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vimlesh Gautam https://youtube.com/@jindgikafasana6684
दोस्तों अगर मैं गौतम अडानी होता ,तो अपनी इस अमीर सम्पति को सबसे पहले देश के कुछ गरीब लोगों और उनके विकास उत्थान के विषय में सोचता।और लोगों को सस्ते स्कूल व उनमें न ई शिक्षा नीति के वो सभी मापदंड उनका पाठ्यक्रम बढिया उपलब्ध कराता ।देश में भुखमरी और बेरोज़गारी के विषय में भी कार्य करता साथ ही महिलाओं के उत्थान का प्रयास करता जब गौतम अडानी होता। हमारे देश के अरबपति में गौतम अडानी का नाम ऐसे ही नहीं जाना जाता ।उनके जीवन परिचय गौतम अडानी (जन्म 24 जून 1962) एक भारतीय अरबपति टाइकून हैं1वह भारत में बंदरगाह विकास और संचालन अहमदाबाद स्थित बहुराष्ट्रीय समूह अडानी समूह के अध्यक्ष व संस्थापक हैं । अदानी फाउंडेशन के अध्यक्ष हैं , जिसका नेतृत्व उनकी पत्नी प्रीति अडानी करती हैं। 18 सितंबर 2022 तक, 152.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर की कुल संपत्ति है, वह ब्लूमबर्ग और फोर्ब्स के रीयलटाइम अरबपति सूचकांक के अनुसार क्रमशः भारत, एशिया और दुनिया के दूसरे या तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति हैं । वह सूची में क्रमशः एलोन मस्क और बर्नार्ड अरनॉल्ट से पीछे चल रहे। ©Vimlesh Gautam #गौतम अडानी
Suresh Sidar
मै एक किसान हूं भाई,अगर मै गौतम अडानी होता। तो सबसे पहले अभी हर एक किसान को प्रति एकड़ एक बोरी डी ए पी और एक बोरी यूरिया देता। जिस किसान के पास नलकुआं नहीं उसके लिए एक एक नलकुआं खुदवा देता। जिसके पास दवाई सींचने के लिए स्प्रेयर नहीं तो उसके। लिए एक एक स्प्रेयर मंगवा देता। ©Suresh Sidar मै अगर गौतम अडानी होता
Ek villain
महत्वाकांक्षा है वह अतिरिक्त ऊर्जा है जो हमें लक्ष्य प्राप्त के लिए प्रेरित करती है इसी प्राण प्रेरणा की सामर्थ्य से हम लक्ष्य साधने के उपक्रम और उधम करते हैं महत्वाकांक्षा एक ऐसी सीमा तक उचित है किंतु उसकी पर आधी से परे हमें इस में विकृति आने लगती है अति महत्वकांक्षी व्यक्ति यह नहीं कि प्रकरण और लक्ष्य तक पहुंचना चाहता अति महत्वकांक्षी में केवल सहित निहित है इसमें पर हिंदी के लिए सब कपाट बंद हो जाते हैं महत्वाकांक्षा मन में जन्म लेती है मन चंचल होता है इसमें स्थिरता की संभावना कम रहती है इसकी बंबा प्रभाव महत्वकांक्षी व्यक्ति पर स्पष्ट दिखाई देता है अति महत्वकांक्षी व्यक्ति दुखी भी उठता है तब तक होता है जब तक उसकी आकांक्षा पूर्ण नहीं होती आप पूर्ण महत्वाकांक्षा के चलते मानसिक रूप से परेशान रहने लगता है इससे उसकी भीतर तनाव जन्म लेता है अतः महत्वकांक्षी व्यक्ति हिंसक भी हो उठता है वास्तव में अति महत्वकांक्षी की भट्टी में स्वयं को जलाकर सिरिस्ता की सूची में स्थान प्राप्त करने की इच्छा रखने वाले को सफलता हाथ नहीं लगती ©Ek villain #अगर मैं गौतम अडानी होता तो सबसे पहले देश की सोचता
Rahul
Amit Seth
Mukesh Raj Gautam लेखक और शायर
निगाहें और नशा निगाहों ने की शरारत ना जाने अब क्या हो गया। पहले थे बहुत अच्छे खासे लेकिन अब तुम्हारी चाहत का नशा हो गया। गौतम✍️✍️✍️ #गौतम