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Sansriti Kapoor

kudrat कुदरत प्रकृति कविता विचार मेरे मेरेविचार

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जीवन में कोई रंग न हो तो
जीवन फीका सा लगेगा
इसलिए कुदरत ने 
सृष्टि की रचना सुंदर रंगो से की है
चारो ओर से सृष्टि रंगीन सी लगती है
उड़े हुए चादर अंबर श्वेत और नीली 
उगते सूरज की लाली
सुन्दर धारा की हरियाली
सुन्दर फूलों की फुलवारी
सृष्टि के कण कण 
में सुंदर रंग बिखरे हुए है
हर रंग मेरे चक्षुओं को
मोहित करता है

©Sansriti Kapoor #kudrat 
#कुदरत 
#प्रकृति 
#कविता 
#विचार 
#मेरे 
#मेरेविचार

Pankaj Shukla

किस बात से ख़फ़ा है,वो
कही मेरी नाराजगी से तो नही
हो सकता है,फितरत हो उनकी
कुदरत के बदलते मौसम तो नही। #NojotoQuote #कुदरत
#कुदरत#nojoto

VIKY KIWI

कविता पर कविता

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paras Dlonelystar

मेरी पहली मोहब्बत,मेरी आखरी हसरत है तू
मैं अदना सा इंसान और पूरी कुदरत है तू
तुझसे गिला ,तुझसे ही शिकायत करूं
जियूं तेरे लिए मैं और तेरे लिए ही मरूँ  कुदरत
#पारस #इंसान #कुदरत

Rupam Rajbhar

#Dream इश्क तो कुदरत भी किया करती है #नोजोटो कविता

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सूरज डूब गया चादनी को लाने को
इश्क़ तो कुदरत भी किया करती है
सनम #Dream इश्क तो कुदरत भी किया करती है
#नोजोटो कविता

ARUN SHARMA

इबारत उस खुदा की बेशक क्या                   कमाल की है,
जन्म के साथ चश्म दो दीये, मगर              सवाल भी है।
कि तकना तो नहीं था मुझे ये।                       बुझदिल जमाना,
मगर रंज नहीं चूंकि बात कुदरत के      जमाल की है।। #कुदरत

RãmâtaJogi

कुदरत का उसूल  कुदरत ही जाने, कुदरत का खेल
कैसे ये वृक्ष बने, कैसे ये बेल... #कुदरत

Trinath Sen

कुदरत #Quote

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हवाओं मे धुवाँ फिजाओं मे जहर है, 
वाह रे कुदरत ये तेरा कहर है | कुदरत

Khushinandan Bajaj

कुदरत

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काँटों में लिपटे हैं गुलाब 
फिर भी खिलखिलाते हैं 
कुदरत सिखाती है जीना 
फिर भी सीख न पाते हैं 
ज्योति कुदरत

Vishal Chaudhary

कुदरत #कविता

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शायद आज कुदरत बदले की फिराक में है 
और तू आज भी इस पर चोट करने की आश में है 
ना कोई राजा बचेगा ना रंक यहाँ 
फिर तू क्या खोजता है किस तलाश में है ,
छलनी कर दिया सीना धरा का 
अम्बर को भी खूब रूलाया है 
रोता है जिस मंजर को देख तू
उसको खुद तूने ही तो बुलाया है,
थमेंगी जब सांसें तेरी 
पानी को भी मोहताज होगा
तेरी लाश को गिद्ध ही खायेंगे
ना तू आसानी से खाक होगा,
जिन गलियों में शोर कभी था
उनमें सन्नाटा छा जायेगा 
जिन बाहों जोर कभी था
उनको कोई  लकवा सा खा जायेगा,
लाशों के बस ढेर मिलेंगे 
मुँह को छिपाते शेर मिलेंगे 
होगी वो कयामत ही 
जब होंगे तेरे सारे पत्ते खाली
और तू खोजेगा कि बादशाह किस ताश में है ,
शायद कुदरत आज बदले की फिराक में है 
और तू आज भी इस पर चोट करने की आश में है।। कुदरत
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