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Shubham Kumar
उन कुओं को भी खुद पर घमंड है , जो अभी तक खुदे ही नहीं उन कुओं को भी खुद पर घमंड है , जो अभी तक खुदे ही नहीं
अम्बुज बाजपेई"शिवम्"
पहले बादलों से, फिर कुओं से, फिर तालाबों झीलों और नदियों से, सागर से और अंत में आंखों से। इस तरह धीरे-धीरे सम्पूर्ण पृथ्वी का जल सूख जाएगा और रह जाएगी सिर्फ़ मानव की अतृप्त,अपूर्ण एवं अंतहीन प्यास....... पहले बादलों से, फिर कुओं से, फिर तालाबों झीलों और नदियों से, सागर से और अंत में आंखों से। इस तरह धीरे-धीरे सम्पूर्ण पृथ्वी का जल सूख जाएग
Ananya Singh
पल भर की ख़ुशियों के लिए गलती फिर नहीं करना उन्हें पाकर आँखों को आसुओं से फिर नहीं भरना । भुला दिया था हमने उन्हें भी खुद को भुला कर पर टूटे टुकड़ो को जोड़ने की गुस्ताखी फिर नहीं करना.... इन मौसमी परिंदों का, ऐतबार नहीं अब करना खुशियों के सूखे कुओं में, कुछ नही अब भरना। बेपनाह चाहत दी थी, हमने भी खुद को भुला कर दिल के टूटे ट
Ravikant Raut
प्यास (Thirst) क्यूं तपिश के दिन अब काटे नहीं कट रहे ना नदियों ने भी किनारे छोड़ दिये हैं अपने कुओं, नलकूपों, तालाबों के कण्ठ सूख चले है
Tera Sukhi
कुछ रास्ते सच बायां किया करते है दर्द कुछ ज़ख्म गहरे दिया करते है अपनों से उम्मीद न बाकी अब कुछ अपने ही खंज़र से वार किया करते है FULLREAD IN CAPTION 👇 * कुछ रास्ते * कुछ रास्ते सच बायां किया करते है दर्द कुछ ज़ख्म गहरे दिया करते है अपनों से उम्मीद न बाकी अब कुछ अपने ही खंज़र से वार
Shree
'ना' बोल कर करने वाले... निभाने वाले हैं, सच तोलकर... झूठ नहीं सराहने वाले हैं, हमारे झूठ को सच समझते हो कितना, मुखौटे हमारे चेहरे पर लगा, हमें नकली कहते। ..... क्यों? आखिर क्यों, स्त्रियां अपनी अवहेलना करने से पीछे नहीं हटती है। सब कुछ कर के, सब सह कर, लूटी-पीटी, बची-खुची जिंदगी जीती है। कभी समाज के नाम, कभी वात्सल्य कभी प्रेम, कभी जिम्मेदारी में छली जाती है। क्या जाने विधाता ने अलग ढंग की मिट्टी में क्यों प्राण के साथ अस्तित्व डाले हैं? अस्तित्व ही क्यों! ........................ 'ना' बोल कर करने वाले... निभाने वाले हैं, सच तोलकर... झूठ नहीं सराहने वाले हैं,
Odysseus
Rana Vansh mani
कि उम्र हुई ही नहीं हम बड़े हो गए, बगैर लड़खड़ाए राह पर खड़े हो गए। दुख ने सिखलाया है चलना हमें, आंधियों ने बताया संभलना हमें। जीवन में हरदम मैं मुस्कुराता रहा, गम हो कि खुशियां सभी अपनाता रहा। दिन होता भी था तो धूप मिलती न थी, चांद-तारों से आंख कभी मिलती न थी। रोशनी भी ना थी, ना अंधेरा हुआ, न शाम ही ढली, ना सवेरा हुआ। फूल जब-जब भी खुद से मुड़झाता रहा, हमको अपना ही हाल याद आता रहा। नदियों के पानी सा बहता था मैं भी, जैसे हो तुम रहते, रहता था मैं भी। चिंगारी जलाकर हमने सूरज बनाया, सूखे बंजरों में हमने उपवन सजाया। दुश्मनों की हिफाजत की दुआ करते हम थे, जो तुमने न सोचा वो हुआ करते हम थे। हमने तो हरदम सबको रास्ता बताया, गम में भी होकर सबको हंसता बताया। हमने ही पंछियों को सहारा दिया था, घोंसला जो जला उनका छत हमारा दिया था। मगर दुनिया ने हमको निराशा दिया हैं। मदद के नाम पर हर बार तमाशा दिया है। हर किसी का अब चेहरा दिखने लगा हैं। कौन कितना है गहरा सब दिखने लगा है। कि उम्र हुई ही नहीं हम बड़े हो गए, बगैर लड़खड़ाए राह पर खड़े हो गए। दुख ने सिखलाया है चलना हमें, आंधियों
Vikas Sharma Shivaaya'
✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️ 🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 🙏*हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे*🌹 कृष्ण कहते हैं-"तुम पाँचों भाई वन में जाओ और जो कुछ भी दिखे वह आकर मुझे बताओ मैं तुम्हें उसका प्रभाव बताऊँगा..., पाँचों भाई वन में गये..., युधिष्ठिर महाराज ने, देखा कि किसी हाथी की दो सूँड है,यह देखकर आश्चर्य का पार न रहा..., अर्जुन दूसरी दिशा में गये,वहाँ उन्होंने देखा कि कोई पक्षी है, उसके पंखों पर वेद की ऋचाएँ लिखी हुई हैं पर वह पक्षी मुर्दे का मांस खा रहा है ,यह भी आश्चर्य है ..., भीम ने तीसरा आश्चर्य देखा कि गाय ने बछड़े को जन्म दिया है और बछड़े को इतना चाट रही है कि बछड़ा लहुलुहान हो जाता है..., सहदेव ने चौथा आश्चर्य देखा कि छः सात कुएँ हैं और आसपास के कुओं में पानी है किन्तु बीच का कुआँ खाली है- बीच का कुआँ गहरा है फिर भी पानी नहीं है..., पाँचवे भाई नकुल ने भी एक अदभुत आश्चर्य देखा कि एक पहाड़ के ऊपर से एक बड़ी शिला लुढ़कती-लुढ़कती आती और कितने ही वृक्षों से टकराई पर उन वृक्षों के तने उसे रोक न सके, कितनी ही अन्य शिलाओं के साथ टकराई पर वह रुक न सकीं-अंत में एक अत्यंत छोटे पौधे का स्पर्श होते ही वह स्थिर हो गई..., पाँचों भाईयों के आश्चर्यों का कोई पार नहीं ?? शाम को वे श्रीकृष्ण के पास गये और अपने अलग-अलग दृश्यों का वर्णन किया..., युधिष्ठिर कहते हैं- "मैंने दो सूँडवाला हाथी देखा तो मेरे आश्चर्य का कोई पार न रहा।" तब श्री कृष्ण कहते हैं- "कलियुग में ऐसे लोगों का राज्य होगा जो दोनों ओर से शोषण करेंगे, बोलेंगे कुछ और करेंगे कुछ-ऐसे लोगों का राज्य होगा, इससे तुम पहले राज्य कर लो..., अर्जुन ने आश्चर्य देखा कि पक्षी के पंखों पर वेद की ऋचाएँ लिखी हुई हैं और पक्षी मुर्दे का मांस खा रहा है,इसी प्रकार कलियुग में ऐसे लोग रहेंगे जो बड़े-बड़े पंडित और विद्वान कहलायेंगे किन्तु वे यही देखते रहेंगे कि कौन-सा मनुष्य मरे और हमारे नाम से संपत्ति कर जाये...,"संस्था" के व्यक्ति विचारेंगे कि कौन सा मनुष्य मरे और संस्था हमारे नाम से हो जाये-हर जाति धर्म के प्रमुख पद पर बैठे विचार करेंगे कि कब किसका श्राद्ध है ?चाहे कितने भी बड़े लोग होंगे किन्तु उनकी दृष्टि तो धन के ऊपर (मांस के ऊपर) ही रहेगी... परधन परमन हरन को वैश्या बड़ी चतुर। ऐसे लोगों की बहुतायत होगी, कोई कोई विरला ही संत पुरूष होगा। भीम ने तीसरा आश्चर्य देखा कि गाय अपने बछड़े को इतना चाटती है कि बछड़ा लहुलुहान हो जाता है,कलियुग का आदमी शिशुपाल हो जायेगा- बालकों के लिए इतनी ममता करेगा कि उन्हें अपने विकास का अवसर ही नहीं मिलेगा.. किसी का बेटा घर छोड़कर साधु बनेगा तो हजारों व्यक्ति दर्शन करेंगे....किन्तु यदि अपना बेटा साधु बनता होगा तो रोयेंगे कि मेरे बेटे का क्या होगा ?""इतनी सारी ममता होगी कि उसे मोह माया और परिवार में ही बाँधकर रखेंगे और उसका जीवन वहीं खत्म हो जाएगा। अंत में बिचारा अनाथ होकर मरेगा. वास्तव में लड़के तुम्हारे नहीं हैं,वे तो बहुओं की अमानत हैं, लड़कियाँ जमाइयों की अमानत हैं और तुम्हारा यह शरीर मृत्यु की अमानत है..तुम्हारी आत्मा-परमात्मा की अमानत है ..तुम अपने शाश्वत संबंध को जान लो बस ! सहदेव ने चौथा आश्चर्य यह देखा कि पाँच सात भरे कुएँ के बीच का कुआँ एक दम खाली ,कलियुग में धनाढय लोग लड़के-लड़की के विवाह में, मकान के उत्सव में, छोटे-बड़े उत्सवों में तो लाखों रूपये खर्च कर देंगे परन्तु पड़ोस में ही यदि कोई भूखा प्यासा होगा तो यह नहीं देखेंगे कि उसका पेट भरा है या नहीं...दूसरी और मौज-मौज में,शराब, कबाब, फैशन और व्यसन में पैसे उड़ा देंगे...किन्तु किसी के दो आँसूँ पोंछने में उनकी रूचि न होगी और जिनकी रूचि होगी उन पर कलियुग का प्रभाव नहीं होगा, उन पर भगवान का प्रभाव होगा..., पाँचवा आश्चर्य यह था कि एक बड़ी चट्टान पहाड़ पर से लुढ़की, वृक्षों के तने और चट्टाने उसे रोक न पाये किन्तु एक छोटे से पौधे से टकराते ही वह चट्टान रूक गई.. कलियुग में मानव का मन नीचे गिरेगा, उसका जीवन पतित होगा, यह पतित जीवन धन की शिलाओं से नहीं रूकेगा न ही सत्ता के वृक्षों से रूकेगा ...किन्तु हरिनाम के एक छोटे से पौधे से,हरि कीर्तन के एक छोटे से पौधे मनुष्य जीवन का पतन होना रूक जायेगा ....! *प्रतिदिन महामन्त्र का जाप करें* 🙏हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।🌹 🙏हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।।🌹 अपनी दुआओं में हमें याद रखें बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ....सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ....! 🙏सुप्रभात 🌹 आपका दिन शुभ हो विकास शर्मा'"शिवाया" 🔱जयपुर -राजस्थान ©Vikas Sharma Shivaaya' ✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️ 🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 🙏*हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे*🌹 कृष्ण कहते हैं-"तुम