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Writer Abhishek Anand 96
‘टकरायेंगे नक्षत्र-निकर, बरसेगी भू पर वह्नि प्रखर, फण शेषनाग का डोलेगा, विकराल काल मुँह खोलेगा। दुर्योधन! रण ऐसा होगा। फिर कभी नहीं जैसा होगा। ‘भाई पर भाई टूटेंगे, विष-बाण बूँद-से छूटेंगे, वायस-श्रृगाल सुख लूटेंगे, सौभाग्य मनुज के फूटेंगे। आखिर तू भूशायी होगा, हिंसा का पर, दायी होगा।’ थी सभा सन्न, सब लोग डरे, चुप थे या थे बेहोश पड़े। केवल दो नर ना अघाते थे, धृतराष्ट्र-विदुर सुख पाते थे। कर जोड़ खड़े प्रमुदित, निर्भय, दोनों पुकारते थे ‘जय-जय ©wrïtêr ãbhïßhêk æñæñd पार्ट 6 #SunSet
Writer L B Yadav
कुछ तुम्हारे गीतों से प्यार है कुछ तुम्हारे मनमितो से प्यार है कुछ तो करें धड़कन से प्यार है कुछ तुम्हारे तड़पन से प्यार है कैसे कह दूं कि सिर्फ तुमसे प्यार है । 🙏✍️✍️Writer L.B. MP 53✍️✍️🙏 ©Writer L B Yadav प्यार है पार्ट 6 #ValentinesDay
Muskan Bharti
दूसरे दिन आंनद कोचिंग जातेे वक्त दिव्या से नहीं मिलता है , लौटते वक्त वह दिव्या से मिलने जाता है , वह दिव्या से कहता है तुमहें पैसे की , मेरी नौकरी या मेरे मां पापा के बारे मे सोचने की जरुरत नहीं है , तुम हमारे रिश्ते ,हम दोनों के बारे मे सोचो , बाकी सब मुझपर छोड़ दो मैं नौकरी नही करूंगा फिर भी पूरी जिंदगी तुम्हें अच्छे से रख सकता हूं। दिव्या कहती है ,ठीक है जैसा तुम चाहो लेकिन मैं एक सवाल पुछ सकती हूं, आंनद बोला हां बोलो दिव्या ने कहा अगर कभी जिंदगी में ऐसा मोड़ आया जहां एक ओर मैं और दूसरी ओर तुम्हारे माता पिता होगे , तो तुम किसे चुनोगे आंनद दिव्या के हाथो पर हाथ रख बोलता है तुम्हें , क्योंकि तुम बहुत अरमान लेकर मेरे साथ आओगी तो मैं तुम्हारा साथ कैसे छोड़ सकता हूं । दिव्या कहती है और मां का क्या जिसनें तुम्हें जन्म दिया , उस पिता के अरमानों का क्या जो उन्होंने तुमसे लगा रखा है । तुमने एक बार यह नही सोचा तुम उनके इकलौते बेटे हो.तुम्हारे सिवा उनका कोई नहीं है ,प्यार इंसान को स्वार्थी बना देता है ये बात सच है दिव्या ने आगे कहा मैं तुमसे अपने सारे रिश्ते तोड़ती हूं आज के बाद मुझे अपनी शक्ल भी ना दिखाना ।आंनद गुस्सा से आग बबूला हो जाता है और उसे गालियां देने लगता हैं , दिव्या ने सपने मे भी नही सोचा था जो मुझपर जान लुटाता है वह मुझे बेवफा, बदचलन और गिरी हुई दो टके की लड़की कहेगा दिव्या खामोश उसके इल्ज़ाम सुन रही थी उसके वहां से जाने के बाद खिड़की बंद करके अपने विलचेयर को घुमा कर घर में बने मंदिर में जाकर हाथ जोड़ भगवान से कहती है आंनद को हिम्मत , खुशिया , और कामयाबी देना वह मेरी मजबूरी और लाचारी से अंजान है मुझे अपने प्यार पर पूरा भरोसा है मैं जानती हूं मेरे अपाहिज होने के बाद भी बह मझसे शादी कर लेगा लेकिन उसके माता पिता कभी नहीं मानेगे और अभी लिए फैसले के कारण उसे बाद मे पछतावा होगा उसने मुझे गुस्से में गालियां दी उसे माफ कर देना कुछ दिन बाद आंनद अपने माता पिता के साथ यहां से दूसरे शहर चला जाता है आगे की कहानी पार्ट.6 .....अंतिम भाग रात में .....पार्ट 7 ...