पुरुषोत्तम राम है जो समझे माता पिता के चरणों मे ही चारो धाम है न सीता सी कोई सती है वैचारिक मतभेदों पर वो अब अड़ी है न हनुमंत जैसा कोई सखा है जो सुख दुःख की घड़ी मे संग खड़ा है रामायण के अन्य पात्र भी बदल रहे हैं अपना स्वरूप कलयुग का इंसान भूलता जा रहा है अपना मूल रूप न राम है न रावण है ये कलयुग की रामायण है........ #अंजान..... ©निखिल कुमार अंजान #navratri2020 #रामायण #रावण #कलयुग #poem #kavita #hindi #hindipoetry
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दुःख त्या मरणाचं नाही वाटत मला नाही भीत मी त्या मृत्यूच्या वाटेला... कळुन चुकलंय..आता दुःख आणि मृत्यू खरं सांगु दोघे नात्याने सख्खे भाऊच असतात. जीवन या सावत्र भावास दोघेही छळतात. दुःख, मृत्यू, जीवन आयुष्याभोवतीच वावरतात.. लेखक कवी -किरण शिंदे ©Myearning com मरण@#