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Harshi (_Untold_Alfazz)

# वाबस्ता

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मैंने उसे भूलने की खूब कोशिश की, लेकिन एक दिन  मैं खुद को ही भूल बैठी क्योंकि उसमें ही तो मेरा वाबस्ता था.. # वाबस्ता

Ruchi Mittal

वाबस्ता रहे  शाख  से  गुल  ये दुआ है मेरी
शाख से  टूटा तो फिर सूख के  झर जाएगा
अपनी  मिट्टी  से  जुड़े  हो  तो बखत होती है 
अपनी मिट्टी से जो बिछडा तो बिखर जाएगा

©Ruchi Mittal #वाबस्ता

shrikant yadav

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HANAMANT YADAV (कवीराज)

वाबस्ता..... #संगीत

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वाबस्ता...

कुछ तो है,
दरमिया,
तेरे मेरे...
कुछ तो है,
वाबस्ते,
तेरे मेरे....

यू ही नहीं,
सोचता तुझे।
यूं ही नहीं,
चाहता तुझे।
बीच में,
कुछ तो है,
रिश्ते तेरे मेरे...

कुछ तो है,
वाबस्ते,
तेरे मेरे...
कुछ तो है,
दरमिया,
तेरे मेरे...


कविराज.© वाबस्ता.....

The Half Mask Writer

मारा गया मोहब्बत में, नफ़रत के बाशिंदों से
अब चौराहे पर लटकता ज़िस्म देखकर
 रूह भी उसकी रोती होगी #चौराहा

#ब्रह्म

★★चौराहा ★★
चौराहा  देखा  तो  आया  मन  में एक बिचार 
तुम  तो  यार  बना  देते  हो  एक राह को चार
साथ-साथ जो चले वटोही यहाँ बिछड़ जाते हैं 
कुछ दायें मुड़ जाते तो कुछ बायेँ मुड़ जाते हैं 
इस समाज को सदा विभाजित ही करना है आता 
सीधी राह चले मानव यह तुम्हें नहीं है भाता 
कुछ बेचारे पथिक तुम्हें पा भ्रम में पड़ जाते हैं
 किंकर्तव्यविमूढ   देखते   पाँव  अटक जाते हैं 
सही राह को चिन्हित जो नर जरा न कर पाते हैं 
मंजिल उनकी कहीं और वे कहीं पहुँच जाते हैं 
कितना अच्छा होता सब नर सीधे रस्ते चलते
एक दूजे की बाँह पकड़ते गिरते और सँभलते 
मेरी बात सुनी,,,, चौराहा थोड़ा हँसकर बोला 
तुम सरसरी निगाह डालते अन्तर नहीं टटोला 
गर मेरा अस्तित्व न हो तो मंजिल नहीं मिलेगी 
मानव के कुण्ठित समाज की दिशा नहीं बदलेगी 
भटके राही यहाँ मिले हैं कुछ दूरी तय करके 
जाने कितने जीवन बदले सुखद मोड़ लेकर के  
नित्य नवीन मोड़ ही तो है जीवन की परिभाषा 
परिवर्तन का बोध दे रहा दिल को बहुत दिलासा 
नकारात्मक हावी तुम पर ऐसी सोच मढे़ हो 
बिन सोचे समझे कुतर्क बस कितने दोष गढ़े हो 
तरह तरह के पथ आकर के जहाँ एकत्रित होते 
राही वहाँ नियम पालन कर स्वयं नियत्रिंत होते 
सुखद दुखद परिणाम सर्वदा मानव जीवन में हैं
बटवारे में नहीं हमारा जन्म संगठन में है 
सकारात्मक सोचा जिसने उसने हमें सराहा 
चार राह आपस में मिलती तब बनता चौराहा
©अरुण

©#ब्रह्म #चौराहा 

#zindagikerang
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