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    PopularLatestVideo
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Ajay Daanav

हृदय से उपजे विचार हो तुम
शब्दों का मेरे श्रृंगार हो तुम
करती हुई झंकृत मन-वीणा
सातों सुरों की झनकार हो तुम
हूं मैं कविता छंदों में गढ़ी
कविता का मेरी सार हो तुम
हृदय से उपजे विचार हो तुम प्यार को परिभाषित नहीं किया जा सकता।

प्यार को परिभाषित नहीं किया जा सकता। #कविता

0 Love

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Akash Chaudhary

प्रेम को परिभाषित नहीं करते पात

गन्दी रेत से लथपथ वो पत्ते
जो कभी वृक्ष के वक्ष से
कलाएं करते थे,
कितनी ही चिड़िया तुमको छूकर
गुजरी,
मैं तुम पर आज ढूंढने बैठ गया
उनके पैरों के निशान,
क्या मन नहीं है तुम्हारा तुम उनको
परिभाषित करो,
क्या नहीं बताना चाहते
मुझे अपने प्रेम के विषय में,
तुम्हारी व्यथा और प्रेम से परिचित हूं मैं
समझ रहा हूं पात तुम्हे मैं,
तुम्हे पुरानी चिड़िया की याद
आयी होगी,
चलो मैं अपने दरवाजे से इंतजार में हूं
जब चाहना तब दास्तां सुनाना......,
तुम्हारा मौन समझता हूं मैं,
तुम बता रहे हो शायद मुझे 
प्रेम कभी शब्दों से नहीं किया जाता
वो होता है बस ,बस होता है।।

©Akash Chaudhary प्रेम को परिभाषित नही किया जाता।।❤️

प्रेम को परिभाषित नही किया जाता।।❤️ #Poetry

11 Love

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Gp

😂😂😂😂😂
चैटिंग की परिभाषा 
बिना देखे एक दूसरे के दिमाग को चाटने की क्रिया को चैटिंग कहते हैं

©Gp # चैटिंग को परिभाषा

# चैटिंग को परिभाषा #कॉमेडी

7 Love

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Shashank मणि Yadava "सनम"

भले बड़े बन जाओ यारों, 
लेकिन माँ को याद रखो।। 
मंदिर जाने से बेहतर है,
माँ को अपने पास रखो।।
माँ के प्यार, दुआ से बढ़कर,
न कोई भगवान है।। 
जिसने माँ को मान दिया,
वो सबसे सुखी इंसान है।। 
प्रभु पूजा की ख्वाहिश यारों,
जब भी मन में लाता हूँ।। 
सच कहता हूँ यारों तब,
मंदिर मस्जिद न जाता हूँ।। 
अपनी माँ की ममता के,
आँचल में मैं सो जाता हूँ।।

©Shashank मणि Yadava "सनम"
  #Mother's love,,,,, माँ को परिभाषित करती हुई पंक्तियाँ

#Mother's love,,,,, माँ को परिभाषित करती हुई पंक्तियाँ #कविता

1,410 Views

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जगदोश

 जगदीश नायक गाउन सूट

जगदीश नायक गाउन सूट #nojotophoto

2 Love

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Saurav Das

मेरे साथ मुस्कुराते हुए अपने गम को छूपा लेती है,

दूसरों की नज़र न लगे,अपने आचल में छूपा लेती है! 

हमेशा जीत माँ की हुई है 

हर परिस्थिति से लड़ने में!

लाखों,करोड़ो शब्द कम पड़ जाएंगे,

माँ को परिभाषित करने में!!

©Saurav Das #शब्द 
#कम 
#है  
#माँ 
#को 
#परिभाषित 
#करने_में 
#माँ_दिवस्_की_हर्दिक
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Saurav Das

एक दाग है जो सिने में छूपाया है!

ये सराहना देने कौन आया है?

जिसे मालूम नहीं संघर्ष का मतलब!

वो ज़िन्दगी को परिभाषित करने आया है!!

©Saurav Das #ज़िन्दगी 
#परिभाषित 
#Light
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savita singh Meera

#अपरिभाषित
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radhe charan Mishra

गायन # #

गायन # #

27 Views

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Shashank मणि Yadava "सनम"

चलते-चलते राहों में जब, 
मन विह्वल जो जाता है
दिल की परिधि में प्रेम का यूँ, 
नीरज नीरस हो जाता है।।
मन की बेचैनी, मेरे मन में, 
व्याकुलता भर जाती है
न जाने क्यों रातों में जब, 
नींद न अक्सर आती है।।
सच कहता हूँ यारों तब, 
मंदिर-मस्जिद न जाता हूँ
अपनी माँ की ममता के, 
आँचल में मैं सो जाता हूँ।।

©Shashank  Yadav
  माँ के अस्तित्व को परिभाषित करती हुई कविता,,, dedicated to all mothers

माँ के अस्तित्व को परिभाषित करती हुई कविता,,, dedicated to all mothers

3,527 Views

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परवाज़ हाज़िर ........

If Krishna were not there then it would have been a little difficult to define love..... अगर कृष्ण नहीं होते तो प्रेम को परिभाषित करना थोड़ा मुश्किल होता ....।

अगर कृष्ण नहीं होते तो प्रेम को परिभाषित करना थोड़ा मुश्किल होता ....।

76 Love

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Navdeep Rawat पार्थ

प्रेम शक्तिशाली हो जाता है
जब शब्द जुबां से नहीं
आंखों से निकलते हैं..

©Navdeep Rawat पार्थ #प्रेम #अपरिभाषित
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Rakesh Yadav

अपरिभाषित!!!

#krishna_flute

अपरिभाषित!!! #krishna_flute

395 Views

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Nidhi Pant

मां के लिए कोई खास दिन होता है क्या? मेरी समझ से परे है ये बात। हर दिन ही मदर्स डे है, अगर मां का सिर पर हो हाथ। मां को खास मानना है आज,चलो कुछ तस्वीरें हो जाएं।बाकी दिन मां को भूल फ़िज़ूल नातों में उलझे रहें तो फिर क्या  है बात। मां जबसे तू मुझे इस दुनिया में लेकर आई ,तब से ही तू अपरिभाषित है, क्या लिखूं तेरे लिए मां तू हर दिन ही खास है।  #मां #अपरिभाषित
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Raju singh

लोक डाउन

लोक डाउन

106 Views

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Shivam Tiwari

सुलगी चिंगारी गाँव नरायनपुर तिवारी
उपजे वीर पुत्र हनुमान मिश्रा जी के दुवारी 
ईश्वर की पड़ी उनपर छत्रछाया 
नाम उनका वीरेन्द्र कुमार मिश्रा निकलकर आया
उनकी लगन और मेहनत ने रंग लाई 
बन गए वो इन्जीनियर साहब हाईफाई
करते रहे लोगो के हित का काम 
सम्पूर्ण साम्राज्य मे फैल गया उनका नाम 
लोगों के दुखों को न देख पाए फिर 
वह अपने आप को फिर खींच कर जनमानस के बीच लाए
जनता के दिलों दिमाग में फिर उनकी बातें छाई
तब उनको जनता विधानसभा चुनाव के लिए मनाई
हर दुःख से परिचय करवाया फिर उनको अपना नेता बनवाया 
अब मंत्री बनाने की तैयारी बने हैं विधानसभा 308 पर भारी

अब आगे बची हुई कहानी सुनिएगा शिवम् तिवारी की जुबानी

©Shivam Tiwari चरित्र गायन

चरित्र गायन

19 Love

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Farooq Farooqui

अब परिदों का शोर सुनाई नही देता,वीरान पड़ी सड़को पर कोई दिखाई नही देता,ये कैसी आपदाओं से घिर गया है शहर,अब बन्द गलियों में भी कोई दिखाई नही देता, लॉक डाउन

लॉक डाउन

17 Love

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Bhabesh Mahato

लॉक डाउन

फासला मीटा नहीं सकते कोई घर
राहत सदा के लिए नहीं होती

समय थम सा गया है
मेरे पैरों के नीचे
दबे पैरों में, मैं चल रहा हूं...

धरती को रोशनी देती है सूरज
खुद जलते हुए

मैं जल रहा हूं
अपनों को जला कर।
                                      - भवेश #लॉक डाउन

4 Love

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madan sunder pradhan

सन्नाटा फैला सारे टॉउन में।
काश तेरे घर मे फसे होते इस लॉक डाउन में। लॉक डाउन

लॉक डाउन

10 Love

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gio creation

 लॉक डाउन

लॉक डाउन #nojotophoto

27 Love

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Nabin Sapkota

गाउँ मे

गाउँ मे #कॉमेडी

27 Views

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Farooq Farooqui

बे वजह घर से निकलने की जरूरत क्या है,मौत से आँखे मिलाने की जरूरत क्या है,सब को मालूम है बाहर कि हवा है कातिल,यू ही कातिल से उलझने की जरूरत क्या है,जिंदगी एक नेमत है इसे सम्भालकर रख्खो,कब्रगाहों को सजाने कि जरूरत क्या है,दिल बहलाने के लिये घर मे वजाह है काफी,यू ही गलियों में भटकने की जरूरत क्या है, लॉक डाउन

लॉक डाउन

14 Love

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Anuj thakur "बेख़बर"

हालात ऐसे गूंगे भी बने सवाली बैठे हैं!
दहशत इतनी कि सीधे भी बने बवाली बैठे हैं!!
जो कहते थे मरने भर का समय नही है मेरे पास!
वो मौत के डर से आज "खाली" बैठे हैं!!
#लॉकडाउन
                           
                                        अनुज *बेख़बर* लॉक डाउन

लॉक डाउन #लॉकडाउन

9 Love

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Shiv Goriya Goriya

कभी कभी लोगो की सोच देख कर 
लगता है 
सब लॉक डाउंड मै लोग 
दिमागी रूप से विकलांग हो गए है लॉक डाउन

लॉक डाउन

12 Love

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M.K Meet

"  सुबह का नाश्ता "
.........
लड़कीया मुझपर जान छिड़कती हैं
                      क्या करें बेचारी .....
लाकडाउन में
परफ्युम की दूकाने बंद जो रह 
                      रही हैं !!
       ‌ ‌।                    वरना ..........
                ......        😋😋   😂😂      .... लाइक डाउन

लाइक डाउन

51 Love

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pradeep ojha

"लॉक-डाउन"
ना तुम हो ना तेरा साथ,
कैद हो गये हैं जैसे..
जेल की "सलाखें"हों.?
भुगत रहे हैं हम..
दूसरों के "गुनाहों" की सजा..
अकेले हैं.."घूरती" दिवालें हैं
मुँह चिढ़ाते पंखे हैं..
हजार सवाले हैं..मगर,
वो भी चुप, हम भी चुप.!
चिपक गई हो जुबां जैसे तालू में..
अल्फाज हैं पर निकल नहीं सकते..
गूंगे भी नहीं,पर बोल भी नहीं सकते..
सुनेगा भी कौन.? किसे सुनाएंगे..
मन का गीत भी कैसे गुनगुनायेंगे
स्वस्थ हैं पर रोगों से जंग जारी है
ये कैसी विपदा,ये कैसी"महामारी"है.?
एक उम्मीद है,कल की सुबह..
चिड़ियां भी चहचहाएँगे..
हम फिर से अपनों संग,खिलखिलायेंगे.!   
               
~प्रदीप ओझा~ लॉक डाउन

लॉक डाउन

7 Love

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