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Alankrita Shah
जब सब विरान पड़ा था, वो खुद मे लिए आग खड़ा था। हा वो पलास का पेड़ जाने कितनो को प्रेरित करता, कल जब मै अन्नत निराशाओं को समेटे घर कि ओर चली तो रस्ते मे तुम्हे देखा असख्य सम्भावनाएं लिए हुए अटल , अडिग, जहां दूर दूर तक सब शून्य था , तुम सृजन का अवतार लिए खड़े थे सफर मे आते जाते जाने कितनो के सपनो को तुमने पुनजीर्वित किया होगा, उनमे से एक मै भी हूं। परिस्थितियां केवल परीक्षा मात्र हैं सम्भावनाओं का सृजन तुम्हें ही करना है। -अलंकृता ©Alankrita Shah #कहानियां #ख़ूबसूरत #कहानियाँ #ज़िन्दगी #safarnama
Rahul Vishwakarma
कहानी एक पन्ने की नहीँ होती है। किताब की नही होती है। कहानी तो एक हसीन सफर की होती है । एक हसीन ज़िंदगी की होती है। कुछ कहानी खास भी होतीं है। कुछ कहानियों मे दर्द और सुकून भी होता है। ये कहानियाँ ही ऐसी होती है। ये किसी एक इंसान की कहानी नही होती है। ये सभी की कहानी होती है। ©Rahul Vishwakarma # लोगों की कहानियाँ
Sumit Kumar
आँखों से भी लिखी जाती है कुछ कहानियाँ, हर कहानी को कलम की जरुरत नहीं होती.. ©Sumit Kumar आँखों की कहानियाँ..
Mazhar Ansari
कोई प्यार से आवाज़ भी दे तो चिड जाती है जो सुनाती थी कभी कहनियां मुहब्बत की मज़हर अंसारी ❣️ कहनियां मुहब्बत की #waiting #कहानीयां #मुहब्ब्त #टूटा_हुआ_दिल #प्यार😍
SK Poetic
एक कवि थे।उन्होंने कई वर्षों से मेहनत करके एक महाकाव्य की रचना की। अब महाकाव्य पूरा होने ही वाला था।उन्होंने एक बिल्ली पाल रखी थी।वह उस बिल्ली से बहुत प्यार करते थे। वह बिल्ली अक्सर उनकी गोद में आकर बैठ जाती थी।एक रात की बात है कवि अपने महाकाव्य को पूरा कर रहे थे।अचानक लाइट चली गई। अतः वे एक मोमबत्ती जलाकर उस महाकाव्य का अंतिम पृष्ठ को लिख रहे थे।तभी अचानक उनकी वह बिल्ली उनकी गोद में आकर बैठ गई। उन्होंने उस बिल्ली को प्यार किया ।और उसे उस टेबल पर बैठा दिया जिस पर वह लिख रहे थे ।और लिखने में मग्न हो गए।अचानक उन्हें किसी जरूरी काम से बाहर जाना पड़ा।अत्यधिक व्यस्तता होने के कारण वह उस मोमबत्ती को बुझाना भूल गए। जब वह लौटकर आए तो उन्होंने देखा कि बिल्ली ने मोमबत्ती गिरा दिया है ।और उनके बरसों के परिश्रम से निर्मित महाकाव्य के पन्ने धू-धू कर जल रहे हैं।उन्होंने शांत होकर अपनी बिल्ली से कहा कि शायद तुम्हें पता नहीं है कि तुमने क्या किया। और चुपचाप जाकर अपने कक्ष में सो गए। यह बात जब उनके मित्रों को पता चला तो उन्होंने उनसे कहा कि तुम कैसे सो सकते हो?तुम्हारे सालों की मेहनत से निर्मित महाकाव्य तैयार हो चुका था।और इस बिल्ली ने एक मिनट में जलाकर राख कर डाला। तब जाकर उस कवि ने कहा हां महाकाव्य तो जल गया,परंतु अभी मैं नहीं जला हूं,मेरा दिमाग नहीं जला है,मैं फिर से उस महाकाव्य की रचना करूंगा। क्रोध, आवेश,चिंता क्षोव के कारण क्या मैं अपनी शांति में भी आग लगा दू? महाकाव्य तो जल गया।पर शांति तो बची हुई है ।अगर शांति में चिंता की आग न लगने दू तो मैं फिर से महाकाव्य की रचना कर सकता हूं। ©S Talks with Shubham Kumar बुद्धिमता #InspireThroughWriting