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Kumar Manoj Naveen

धर्मपत्नी #withyou

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****प्यार और तकरार***

पास बैठो, लड़ती है, 
दूर जाओ ,डरती है।
खुद को हिटलर,
गुलाम मुझे समझती है।
हर बात पर सवाल, 
जवाब कहाँ सुनती है? 
गुनाह जाने बगैर, 
सजाए-फरमान करती है। 
शक की हद ऐसी,
कसम बगैर बात,नहीं बनती है, 
जो कर दो इंकार,
सिवाय तलाक दूजी,बात नहीं होती है।
खुद ही को सिर्फ ज्ञानी, 
मूर्ख मुझे समझती है। 
गुस्से की है आदी, 
हमेशा आग ही उगलती है, 
बाहर हूँ दरोगा, 
घर में मुलजिम मुझे बताती है, 
पर सच तो ये है, 
मैं हूँ उसका और वो सिर्फ मेरी है,
सुख-दुख की साथी है, 
घर की ख़ुशी का दीप जलाती है, 
लक्ष्मी है मेरे घर की, 
खुद से ज्यादा,मेरा ख्याल रखती है,
सुना है!होता है जहाँ प्यार,
वही तकरार होती है ।
नहीं होता है जहाँ प्यार, 
वहाँ बात भी कहाँ होती है? 
भगवान करे!ऐसी ही तकरार चलती रहे, 
ताकि, हमारे प्यार की गाड़ी दौड़ती रहे। 

***नवीन कुमार पाठक ***

©Kumar Manoj धर्मपत्नी 

#withyou

Prakash Aditya

##कर्तव्यनिष्ठ धर्मपत्नी #कविता

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उपांशु शुक्ला

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V.k.Viraz

respect your धर्मपत्नी☺️

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तेरे नाम का व्रत  तेरे नाम का वो जो व्रत करती है।
मोहोब्बत तुझसे वो बा-अदब करती है।
तू रहे सलामत सदा बस ये सोचकर 
वो ये करवाचौथ का व्रत करती है। respect your धर्मपत्नी☺️

BANDHETIYA OFFICIAL

ध्रुव दो होते हैं उत्तर, दक्षिण,
मैं उत्तर हूं,प्रश्न हो तुम ।
दक्षिण-सी दक्षिणा न तुम,
यज्ञ-बाद क्या जश्न हो तुम !
दक्षिण के विपरीत वाम न,
वामांगी किस लिहाज से ?
धर्म जुड़ा सम्बंध के पद में,
कद में धर्म न मिजाज से ।

©BANDHETIYA OFFICIAL #धर्मपत्नी v धर्मपति !

#cactus

Hightech Hindi Youtube Channel

नाटक

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आधे-अधूरे 


🙉🙊🙈 नाटक

Vrishali G

नाटक

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जीवनाच्या नाटकात
 सहभाग सगळ्यांचा असतो 
पण आपली भुमिका नाही वठली तर सारा तमाशा होऊन जातो नाटक

Arora PR

नाटक #कविता

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अज़नबी किताब

नाटक..

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नाटक.. 
रंगमंच... 
कलाकार... 
कला... 
दर्शक.. 
कुछ ऐसा हुआ, 
में रंगमंच पे खड़ी थी, 
और मेरी कला मेरा हाथ थामे |
दर्शक मेरी कला से मुझे पहचानते थे.. 
क्या खूब कला थी, 
खुदा की देख हुआ करती थी |
एक बार बोली बात, 
में जमी को ख़त्म हो ने पर भी निभाती थी, 
कला थी.. 
वचन निभाने की, 
नाटक बन गयी.. 
रंगमंच पे उस खुदा के, 
में आज एक कटपुतली बन गयी...
वचन निभाती नहीं, 
ऐसा सुना है मेने, 
दर्शकों से |
क्या कहु, 
कला खो गयी, 
पर ये कला उनके लिए कायम है,
जो सही में आज भी वचन को समझते है |
कला खुदा की देन होती है, 
खुदा भी ख़ुश होते होंगे मेरे वचन ना निभाने से.. 

-अज़नबी किताब नाटक..

Akash Kushwaha

नाटक #Comedy

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