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उत्तम शर्मा"स्वच्छंद"

शिक्षक दिवस पर शब्द पुष्प

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शिक्षक ऐसा दीपक है सबको रोशन कर देता है।

 तम को करता नष्ट और सुंदर प्रकाश भर देता है।।
                           
 सारी दुनिया ऋणी रहेगी मैं भी शीश झुकाता हूँ।

 अपने शिक्षक के चरणों में श्रद्धा सुमन चढ़ाता हूँ।। शिक्षक दिवस पर शब्द पुष्प

Nirankar Trivedi

#किसान दिवस को समर्पित कुछ शब्द। #Kisandiwas

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#KisanDiwas    अन्न उगाकर सबको देते, अन्नदाता हैं कहलाते। 
मेहनत के फूल चढ़ाकर, खेतों को है तीर्थ बनाते।
 सृध्धा भाव बहुत है इनमे, दुल्हन से है खेत सजाते। 
तन मन धन सब अर्पित कर, थोड़े धन से खुश हो जाते। 
जितने स्वाद है चखती दुनिया, वो सब इनके ऋणी हो जाते। 
है दुर्भाग्य इस जग का, इनकी मेहनत को सदा भुलाते। 
जन्म मिला तो माता से, पर अन्तिम जीवन यही चलाते। #किसान दिवस को समर्पित कुछ शब्द।

balaji boinwad

मराठी राजभाषा दिवस दोन शब्द मराठी भाषेविषयी

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भाषा 

देह हाची मार्ग! कार्य सिद्धीचे!!
हत्यार बुद्धीचे! या जीवनी!!
भाषा ही पद्धती! वैचारिक वैकुंठाचा!!
ज्ञाती अज्ञात व्रण! ब्रम्हांडाचे!!

©अवधूत बालाजी मराठी राजभाषा दिवस
दोन शब्द मराठी भाषेविषयी

anamika

तवील सी इस ज़िंदगी में
सब कुछ सम्भव है
खट्टा तत्सम है
मीठा तद्भव है #तवील #ज़िंदगी #खट्टा #मीठा #तत्सम #तद्भव #nojotohindi

Shashi Bhushan Mishra

#दिवस का अवसान बाक़ी# #शायरी

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दिवस का अवसान बाक़ी, 
समय  का  तूफ़ान  बाक़ी,

ज़िन्दगी  तुम बिन अधूरी, 
दोस्त का  अहसान बाक़ी,

आंधियों में बह गया  सब, 
बच   गया   ईमान  बाक़ी,

ख़ुशी  मिलती   ईद  जैसे, 
ग़म  का  इम्तहान  बाक़ी,

उम्र की दहलीज़ खिसकी,
ज़िस्म  में  है  जान बाक़ी,

जायेगा  दुनिया  से खाली,
ख़ुदा  का  फ़रमान  बाक़ी,

हृदय  में  आनन्द  भर  ले, 
'गुंजन' यही सामान बाक़ी,
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
       चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #दिवस का अवसान बाक़ी#

Kamal bhansali

स्वाधीनता दिवस का सवाल

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bharat quotes  चिंतन देश का सभी करते है, यह सही है, पर किस स्तर का करते है, यह एक प्रश्न है? जिसका सत्यपूर्ण जबाब हमारे पास नहीं है। जब देश हित और स्वयं हित की तुलना करेंगे तो यही ज्यादा सामने दृष्यत होता है कि स्वयं हित से देश हित हार जाता है। आज स्वतन्त्रता के बाद भी समान अधिकारों से सजाया हुआ संविधान यही बात पूछता है,क्यों आज भी मेरा नागरिक अपने आप को बेसहारा और लाचार पा रहा है। गरीबों की बात कर क्यों  हर नेता अमीर हो जाता और क्यों एक सड़क पर बेसहारा पड़ा इंसान एक छोटा सा रहने का स्थान नहीं पाता। देश का दुःख न समझ कर भी हम कैसे उसे अपना कह देते है ? इस विचारणीय सवाल का सही जबाब पता नहीं किस स्वाधीनता दिवस पर मिलेगा। फिर भी स्वाधिनता दिवस की शुभकामनाएं हम सभी सम्पन्न  देस वाशियो को और उन के लिए जो लाचारी में रात्रि में रैन बसेरा ढूंढते ....आशा सहित एक दिन  स्वाधीनता और स्वतंत्रत का अर्थ ढूंढ लेगे। #NojotoQuote स्वाधीनता दिवस का सवाल
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